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New SEBA Class 8 Hindi Notes Chapter 6 भारतआरी देंखोनि मोनसे
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खोन्दो 6 भारतीय संगीत की एक झलक
Chapter 6 भारत आरी देंखोनि मोनसे
अभ्यास माला (उनसोलों)
पाठ से (फरानिफ्राय)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए उत्तरों में से एक सही हैं। सही उत्तर का चयन करो: (गाहाइयाव होनाय सोंथिफोरनि सिङाव होनाय फिननायफोरनि मोनसे थार। थार फिननायखौ सायख’)
क। ‘दिल हुम हुम करे घबराए……. बरसाए।’ इस गीत के रचयिता है―
(अ) लता मंगेशकर
(आ) भूपेन हाजरिका
(इ) ए. आर. रहमान
(ई) जावेद अखतर
उत्तर : (आ) भूपेन हाजरिका।
ख। अकबर के राजदरवार के संगीतग्य थे―
(अ) बीरबल
(आ) हुमायूँ
(इ) तानसेन
(ई) अबुल फजल
उत्तर : (इ) तानसेन।
ग। भारतीय संगीत की शुरुआत कब हुई थी?
(अ) वैदिक युग से
(आ) नवप्रस्तर युग से
(इ) भक्तिकालीन युग से
(ई) आधुनिक युग से
उत्तर : (ग) वैदिक युग से।
घ। पं रविशंकर किस बाह्य के श्रेष्ठ कलाकार हैं?
(अ) तबला
(आ) शहनाई
(इ) सितार
(ई) सरोद
उत्तर : (इ) सितार।
ङ। भारतीय संगीत की कितनी प्रचलित धाराएँ हैं?
(अ) एक
(आ) दो
(इ) तीन
(ई) चार
उत्तर : (आ) दो।
2. उत्तर लिखो: (फिननाय लिर)
(क) आचार्य शारंगदेव के अनुसार संगीत की परिभाषा क्या हैं? (आचार्य शारंगदेबनि मथै मेथायदेंखोनि रावसाया (बुंफुरलुआ) मा?)
उत्तर : आचार्य शारंगदेव के अनुसार ‘गीत वाद्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीत मुच्यते।’ अर्थात गीत, वाद्य और नृत्य इन तीनीं कलाओं की एक-साथ संगीत कहा जाता है। गीत शब्द के साथ ‘सम’ ओपसर्ग मिलकर ‘संगीत’ शब्द बना है।
(आचार्य शारंगदेबनि मथै “गीतं बाक्यं तथा नृत्यं त्रयं संगीत मुन्यते।’ थामहिनबा मेथाय, दामनाय-देनाय आरो मोसानाय बे मोनथामखौ आरिमुखौ लोगोसेयै मोथायदेंखो होनना बुंनाय जायो। ‘गीत’ सोदोबजों ‘सम’ लोगोनांनानै ‘संगीत’ सोदोबा जादों।)
(ख) भारतीय शास्त्रीय संगीत की कितनी धाराऐं हैं? ये क्या क्या हैं? (भारतारि शास्त्रीय मेथायदेंखोनि खान्थिया बेसेबां? बेफोर मा मा?)
उत्तर : भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रचलित धाराए हैं। पहल है हिन्दुस्तानी अथवा उत्तर भारतीय संगीत की धारा। दुसरा है- कर्णाटक अथवा दक्षिण भारतीय संगीत की धारा।
(भारतारि मेथायदेंखोनि मोननै सोलिनाय खान्थि दं गिबिया जाबाय हिन्दुस्तानी एबा सा भारतारी मेथायदेंखोनि खान्थि। नैथिया जाबाय कर्नाटकी एबा खोला भारतारि मेथायदेंखोनि खान्थि।)
(ग) हिन्दुस्तानी संगीत की धारा का प्रचलन कहाँ-कहाँ है? (हिन्दुस्तानी मेथायदेंखोनि खान्थिनि सोलिनाया बबे बबेयाव दं?)
