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New SEBA Class 8 Hindi Notes Chapter 10 गोकुल लीला
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खोन्दो 10 गोकुल लीला
Chapter 10 गोकुल लीला
अभ्यास माला (उनसोलों)
पाठ से (फरानिफ्राय)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो: (गाहाइयाव लिरनाय सोंथिफोरनि फिननाय हो:)
1. दोनों पदों में से तुम्हें कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों? (मोननै बिलिनि गेजेराव नों बबे बिलिखौ बांसिन मोजां मोन्दों आरो मानो?)
उत्तरः इन दोनों पदों में से मुझे पहला पद को अधिक अच्छा लगा है। क्योंकि पहला पद में सूरदास जी शिशु कृष्णा का जो बर्णन दिया है, मानों कृष्ण पुस्कक के. पन्ने में घुमा रहा है। दुसरी बात यह है कि संसार के हर व्यक्ति को शिशु से प्यार है, वैसे प्यार भरा पद को पढ़कर किसको बुरा लगेंगे?
(बे मोननैबो बिलिनि गेजेराव आं गिबि बिलिखौ बांसिन मोजां मोन्दों। मानोना गिबि बिलियाव देंखोगिरि गेदेमाया खुदिया कृष्णनि जा बिजिरनाय होदों, एरै मोनोदि कृष्णआ बिजाबनि बिलाइयावनो गिदिंगासिनो दं। नैथि बाथ्राया बेनोदि संसारनि साफ्रोम सुबुङा खुदियाखौ मोजां मोनो। बेबादि अननायजों आबुं बिलि (सारिखौ) फरायनानै सोरनो गाज्रि मोनगोन?)
2. दूसरे पद को पढ़कर बताओ कि तुम्हारे अनुसार उस समय कृष्ण की उम्र क्या रही होगी? (नैथि बिलिखौ फरायनानै बुं दि नोंनि मथै बै समाव कृष्णनि बैसोआ बेसेबां मोन?)
उत्तर: दूसरे पद अनुसार उस समय कृष्ण को उम्र 8-9 साल रही होगी।
(नैथि बिलिनि मथै बै समाव कृष्णनि बैसोआ 8-9 बोसोर जागौमोन जानांगौ।)
3. पहले पद में घुटनों के बल चलने वाले कृष्ण का जो वर्णन किया गया है- उसे अपनी हिन्दी में प्रस्तुत करो। (गिबि बिलियाव हान्थुखारायना गिदिंनाय कृष्णनि जा बिजिरनाय होदों बेखौ गावनि हिन्दीयाव थियारि खालाम।)
उत्तर: शिशु कृष्ण किलकारी करते हुए नन्द के आँगन में धुटनों के बल चल रहा है। नन्द का आंगन स्वर्णिम भूमि पर कृष्ण के हाथ और चरणों की छाया देशकर ऐसा लगता है मानो पृथवी प्रत्येक चरण और हाथ को प्रतिमा बनाकर उसके लिए कमलासन सजा रही है। कृष्ण की इस बाल दशा देखकर यशोदा नंद को बार बार बुलाती है। फिर कृष्ण को आँचल ढककर दुध पिनाने लगती है।
(खुदिया कृष्णआ फेस्ला खालामनानै नन्दनि सिथ्लायाव हान्थु खारायना दं। नन्दनि सिथ्लाया स’ना आरो मनिजों साजायनायमोन। कृष्णआ गावनि सायाखौ नुनानै बेखौ महनो आवगायलांदों। जेब्ला हमनो हाया अब्ला फेस्लायै मिनियो। रुफाबादि थायनै हाथाइखौ दिन्थिनानै फिन बेखौनो खालामफिननो हमो। नन्दनि सिथ्लानि सना साजायनाय हायाव कृष्णनि आखाइ आरो आथिंजों मुसुखा बानायना बिनि थाखाय रैरुब मासि साजायना लाखिनाय जायो। कृष्णनि बे उन्दै नुथायखौ नुनानै यश’दाया नन्दखौ गले गले लेंहरो। फिन कृष्णखौ साद्रिजों खोबसिननानै गाइखेर दौदोंमोन।
4. माखन चुराकर भी कृष्ण अपनी चतुराई से कैसे माँ का मन मोह लेते हैं उसका वर्णन अपने शब्दों में करो। (माखन सिखाव खावनानै कृष्णआ गावनि सोलोजों माबोरै बिमानि गोसोखौ मुहिदोंमोन बेनि बिजिरनायखौ गावनि सोदोबाव खालाम।)
