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New SEBA Class 8 Hindi Notes Chapter 11 भारतनि रावारि खौसेथि
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खोन्दो 11 भारतनि रावारि खौसेथि
Chapter 11 भारत की भाषिक एकता
अभ्यास माला (उनसोलों)
पाठ से (फरानिफ्राय)
1. पाठ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब दो: (फरानि सायाव गाहाइनि लिरनाय सोंथिफोरनि फिननाय हो:)
(क) संसार का सबसे पहला ग्रंथ कौन-सा है? (बुहुमनि बयनिख्रुइ गिबि बिजाबा बबे-गांसेया?)
उत्तरः संसार का सबसे पहला ग्रथ ‘वेद’ है।
(बहुमनि बयनिख्रुइ गिबि बिजाबा जाबाय ‘बेद’।)
(ख) कालिदास ने किस भाषा में रचना की थी? (कालिदासा मा रावाव लिरदोंमोन?)
उत्तरः कालिदास ने संस्कृत भाषा में रचना की थी।
(कालिदासा संकृत रावाव लिरदोंमोन।)
(ग) आर्य मूल की भाषाओं और अनार्य मूल की भाषाओं के दो-दो उदाहरण प्रस्तुत करो। (आर्य गुबै राव आरो अनार्य गुबै राव मोननै मोननैयै बिदिन्थि थियारि खालाम।)
उत्तरः आर्य मूल की भाषाएँ: असमीया, उड़िया, बंगाली, बिहारी आदि। और अनार्य।
मूल की भाषाएँ: तामिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम आदि।
(घ) किन तत्वों के कारण भारतीय भाषाओं में एकता का भाव परिलक्षित होता है, उल्लेख करो। (मा सानथौनि थाखाय भारतारि रावाव खौसेथिनि सानदांथि नुनो मोनो, मुंख’)।
उत्तरः भारत में अलग-अलग भाषाओं के वोलने वाले लोग रहते है। पर इन भाषाओं में कुछ ऐसे तत्व साहित हैं, जिनके कारण एक भाषा बोलने वाले लोग दुसरे भाषा बोलने वालो लोगोम की बाते कुछ-न-कुछ तो समझ ही लेते हैं, उनकी भाषा भी कुछ-कुछ जानी-पहचानी सी लगती है। इन तत्वों ने ही भारतीय बाषाओं को एकता के सूत्र में बांध रखा है।
(भारताव गुबुन गुबुन राव बुंनाय मानसि थायो। नाथाय बे रावफौराव खायसे एैरै सानथौ हाबसोना दं, जायनि थाखाय मोनसे राव बुंनाय मानसिया गुबुन राव बुंनाय मानसिनि बाथ्राखौ माबा नङा माबा बुजि मोनो, बिसोरनि रावखौबो खायसे खायसे खोनानाय बादि मोनो। बे सानथौआनो भारतारि रावखौ खौसेथिनि बुंफोरथिजों खाबथाना लाखिदों।)
(ङ) हिन्दी भाषा की लिपि को क्या कहते है? इस लिपि का विकास किस प्राचीन लिपि से माना जाता है? (हिन्दी रावनि हांखोखौ मा होनना बुंनाय जायो? बे हांखोनि गेवलांसारनाया माबे रोखोमनि गोजाम हांखोनिफ्राय जानाय होनना मानिना लानाय जादों?)