उत्तर : हिंन्दुस्तानी संगीत की धारा का प्रचलन: असम, बंगाल, बिहार, उड़ीया, उत्तर प्रदेश, हरियाना, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में है।
(हिन्दुस्तानी मेथाय देखोनि खान्थिनि सोलिनाया: असम, बेंगल, बिहार, उड़ीष्या, उत्तर प्रदेश, हरियाना, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आरो गुजराटाव दं।)
(घ) दक्षिण भारतीय संगीत कया है? इस धारा का संगीत कहाँ-कहाँ प्रचलित है? (खोला भारतारि मेथाय देंखोआ मा? बे खान्थिनि मेथाय देंखोआ बबे बबेयाव सोलिदों?)
उत्तर : कर्णाटक संगीत ही दक्षिण भारतीय संगीत है। इस धारा का संगीत तामिलनादु, आंध्र, कर्णाटक, केरला आदि स्थानों में प्रचलित है।
(कर्नाटक मेथाय देंखोआनो जाबाय- खोला भारतारि, मेथाय देंखो। बे खान्थिनि मेथाय देंखोआ तामिलनाडु, अन्ध्र, कर्नाटक, केरेला आरि जायगायाव सोलिदों।)
(ङ) नेहा ने शास्त्रीय संगीत सीखने का निश्चय क्यों किया? (नेहाया शास्त्रीय मेथाय सोलोंनो मानो थिरांथा खालामखो?)
उत्तर : नेहा ने सनेहा से भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारेमें बहुत सी बातें जानकर बहुत खुशी हुई। साथ ही यह भी जान गई कि शास्त्रीय संगीत भारतीय संगीत का एक अविच्छिन्न अंग है। इसलिए नेहा ने शास्त्रीय संगीत सीखने का निश्चय किया।
(नेहाया स्नेहानिफ्राय भारतारि शास्त्रीय मेथायदेंखोनि सोमोन्दै गोबां बाथ्रा मिथिनानै जोबोद रंजाखांदोंमोन। लोगोसे बेखौबो मिथिदोंमोन दि शास्त्रीय मेथायदेंखोआ भारतारि मेथाय-देंखोनि मोनसे एंगारहायै बाहागो। बेनिखायनो नेहाया शास्त्रीय मेथाय देंखो सोलोंनो थिरांथा खालामो।)
(च) सत्रीया नृत्य के प्रवर्तक कौन है? इसे लोकप्रिय बनाने में किन किन कलाकारों का योगदान है? (सत्रीय मोसानायनि फोसावगिरिया सोर? बेखौ मिथिसारजानाय खालामनायाव सोर सोर आरिमुगिरिनि मदद दं?)