उत्तरः शिशु कृष्ण माँ से कहता है कि- हे माँ, मैने मकखन नही खाया। ये सभी साथी मेरे पीछे पड़ गये और मेरे मुँह में मकखन लपेट दिया। तुम खुद देख लो। मेरे ये नन्ही-नन्ही हाथ तो उन तक पहुँच ही नही पाते। इतने में कृष्ण को एक उपाय सूजा, उसने मुहँ से दधि पोंछकर दोना पीछे छुपा लिया। कृष्ण भोलेपन को देखकर यशोदा ने हाथ से छड़ी फेंक दी और मुस्कुरा कर उसे गले से लगा लिया। कृष्ण ने बाल क्रीड़ा के आनंद से सबके मन को मोहित कर लिया। सूरदास कहते हैं कि कृष्ण को पुत्र रुप में पाकर यशोदा को जो सुख मिला है, वह सुख शिव ब्रह्मा को भी पा नही सके।
(उन्दै कृष्णआ बिमाखौ बुंदों, हे, आय आं माखन जायाखै, आंनि लोगोफोरा आंनि उनाव गसंनानै थायो आरो आंनि मोखाङाव माखन लिरना होदों। नों गावनो नायनानै फै। आंनि बे फिशा आखाइ थायनैया गोजानसिम मोनहा सवा। बे समावनो कृष्णआ मोनसे सोलो खालामो। बियो मोखांनिफ्राय दाखाखौ हुगारनानै उनथिं एरसोना थायो।
कृष्णनि बे नुथायखौ नुनानै बिमाया आखाइनिफ्राय गारलाखौ गारना होयो आरो मिनिस्लु मिनिनानै गोबाना लायो। कृष्णआ उन्दै गेलेनायनि रंजानायजों गासैनिबो गोसोखौ मुहिनि फोनाङो। सुरदासा बुंदोंदि कृष्णखौ फिसा महरै मोननानै यश ‘दाया जा सुखु मोनदों, बे सुखुखौ शिब आरो ब्रह्मायाबो मोनाखै।
5. सही उत्तर [✓] में निशान लगाओ: (थार फिननायाव [✓] सिन हो।)
(क) श्रीकृष्ण धुटनों के बल चलते हुए– (श्रीकृष्णआ हान्थुखारायना थांनानै–)
(अ) रो रहा था
(गाबबाय थादोंमोन)
(आ) हँस रहा था
(मिनिगासिनो दंमोन)
(इ) किलकारी कर रहा था
(फेस्ला खालामगासिनो दंमोन)
(ई) कुछ बोल रहा था।
(माबा बुंबाय दोंमोन।)
उत्तरः (इ) किलकारी कर रहा था।
(फेस्ला खालामगासिनो दंमोन।)
(ख) नंद आँगन (नन्दनि सिथ्लाया–)
(अ) मणियों से जड़ा हुआ था
(मनिजों साजायनायमोन।)
(आ) मिट्टी से लीपा हुआ था
(हाजों लिरनाय मोन।)
(इ) संगमरमर का बना था
(मार्बल अन्थाइजों बानायनाय मोन।)
(ई) ईट का बना हुआ था।
(इथाजों बानायनाय मोन।)
उत्तरः (अ) मणियों से जड़ा हुआ था।
(मनिजों साजायनाय मोन।)
(ग) कृष्ण के मुँह पर मकखन लगा हुआ था, व्योंकि– (कृष्णनि मोखाङाव माखन नांनाय मोन, मानोना–)
(अ) ग्वाल बालकों ने उसके मुँह पर मकखन लगा दिया था।
(लावखार गथ ‘फोरा बिनि मोखाङाव माखन लागायदोंमोन।)
(आ) खिलाते समय माँ के हाथों से मकखन लगा था।
(जाहोनाय समाव बिमानि आखाइनिफ्राय माखन नांदोंमोन।)
(इ) वह मकखन चुराकर खा रहा था।
(बियो माखन सिखाव खावनानै जाबाय थादोंमोन।)
(ई) उसके साथ और भी बच्चे थे, जिनके कारण चोरी करना संभव नही था।
(बिनि लोगोआव गथ’ दंमोन, जायनि जाउनाव सिंखाव खावनाया सम्भव नङामोन।)
उत्तरः (इ) वह मकखन चुराकर खा रहा था।
(बियो माखन सिखाव खावनानै जाबाय थादोंमोन।)
6. उत्तर दो: (फिननाय हो:)
(क) नन्द के आँगन में कृष्ण किसका प्रतिबिंब पकड़ने के लिए दौड़ता था? (नन्दनि सिथ्लायाव कृष्णआ मानि साया हमनो खारथिंदोंमोन?)