उत्तरः हिन्दी भाषा की लिपि को ‘देवनागरी’ लिपि कहते है। इस लिपि का विकास प्राचीन ब्राहनी लिपि से हुआ है।
(हिन्दी रावनि हांखोखौ ‘देवनागरी’ हांखो होनना बुंनाय जायो। बज हांखोनि गेवलांसारनाया गोजाम हांखो “ब्राह्मी” निफ्राय जादों।)
(च) पाठ में कुछ तत्सम शब्दों का उल्लेख हुआ है, जैसे स्वर्म, देवता, शत, पुष्प, प्रिय, चतुर्थ मध्य, वचन, नव आदि। इस प्रकार के कुछ और शब्द खोजकर एक तालिका बनाओ। (फरायाव खायसे तत्सम सोदोबनि मुंख ‘नाय जादों, जेरै- स्वर्ग, देवता, शत, पुष्ण, प्रिय, चतुर्थ, मध्य, बचन, नव आरि। बे रोखोमनि खायसे आरो सोदोब नागिरना मोनसे फारिलाइ बानाय।)
उत्तरः पाठ में अतिरिक्त तत्सम शब्द ये है- पंचतंत्र, वेद, शिष्य आदि।
(छ) हिन्दी में अनेक विदेशी भाषाओं के शब्द प्रयोग होने लगे हैं। हिन्दी मे सामान्यत: व्यवहार होते रहने वाले कुछ अंग्रेज़ी और कुछ अरबी फारसी शब्दों के उदाहरण दो। (हिन्दीयाव गोबां गुबुनारि रावनि सोदोब बाहायजानो हमदों। हिन्दीया सरासनम्रायै आरबी, फरासी सोदोबनि, बिदिन्थि हो।)
उत्तरः हिन्दी में अनेक विदेशी भाषाओं के शब्द प्रयोग होने लगे हैं। हिन्दी में सामान्यतः व्यवहार होते रहने वाले विदेशी शब्द–
अंग्रेजी — स्कूल, अलमारी, स्टेशन, साइकिल आदि।
अरवी-फारसी — किताब, कलम, कागज, चश्मा, दुनिया आदि शब्द।
(हिन्दीयाव गोबां गुबुनारि सोदोबनि बाहायनाया जानो हमदों। हिन्दीयाव सरासनस्रायै बाहायजाबाय थानाय गुबुनारि सोदोब-
इंराजि – स्कुल, आलमारी, स्टेचन, साइकेल।
आरबी-फाची – बिजाब, कलम, कागज, चचमा, दुनिया आरि सोदोब।
(ज) आधुनिक भारतीय भाषाओं में सबसे पहले किस भाषा में रामायण का अनुवाद हुआ था? बाद में किन किन भाषाओं में रामायण का अनुवाद हुआ और उनके अनुवादक कौन कौन थे? (गोदान भारतारि रावनि गेजेराव बयनिख्रुइबो सिगाङाव मा रावाव रामायनखौ दानस्लायनाय जादोंमोन? उनाव मा मा रावाव रामायनखौ दानस्लायनाय जाखो आरो दानस्लायगिरिफोरा सोर सोरमोन?)
उत्तरः आधुनिक भारतीय भाषाओं मे सबसे पहले तामिल भाषा में कंबन रामायण का अनुबाद हुआ था। इसके वाद में माधव कन्डलि ने असमीया भाषा मे और तुलसी दास ने अबधी भाषा में ‘रामचरितमानस’ लिखा।
(गोदान भारतारि रावफोरनि गेजेराव बयनिख्रुइ सिगाङाव तामिल रावाव कुम्बना रामायन दानस्लायदोंमोन। बेनि उनाव असमीया रावाव माधव कन्दलि आरो तुलसी दासा “अबधी” रावाव “रामचरितमानस” लिरदोंमोन।)
(झ) आधुनिक भारतीय भाषाओं में पारस्परिक अनुवाद होते रहे। कुछ अनूदित ग्रंथों के नाम लिखो ओर किस भाषा से किस भाषा में अनुवाद किया गया है, इसका भी उल्लेख करें। (गोदान भारतारि रावाव गावजों गाव दानस्लायनाया जाबाय थादों। गांनैसो दानस्लायनाय बिजाबनि मुं लिर आरो मा रावनिफ्राय मा रावसिम दानस्लायनाय जादों बेनि मुंख’)
उत्तरः आधुनिक भारतीय भाषाओं में पारस्परिक अनुवाद होते रहे। कुछ अनुदित ग्रंथो के नाम और किस भाषा से किस भाषा में अनुवाद किया गया है, इसका उल्लेख नीचे किया गया है–