उत्तर : सत्रीया नृत्य के प्रबर्तक महापुरुष शंकरदेव है। इसे लोकप्रिय बनाने में मणिराम बायन मुक्तियार रखेशवर शइकीया ‘बरवायन’, और नृत्यचार्य यतीन गोस्वामी आदि महान कलाकारों का योगदान है।
(सत्रीय मोसानायनि फोसावगिरिया जाबाय महापुरुष शंकरदेव। बेखौ मिथिसारजानाय खालामनायाव मनिराम बायन, मुक्टियार, रखेश्वर शइकीया ‘बरबायण’, आरो मोसागोरों जतीन ग ‘स्वामी आरि गेदेमाफोरनि मदद दं।)
पाठ के आश-पास (फरानि सेर-सेर)
1. भारतीय संगीत में व्यवहूत होने वाले मुख्य सवर हैं- षड़ज, ऋषभ, गंधार, पंचम, धैवत और निषाद। संक्षेप में इन स्वरों को सा, रे, गा, मा, पा, धा और नि कहा जाता है। आओ, हम इन स्वरों को कक्षा में सुर के साथ गाएँ।
(भारतारि मेथायदेंखोआव बाहाय जानाय गाहाय खबाम फोरा जाबाय षड़ज, ऋषभ, गंधार, पंचम, धैवत आरो निषाद। गुसुङै बे खबामफोरखौ चा, रे, गा, मा, पा, धा आरो नि बुंनाय जायो। दानिया बे खबामफोरखौ थाखोआव देंखो होनानै खन।)
2. भारतीय शास्त्रीय संगीत को बिभिन्न दिशाओं में अलग-अलग कलाकारों ने लोकप्रिय बनाया है। उनमें से कुछ कलाकारों के नाम सीचा, दूँढ़ो और लिखो:
(भारतारि शास्त्रीय मेथायदेंखोखौ गुबुन गुबुन बिथिंङाव गुबुन गुबुन आरिमुगिरिफोरा मिथिसार जानाय खालामदों। बिथांमोननिफ्राय सानैसो आरिमुगिरिनि मुंखौ सानखां आरो लिर।)
(क) तबला वादक: (तबला दामग्रा)
(i) पं. सामता प्रसाद
(ii) _________
(iii) _________
(iv) _________
(ख) सरोद वादक: (सर ‘द दामग्रा)
(i) उस्ताद आली अकबर खाँ
(ii) पं. गणेश प्रसाद मिश्र
(iii) _________
(iv) _________
(ग) शहनाई वादक: (चेहनाइ दामग्रा)
(i) उस्ताद बिसमिल्लाह खाँ
(ii) _________
(iii) _________
(iv) _________
(घ) सितार वादक: (सितार दामग्रा)
(i) पं रविशंकर
(ii) _________
(iii) _________
(iv) _________
(ङ) बाँसुरी वादक: (सिफुं दामग्रा)
(i) पं हरिप्रसाद चैरसिया
(ii) _________
(iii) _________
iv) _________
उत्तर : गावनो खालाम।
3. भारतीय शास्त्रीय नृत्य को कुछ कलाकारों ने लोकप्रिय बनाया है। उन कलाकारो के नाम ढुढ़ो ओर लिखों: (भारतारि शास्त्रीय मोसानायखौ सानैसो आरिमुगिरिफोरा मिथिसारजानाय खालामदों। बेफोर आरिमुगिरिफोरनि मुंफोरखौ नागिर आरो लिर।)
उत्तर : (क) सत्रीया नृत्य: मणिराम बायन मुक्तियार, रसेश्वर शइकीया बरबायन, नृत्याचार्य सकीत गोस्वामी।
(ख) भरत नाट्यम : रुक्मिणी देवी अरुण्डेल।
(ग) कथक नृत्य: शंभु महाराज, बिरजु महाराज।
(घ) कथकली: गुरु शेकरण नबुंद्रीपाद।
(ङ) ओडिषी : केलुचरण महापात्र।
(च) मणिपुरी: विपिन सिंह।
(छ) मोहिनी आत्तम: शांता राव, भारती शिवाजी।
(ज) कुचिपुरी: राजा रेड्डी, राधा रेड्डी।