उत्तरः नन्द के आँगन में कृष्ण अपना ही प्रतिबिंब पकड़ने के लिए दौड़ता था।
(नन्दनि सिथ्लायाव कृष्णआ गावनि सायखंखौ हमनानै खारथिंदोंमोन।)
(ख) कृष्ण के झुठ पकड़े जाने पर यशोदा ने क्या किया? (कृष्णआ नंखाय हमजानायाव यश ‘दाया मा खालामखो?)
उत्तर: कृष्ण के झूठ पकड़े जाने पर यशोदा ने हाथ से छड़ी फेंक दी और मुस्कुरा कर उसे गले से लगा लिया।)
(कृष्णआ नंखाय हमजानायाव यश ‘दाया आखाइनि गारलाखौ गारहरो आरो मिनिस्लु मिनिनानै अननायजों गोबाना लायो।)
(ग) यशोदा बार-बार नंद को क्यों बुलाती है? (यश ‘दाया गले-गले नन्दखौ मा बुंदों?)
उत्तरः कृष्ण की इस बाल-सुलभ दृश्य को उपयोग के लिए यशोदा बार-बार नंद बुलाती है।
(कृष्णनि बे गथ ‘नि बायगर गेलेनायखौ रंजानो यश ‘दाया गले गले नन्दखौ लेंहरदोंमोन।)
(घ) माता यशोदा बालक कृष्ण को किस तरहदूध पिलाती है? (बिमा यश ‘दाया गथ’ कृष्णखौ माबायदि गाइखेर दौदों?)
उत्तर: माता यशोदा बालक कृष्ण को एँचल के नीचे ढककर दूध पिलाती है।
(बिमा यश ‘दाया गथ’ कृष्णखौ साद्रिनि रोबैजों खोबसिननानै गाइखेर दौदोंमोन।)
(ङ) किलकारी मारकर हँसते हुए कृष्ण का सुख कैसा दिखाता है? (फेस्लायै मिनिनाय कृष्णनि मोखांखौ माबादि नुदोंमोन?)
उत्तरः किलकारी मारकर हँसते हुए कृष्ण का मुख आनन्दमय दिखाता है।
(फेस्लायै मिनिनाय कृष्णनि मोखांखौ रंजानाय नुनो मोनदोंमोन।)
(च) “मैया में नहिं माखन खायौ”- इसके समर्थन में कृष्ण क्या सफाई देता है? (“आयै आं माखन जायाखै”- बेनि मददाव कृष्णआ माबादि दाय गैयिखौ बुंनो नागिरदोंमोन?)
उत्तरः “मैया में नहिं माखन खायौ” – के समर्थन में कृष्ण यह सफाई देता है कि सभी मेरे पीछे पड़ गए और मेरे मुँह में साखन लपेट दिया है।
(“आयै आं माखन जायाखै-” बेनि मददाव कृष्णआ बेबादियै दायगैयिखौ फोरमान होनानै बुंदोंदि आंनि लोगोफोरा आंखौ सुथुर खालामनानै आंनि मोखाङाव माखन लिरना होदोंमोन।)
(छ) बालक कृष्ण ने माखन- चोरी के आरोप से बचने के लिए क्या चालाकी की? (उन्दै, कृष्णआ माखन सिखाव खावनाय दायनिफ्राय उदां जानो मा सोलो खालामदोंमोन?)