(गोदान भारतारि रावफोरनि गेजेराव गावजों गाव दानस्लायनाया जाबाय थादों। गांनैसो दानस्लायनाय बिजाबनि मुं आरो मा रावनिफ्राय मा रावसिम दानस्लायनाय जादों, बेनि मुंख ‘नायखौ गाहायाव होनाय जाबाय–)
ग्रंथो के नाम | मूलभाषा | अनुदित भाषा |
रामायण | संस्कृत | तामिल, असमीया, अवधी आदि। |
श्रीमद भागवत | संस्कृत | हिन्दी, असमीया, बांग्ला, उड़िया। |
महाभारत | संस्कृत | हिन्दी, असमीया, बांग्ला, उड़िया। |
पंचतंत्र | संस्कृत | हिन्दी, असमीया, बांग्ला, उड़िया। |
हितोपदेश | संस्कृत | हिन्दी, असमीया, बांग्ला, उड़िया। |
(ञ) आओ, इन तद्रभव शब्दों के तत्सम रूप लिखे: (‘तदभव’ सोदोबफोरखौ तत्सम महराव लिरनि फै।)
उत्तरः तद्भव शब्दों के तत्सम रुप–
तद्रभव | तत्सम |
पिता | पितृ |
माता | मातृ |
भाई | भातृ |
घर | गृह |
हाथ | हस्ट |
पाँव | पगपद |
मोर | मयुर |
पाठ के आस-पास (फरानि सेर-सेर)
1. कहा जाता है कि विविधता में एकता भारतवर्ष की एक प्रमुख विशेषता है। तुम्हें हमारे देश में कैसी-कैसी विविधताएँ नजर आती है और उन विविधताओं के बीच एकता के तत्व क्या क्या हो सकते है? चर्चा करो। (बुंनाय जायोदि बायदिसिनानि गेजेराव खौसेथिया भारतबर्षनि मोनसे मुंखजाथाव आखुथाय।” नों जोंनि हादराव मा मा बायदिसिना नदों आरो बायदिसिनानि गेजेराव खौसेथिनि सानथौआ माबोरै जानो हायो- सावराय।)
उत्तर: विविधता में एकता भारतवर्ष की एक प्रमुख विशेषता है। भाषा और संस्कृत क्षेत्र में यही विविधता परिलक्षित होती है। भारत वर्ष में डेढ़ हजार से अधिक भाषाएँ बोली जाती है। पर इन भाषाओं में कुछ ऐसे तत्व समाहित हैं, जिनके कारण एक भाषा बोलने वाले लोग दुसरी भाषा बोलने वाले लोगों की बातें कुछ-न-कुछ तो समय ही लेते हैं, उन की भाषा भी कुछ कुछ जानी पहचानी-सी लगती है। इन तत्वों ने भारतीय भाषाओं की एकता के सूत्र में बांध रखा है।
(बायदिसिनानि गेजेराव खौसेथिया भारतबर्षनि मोनसे मुंख ‘जाथाव आखुधाइ। राव आरो हारिमुनि बिथिङाव बे बायदिसिनाखौ नुनो थाङो भारतवर्षआ से-खावसे रोजानिख्रुइबो बांसिन राव दं। नाथाय बे रावफोराव खायसे एरैबादि सानथौ हावना दं, जायनि थाखाय मोनसे राव बुंनाय मानसिया गुबुन राव बुंनाय गुबुन मानसिनि रावखौ माबा नङा माबा बुजि मोनो, बिसोरनि रावआव खोनानाय खोनानाय बादि मोनो। बे सानथौफोरा भारतारि रावफोरखौ खौसेथिनि बुंफोरलुज खाबथाना लाखिदों।)
2. भारत की विभिन्न भाषाओं में रचित उत्कृष्ट साहित्य को विशिष्ट पुरस्कार या सन्मान स्वीकृति से दी जाती है। ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य ‘अकादमी पुरस्कार आदि इस प्रकार के पुरस्कारों के उदाहरण है। नीचे दिए गए प्रारूप के एक तालिका बनाओ– (भारतनि गुबुन गुबुन रावआव रनसायनाय साबसिन थुनलाइयारि लिरगिरिफोरखौ बान्था एबा सन्मानजों गनायथि होनाय जायो। ज्ञानपीठ बान्था, साहित्य एकाडेमी बान्था आरि बे रोखोमनि बान्थानि बिदिन्थि दं। गाहाइयाव होनाय नमुनानि मोनसे फारिलाइ बानाय।)