4. आदर्श संगीत महा-विद्यालय के वार्षिक समारोह में संगीत की निम्नलिखित प्रतियोगिताएँ रखी गई है: (आदर्श संगीत जौमाफरायसालिनि बोसोरारि खुंनायाव मेथायदेंखोनि सिङाव लिरनाय बादायनायफोरखौ लाखिनाय जादों)
भजन, खयाल, तबला बादन, सितार बादन, कथक नृत्य, बरगीत, सत्रीया नृत्य, आधुनिक गीत, ज्योती संगीत, बिष्णुराभा संगीत, बिहु नृत्य।
(क) दीया ने बिहु नृत्य में भाग लिया है। तुम किस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हो और कयों? उसके बारेमें पाँच पंक्टियाँ लिखो। (दीयाया बिहु मोसानायाव बाहागो लादों। नों मा बादायनायाव बाहागोलानो नागिरदों आरो मानो? बेनि सोमोन्दै मोनबा सारि लिर।)
उत्तर : मैं बरगीत प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूँ। कयोंकि बरगीत महापुरुष शंकर देव और माधव देव दोनों के अमर सृष्टि है। इसमें पदो का लालित्य, छन्दीं की मधुरता और भाषा का अबिराम प्रवाह देखने को मिलते है। हर गीतो में बालक श्रीकृष्ण के क्रीड़मय रौशन का वातषल्यमय चित्र भंक्टि किया है।
(आं बरगीत बादायलायनायाव बाहागो लानो नागिरदों। मानोना “बरगीत” आ महापुरुष शंकरदेव आरो माधवदेव सानैनिबो थैनोरोङै सोरजि। बेयाव बिलिनि मिलौदो, खबामनि रैसुमै आरो रावनि बैहैथि नुनो मोनो। मोनफ्रोम मेथायाव श्रीकृष्णनि गेलेनाय, उन्दैसमनि मोनसे सावगारि बेरखाङो।
(ख) उपर्युक्त प्रतियोगिताएँ संगीत की निम्नलिखित श्रेणीयों में से किस किसके अंतर्गत आती है, जानकारी प्राप्त करो: (गोजौनि बादायलायनाय मेथायदेंखोनि सिङाव लिरनायफोरा थाखोफोरनि बबे बबेनि सिङाव फैयो, मिथिना ला?)
उत्तर : (अ) शास्त्रीय संगीत: भजन, खयाल, तबला बादन, सितार बादन, बरगीत।
(आ) लघु शास्त्रीय संगीत: कथत नृत्य, सत्रीया नृत्य।
(इ) आधुनिक गीत: आधुनिक गीत, ज्योति संगीत, बिष्णुराभा संगीत।
(ई) लोकं संगीत: बिहु नृत्य।
योग्यता विस्तार (उदायथि गोसारनाय)
1. गीतो के निम्नलिखित प्रकारो के बारे में जानकारी हासिल करो और उनका एक एक अनुच्छेद लिखकर शिक्षक-शिक्षिका को दिखाओ: (गाहायाव लिरनाय मेथायनि रोखोमफोरनि सोमोन्दै मिथिनाला आरो बेनि मोनफायै आयदा लिरनानै फोरोंलिरिफोरनो दिन्थि।)
(क) बरगीत
(ख) रवीन्द्रं संगीत
(ग) ज्योति संगीत
(घ) बिष्णुराभा संगीत
उत्तर : (क) बरगीत: बरगीत महापुरुष शंकर देव और माधव देव दोनों के अमर सृष्टि है। इसमें पदो को लालित्य, छन्दीं को मधुरता और भाषा का अविराम प्रवाह देखने को मिलते हैं। प्रत्येक ‘पद’ से भाव-सोन्दर्य का निर्झर फूत पड़ता है।
विष्यवस्तु की दृष्टि से शंकर देव और माधव देव दोनों के बरगीतों में बहुत भेद है। माधव देव के बरगीतों में हिन्दी कवि सुरदास की तरह बालक कृष्णा के क्रीयामय शौशव का वात्सल्यमय चित्र अंकित किया गया है।