उत्तर: बालक कृष्ण ने माखन चोरी के आरोप से बचने के लिए अपने मुँह माखन पोछकर दोना पीछे छुपा लिया।
(उन्दै कृष्णआ माखन सिखाव खावनाय दायनिफ्राय उदां जानो गावनि खुगानिफ्राय माखनखौ हुगारनानै दोखौ एरसोदोंमोन।)
(ज) क्या बालक कृष्ण माखन चोरी के आरोप से बच पाया? यदि नहीं तो माता यशोदा ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया? (मा उन्दै कृष्णआ माखन सिखाव खावनाय दायनिफ्राय रैखा मोनबायना? जिदु मोनाखै अब्ला बिमा यश ‘दाया बिखौ माबोरै बाहायदोंमोन?)
उत्तर: बालक कृष्ण माखन-चोरी के आरोप से बच नहीं पाया। लेकिन जब माखन-चोरी के आरोप से बचने के लिए अपने मुँह से माखन पोछकर दोना पीछे छुपा लिया, तब माता यशोदा ने हाथ से छड़ी फेंक दिया और मुस्कुरा कर कृष्ण को गले से लगा लिया।
(उन्दै कृष्णआ माखन सिखाव खावनाय दायनिफ्राय उदां मोनो। नाथाय जेब्ला माखन सिखाव खावनाय दायनिफ्राय माखन हुगारनानै दोखौ एरसोयो, अब्ला बिमा यश ‘दाया आखाइनि मारला गारो आरो मिनिस्लु मिनिनानै कृष्णखौ बोजबना लायो।)
(झ) घुटनों के बल चलते हुए बालक कृष्ण के रूप-सौन्दर्य का अपने शब्दो में वर्णन करो। (हान्थु खारायना गिदिंथिंनाय उन्दै कृष्णनि समायना-मुस्रिखौ गावनि सोदोबजों बिजिर।)
उत्तर: शिशु कृष्ण किलकारी करते हुए नंद के आंगन में घुटनों के बल पर चल रहा है। नन्द के मणिमय और स्वर्णमय आंगन में अपनी परछाई राजत-सा दो दांतो को निकालकर किकारी करते हुए हांसता है। नन्द के आंगन की स्वर्णिम भूमि पर कृष्ण के हाथ और चरणों की चिह्न देखकर ऐसा लगता है मानो पृथ्वी प्रत्येक चरण और हाथ की प्रतिमा बनाकर उसके लिए कमलासन सजा हैं।
(उन्दै कृष्णआ फेस्ला खालामनानै नन्दनि सिथ्लायाव हान्थु खारायना गिदिंथिंदों। नन्दनि मनि आरो सनाजों साजायनाय सिथलायाव गावनि सायखंखौ हमनो खारथिों। जिदु सायखंखौ हमनो हाया अब्ला रुफाबायदि हाथाइ थायनैखौ दिहुननानै फेस्लायै मिनियो। नन्दनि सिथ्लानि स ‘नाजों साजायनाय हानि सायाव कृष्णनि आखाइ आरो आथिंनि सिनफोरखौ नुयोब्ला एरैबादि मोनो दि बुहुमा थोंफ्रोम आथिं आरो आखाइनि मुसुखा बानायनानै बिनि थाखाय रैरुब मासि साजायदों।)
भाषा-अध्यायन (राव-फरायसंनाय)
1. कुछ शब्द उच्चारण की दृष्टि से इतने मिलते-जुलते हैं कि प्रयोगकर्ता उन्हें एक ही मान बैठते है, जबकि उनका अर्थ एक दुसरे से पूर्णतः भिन्न होता है। उदाहरण के लिए इन्हें देखो–
(खायसे बाथ्राया रिंसारनि नोजोरजों एसेबां गोरोबो दि बाहायग्राया बेफोरखौ एखे होनना सानना लायो, जेब्ला बेफोरनि ओंथिया गुबुन मोनसेनिख्रुइ फुरा गुबुन जायो। बिंदिन्थि महरै बेफोरखौ नाय।)