भाषा | साहित्यकार | पुरस्कार/सन्मान |
असमीया | डाँ० वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य | ज्ञानपीठ पुरस्कार |
उत्तर:
भाषा | साहित्यकार | पुरस्कार/सन्मान |
असमीया | डाँ० वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य | ज्ञानपीठ, अकादमी |
असमीया | डाँ० मामनि रायसम गोस्वामी | ज्ञानपीठ, अकादमी |
हिन्दी | सुमित्रानन्दन पंत | ज्ञानपीठ, अकादमी |
हिन्दी | नरेश मेहता | ज्ञानपीठ, अकादमी |
हिन्दी | रामधारी सिंह दिनकर | ज्ञानपीठ, अकादमी |
हिन्दी | महादेवी वर्मा | अकादमी |
हिन्दी | सुदामा पांडे धुमिल | अकादमी |
असमीया | यतीन्द्रनाथ दुवारा | अकादमी |
असमीया | बेनुधर शर्मा | अकादमी |
असमीया | बिरिंची कुमार बरुवा | अकादमी |
असमीया | अंविका गिरि राय चौधुरी | अकादमी |
असमीया | त्रैलोक्य नाथ गोस्वामी | अकादमी |
असमीया | नलिनीबाला देवी | अकादमी |
असमीया | अतुल चन्द्र हाजरिका | अकादमी |
असमीया | लक्ष्मीनाथ फुकून | अकादमी |
असमीया | चैयद अब्दुल मालिक | अकादमी |
असमीया | सौरभ कुमार चलिहा | अकादमी |
असमीया | नवकांत वरुवा | अकादमी |
असमीया | भवेन्द्र चन्द्र बरुवा | अकादमी |
3. भारत में अनेक समाचार पत्र और पत्रिकाएँ प्रकाशित होते है। विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होनेवाले समाचार पत्र और पत्रिकाएँ खोजो और उनसे संबंधित तथ्यो को जानकारी निम्नलिखित प्रारुप में लिखो। तुम्हारी सहायता के लिए उदाहरण दिया गया। (भारताव गोबां रादाब बिलाइ आरो लाइसि फोसावनाय जायो। गुबुन गुबुन रावाव फोसावजानाय रादाब बिलाइ आरो लाइसि नागिर आरो बेनि लोगोआव सोमोन्दो थानाय तथ्यफोरखौ गाहाइयाव लिरनाय नमुनायाव लिर। नोंनि हेफाजाबनि थाखाय मोनसे बिदिन्थि होनाय जादों।)
नाम | अवधिकता | संपादक का नाम | स्थान | |
1. पूर्वाचल प्रहरी | दैनिक | श्री जी.एल. अग्रवाला | गुवाहाटी |
उत्तर:
नाम | अवधिकता | संपादक का नाम | स्थान | |
1 | पूर्वाचल प्रहरी | दैनिक | जी.एल.अग्रवाला | गुवाहाटी |
2 | दैनिक असम | दैनिक | गुवाहाटी | |
3 | अग्रदूत | दैनिक | कनक सेन डेका | गुवाहाटी |
4 | प्रतिदिन | दैनिक | हाइदर हुसेन | गुवाहाटी डिब्रुगड़, उत्तर लक्ष्मिमपुर, बगाईगाँव |
5 | जिज्ञास | साप्ताहिक | डॉ० कुलेन्द्र पाठक | गुवाहाटी |
6 | आमार असम | दैनिक | गुवाहाटी | |
7 | आजिर दैनिक बातरि | दैनिक | मिहिर डेउरी | गुवाहाटी, शिवसागर |
8 | खबर | दैनिक | मोजाहिदुल हक | गुवाहाटी, जोरहाट |
भाषा अध्ययन (राव फरायसंनाय)
1. तुमलोग वाक्य के तीन प्रकार- सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य और मिश्र वाक्य के बार में जान चुके हो। अब एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है उसका उदाहरण देखो और समझो (नोसोर रावनि मोनथाम रोखोम- गोरलै, दाजाब आरो गलायथा रावनि सोमोन्दै मिथिबाय। दानिया मोनसे रोखोमनि बाथ्राखौ माबोरै नैथि बाथ्रायाव सोलायनो हायो बेनि बिदिन्थिफोरखौ नाय आरो बुजिना ला।)