(बरगीत आ महापुरुष शंकरदेव माधबदेवनि थैनोरोङि सोरजि। बेयाव बिलिनि मिलौदो, सन्दनि रैसुमै आरो रानि बोहैथि नुनो मोनो। मोनफ्रोम बिलियावनो सानबोलावरि समायनाथिया बेरखांदों।)
(आयदा मुवा फारसेनिफ्राय शंकरदेव आरो माधबदेव सानैनिबो बरगीतआव गोबां फाराग दं। माधबदेवनि बरगीतआव हिन्दी खन्थायगिरि सुर दासनि बायदि श्रीकृष्णनि गेलेनाय उन्दैसमनि मोनसे सावगारि आखियो।)
2. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ: (गाहायाव होनाय बाथ्रा खोन्दोबफोरनि ओंथि लिर आरो बाथ्रा दा)
श्रीगणेश करना: आरंभ करना (जागायनाय) वैदिक युग में ही वाद्यों का श्रीगणेश हुआ था।
तय करना: निश्चित करना (थार खायामनाय) शवाधीनता दिवस के शमारोह कौन सा अनुस्यान होगा, आज ही तय करना चाहिए।
गले लगाना: प्यार करना (अननाय) गले लगाकर देखो, तुम्हारा बेटा जरुर घर वापस आयेगा।
हाथ बटाना: सहायता करना (हेफाजाव खालामनाय) देश की भलाई के लिए देश के सभी निवासी हाथ बँटाना चाहिए।
फूला न समाना: आनन्दित होना (रंजानाय) अपने बेटे के कारण आज सुखीराम पूला न समा रहा है।
आखों का तारा: अत्यन्त प्यार (जोबोद अननाय) हर माँ-बाप के लिए बच्चें आँकों का तारा है।
भाषा-अध्ययन (राव-फरायसंनाय)
(क) वाच्य: क्रिया के जिस रुपांतर से यह जाना कि वाक्य में क्रिया द्वारा किए गए विधान का बिषय कर्ता है अथवा कर्म है या भाव है उसे वाक्य कहते है।
(थाइजानि जाय महरसोलायनायनिफ्राय बेखौ मिथिना मोनोदि बाथ्रायाव थायजा जों मावनाय राहानि थांखि मावग्रा एबा खामानि एबा सानदांथि जायो– बेखौनो बाथ्रा बुङो)
उदाहरण: (बिदिन्थि)
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
मैं आम खाता हुँ।(आं थाइजौ जायो।) | मुझसे आम खाया जाता है। (जोंनि दारै थाइजौ जानाय जायो।) |
संजू रोटी खाता है।(संजुआ रुटि जायो।) | संजू से रोटी खायी जाती है। (संजुनि दारै रुटि जानाया जायो।) |
अब निम्नलिखित वाक्यों की कर्मवाच्य में लिखो: (दानिया गाहाइयाव लिरनाय बाथ्राफोरखौ कर्मबाच्यआव लिर:)
उत्तर :
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
(क) मैं गीत गाता हुँ। (आं मेथाय खनो) | मुझसे गीत गाया जाता है।(आंनि दारै मेथाय खननाया जायो।) |
(ख) राजू गेंद खेलता है।(राजुआ बल गेलेयो।) | राजू से गेंद खेला जाता है।(राजुनि दारै बल गेलेनाया जायो।) |
(ग) रीमा चिट्ठी लिखती है। (रीमाया लाइजाम लिये।) | चिट्ठी शीमा द्वारा लिखी जाती है।(शीमानि दारै लाइजाम लिरनाय जायो।) |
(घ) माँ दोनो के लिए चाय लाई।(आया सानैनि थाखाय साहा लाबोयो।) | माँ से दोनों के लिए चाय लाई गये।(आयनि दारै सानैनिबो साहा लाबोनाया जादोंमोन।) |
निम्न लिखित वाक्यो की ध्यान से पढ़ो: (गाहाइयाव लिरनाय बाथ्राफोरखौ गोसोहोना फराय।)
(क) वर्षा हुई। (सामान्य भूत)
(ख) वर्षा हुई है। (आसन्न भूत)
(ग) वर्षा हुई थी। (पुर्ण भूत )