अंश | भाग (बाहागो) |
अंस | कंधा (फाफ्लि) |
क्रीत | खरीदा हुआ (बायनाय ) |
कृत | किया हुआ (खालामनाय) |
तरणि | सूर्य (सान) |
तरणी | नौका (नाव) |
अब, निम्नलिखित शब्द – युग्मों अंतर के जानने की कोशिश करो और कापी में लिखकर शिक्षक/शिक्षिका को दिखाओ:
(दानिया गाहाइयाव लिरनाय सोदोब – फाराग मिथिहोनो नाजा आरो लेखा बिलाइयाव लिरनानै फोरोंगिरि/फरायसाफोरखौ दिन्थि।)
उत्तरः
अन्न | आहार, खाद्य (आदार, खाजा) |
अन्य | दुसरा (गुबुन) |
अणु | कण (अनु) |
अनु | पीछे (उनाव) |
आदि | पहला (गिबि) |
आदी | अभ्यास्त, अदर्श (हुदा जानाय, नेरसोनथि गोनां) |
कुल | वंश (फोलेर) |
कूल | किनारा (फार, सेर) |
जलद | बादल (जोमै) |
जलज | कमल (फामि) |
नीर | जल (दै) |
नीड़ | घोसल (दावनि बासा) |
सुत | पूत्र, बेटा (फिसा, फिसाज्ला) |
सूत | धागा (खुन्दु) |
बात | कथा, वचन (बाथ्रा, बचन्) |
वात | अग्नि, आग (अर) |
दिन | दिवस (सान) |
दीन | गरीब (निखाउरि) |
अतिरिक्त:
अभिराम | सुन्दर (समायना) |
अविराम | लगातार (एरा-गारा) |
पानी | जल (दै) |
पाणि | कर, हाथ (आखाइ) |
अलि | भौरा (बम्ब ‘मा) |
अली | सहेली (लोगोरी) |
परिमाण | मात्रा (मात्रा) |
परिनाम | फल (फिथाइ) |
प्रतिमा | मूर्ति (मुसुखा) |
प्रतिभा | बुद्धि (सोलो) |
शंकर | शिव (शिव) |
संकर | जारज (जारज) |
लक्ष | लाख (लाख) |
लक्ष्य | उद्देश्य (थांखि) |
अनुकरण | नकल करना (नखल खालामनाय) |
अनुसरण | पीछे चलना (उन उन थांनाय) |
आहार | भोजन (आदार, खाजा) |
आहर | दिन (सान) |
कलि | कलियोग (कलिजुग) |
कली | फुलो की कलिया (बिबारनि फाइखि) |
2. ‘कृष्ण’ शब्दों के पाँच पर्यायवाची शब्द लिखो। (‘कृष्ण’ सोदोबनि मोनबा पयर्यवाची सोदोब लिर।)
उत्तरः कृष्ण : कान्हा, माधव, यदुमणि, केशव, पीताम्बर, वनमाली आदि।
Chapter No. | CONTENTS |
खोन्दो – 1 | भारता जोंनि जिवनिख्रुइ आंगो |
खोन्दो – 2 | कास्मीरनि आपेल |
खोन्दो – 3 | मेडम मेरी क्युरी |
खोन्दो – 4 | हारव’ रनि सेराव खुवा दं |
खोन्दो – 5 | बिनो दा बुं |
खोन्दो – 6 | भारतआरी देंखोनि मोनसे |
खोन्दो – 7 | गिबि थोबथिं / थरथिं |
खोन्दो – 8 | भारत नायदिनाय |
खोन्दो – 9 | जेरै खामानि एरै फिथाइ |
खोन्दो – 10 | गोकुल लीला |
खोन्दो – 11 | भारतनि रावारि खौसेथि |
खोन्दो – 12 | बानाननि मोगामोगि |
खोन्दो – 13 | आंनि गोदान उन्दै सम |
खोन्दो – 14 | आं गोख्रों बुरलुंबुथुर |