(क) सूर्योदय होने पर पक्षी बोलने लगे। (सरल वाक्य)
सूर्योदय हुआ और पक्षी बोलने लगे। (संयुक्त वाक्य)
(ख) स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते है। (सरल वाक्य)
जो व्यक्ति स्वालंबी होते है, वे सदा सुखी रहते है। (मिश्र वाक्य)
(ग) नीरजा ने कहानी सुनाई और नमिता रो पड़ी। (संयुक्त वाक्य)
नीरजा ने ऐसी कहानी सुनाई कि नमिता रो पड़ी (मिश्र वाक्य)
2. नीचे लिखे वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित करके फिर से लिखो: (गाहाइयाव लिरनाय बाथ्राफोरखौ दिथाबादियै सोलायनानै फिन लिरफिन।)
1. जो लोग परिश्रम करते है, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (सरल वाक्य में) (जाय सुबुङा खामानि मावो, बियो गोबां समसिम गोसोबायनो गोनां जाया (गोरलै बाथ्रा)
उत्तरः परिश्रमी लोग अधिक समय तक निराश नही होना पड़ता।
(खामानि मावग्रा सुबुङा गोबां समसिम गोसोबायनो गोनां जाया)
2. मैंने एक दुबला-पतला व्यक्ति देखा। (मिश्र वाक्य में) (आं सासे लोरवां रानथिं मानसि नुर्दों (गलाथा बाथ्रा)
उत्तरः मैंने एक वेसा दुबला व्कक्टि देखा जो पतला भी था।
(आं सासे एरैबादि लोरबां मानसि मुदों, जाय रानथिं मोनबो।)
3. वह खाना खाकर सो गया (संयुक्त वाक्य में।) (बियो खाजा जानाने उन्दुबाय (दाजाब बाथ्रायाव)
उत्तरः वह खाना खाया और सो गया।
(बियो खाजा जाबाय आरो उन्दुबाय।)
4. जिनकी आय कम है, उन्हें मितव्ययी होना चाहिए। (सरल वाक्य में) (जायफोरनि आरजिनाया खम, बिसोर आखाइ हमथाना सोलिग्रा जानांगो (गोरलै बाथ्रायाव)
उत्तरः कम आय वाले तिव्ययी होना चाहिए।
(खम आरजिनाय सुबुङा आखाइ हमथाना सोलिग्रा जानांगौ।)
5. मेरे घर पहुँचने पर पिताजी आए (मिश्र वाक्य में) (आं न’ सहनायनि उनाव आफाया फैबाय। (गलायथा बाथ्रायाव)
उत्तर: जब मैंने घर पहुंचा तब पिताजी आए।
(जेब्ला आंन’ मोनहैदोंमोन, अब्ला आफाया फैबाय।)
6. बालिका गा और नाच रही है। (सरल वाक्य में) (हिनजावसाया खनगासिनो आरो मोसागासिनो दं।)
उत्तर: वालिका नाच-गान कर रही है।
(हिनजावसाया खननाय आरो मोसानाय खालामगासिनो दं।)
Chapter No. | CONTENTS |
खोन्दो – 1 | भारता जोंनि जिवनिख्रुइ आंगो |
खोन्दो – 2 | कास्मीरनि आपेल |
खोन्दो – 3 | मेडम मेरी क्युरी |
खोन्दो – 4 | हारव’ रनि सेराव खुवा दं |
खोन्दो – 5 | बिनो दा बुं |
खोन्दो – 6 | भारतआरी देंखोनि मोनसे |
खोन्दो – 7 | गिबि थोबथिं / थरथिं |
खोन्दो – 8 | भारत नायदिनाय |
खोन्दो – 9 | जेरै खामानि एरै फिथाइ |
खोन्दो – 10 | गोकुल लीला |
खोन्दो – 11 | भारतनि रावारि खौसेथि |
खोन्दो – 12 | बानाननि मोगामोगि |
खोन्दो – 13 | आंनि गोदान उन्दै सम |
खोन्दो – 14 | आं गोख्रों बुरलुंबुथुर |