(घ) वर्षा हो रही थी। (तात्कालिक भूत)
(ङ) वहाँ पहले खुब बर्षा होती थी। (अपुर्ण भूत)
(च) वषी हुई होगी। (संदिग्ध भूत)
(छ) यदि वर्षा होती तो खेती नही सुखती (हतु-हेतु मदभूत)
ऊपर के वाक्यों के क्रिया-रुपों से पता चलता है कि काम बीत हुए समय में था। जिस क्रिया से बीते हुए समय का बोध होता है, उसे भूत काल कहते हैं। भूतकाल के सात भेद माने जाते है- सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्णभूत, तात्कालिक, अपूर्ण भूत, संदिग्ध भूत और हेतु-हेतु मद भूत।
(गोजौनि बाथ्राफोरनि थाइजा-महरनिफ्राय मिथिना मोनाय जादोंदि खामानिया सिगांनो जालांबाय। जाय थाइजानि दारै खामानिया सिगांनो जाना थांनायखौ मिथिना मोनाय जायो बेखौनो गोदो बिदिन्था बुंनाय जायो। गोदो बिदिन्थिया मोनस्नि रोखोमनि-सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्ण भूत, तातकालिक भूत, अपर्ण भूत, संदिग्ध भूत आरै हेतु-हेतु मद भूत।
अब निम्नलिखित वाक्यों को भूतकाल में परिवर्तित करो: (दानिया गाहाइयाव लिरनाय बाथ्राफोरखौ गोदो बिदिन्थायाव सोलाय।)
उत्तर : (क) दोपहर का समय है। (सानजौफु सम)
दोपहर का समय था। (सानजौफुनि सम मोन)
(ख) नेहा, सनेहा की सहेली है। (नेहाया स्नेहानि लोगो।) नेहा, स्नेहा की सहेली थी। (नेहाया स्नेहानि लोगोमोन।)
(ग) राजू गेंद खेलता है। (राजुवा बल गेलेदों।)
राजू गेंद खेलता था। (राजुवा बल गेलेदोंमोन।)
(घ) रेहना खत लिख रही है। (रेहनाया लाइजाम लिरगासिनो दं।)
रेहना खत लिख रही थी। (रेहनाया लाइजाम लिरगासिनो दंमोन।)
(ङ) हम कल दिल्ली जाएँगे। (जों गाबोन दिल्लीयाव थांगो।)
हम कल दिल्ली गये थे। (जों मैया दिल्लीयाव थांदोंमोन।)
4. निम्नलिखितं वाक्यों को शुद्ध करो: (गाहाइनि लिरनाय बाथ्राफोरखौ गेबें खालाम।)
(क) यह तुमने बहुत अच्छा सवाल पूछी है?
उत्तर : (क) यह तुमने बहुत अच्छा सवाल पूछा।
(ख) रोहन ने पुस्तक पढ़ा।
उत्तर : रोहन ने पुस्तक पढ़ी।
(ग) सीमा ने भात खाई।
उत्तर : सीमा ने भात खाया।
(घ) अयन ने रोटी खाया।
उत्तर : अयन ने रोटी खायी।
(ङ) सेठानी ने राजा से सवाल की।
उत्तर : सटानी ने राजा से सवाल किया।
Chapter No. | CONTENTS |
खोन्दो – 1 | भारता जोंनि जिवनिख्रुइ आंगो |
खोन्दो – 2 | कास्मीरनि आपेल |
खोन्दो – 3 | मेडम मेरी क्युरी |
खोन्दो – 4 | हारव’ रनि सेराव खुवा दं |
खोन्दो – 5 | बिनो दा बुं |
खोन्दो – 6 | भारतआरी देंखोनि मोनसे |
खोन्दो – 7 | गिबि थोबथिं / थरथिं |
खोन्दो – 8 | भारत नायदिनाय |
खोन्दो – 9 | जेरै खामानि एरै फिथाइ |
खोन्दो – 10 | गोकुल लीला |
खोन्दो – 11 | भारतनि रावारि खौसेथि |
खोन्दो – 12 | बानाननि मोगामोगि |
खोन्दो – 13 | आंनि गोदान उन्दै सम |
खोन्दो – 14 | आं गोख्रों बुरलुंबुथुर |