SEBA Class 10 Hindi In Bodo Chapter 11 कायर मत बन

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Class 10 Hindi Chapter 11 कायर मत बन

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खोन्दो 11 कायर मत बन

Chapter 11 कायर मत बन

अभ्यासमाला

बोध एवं विचार (बिजिरनाय:)

1. सही’ या ‘गलत’ रूप में उत्तर दो: 

(थार आरो नंखाय महरखौ फिन हो।

(क) कवि नरेंद्र शर्मा व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।

(खन्थाइगिरि नरेंद्र शर्माया गावारि खन्थाइगिरि महरै मुंदांखा।)

उत्तर: सही।

(ख) नरेंद्र शर्मा की कविताओं में भक्ति एवं वैराग्य के स्वरं प्रमुख हैं।

(नरेंद्र शर्मानि खन्थाइयाव सिबिनाय आरो बैरागिनि देंखोआनो गुबै।)

उत्तर: गलत।

(ग) पंडित नरेंद्र शर्मा की गीति-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे थे।

(पंडित नरेंद्र शर्मानि मेथाइ बिहोमानि सानथौआ उन्दै बैसोनिफ्रायनो जादोंमोन।)

उत्तरः सही।

(घ) ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता में कवि प्रतिहिंसा से दूर रहने का उपदेश दिया है।

(‘गिख’ दाजा’ खन्थाइयाव खन्थाइगिरिया हिंसा खालामफिननायनिफ्राय गोजानाव थानो खावलायदों।)

उत्तर: गलत।

(ङ) कवि ने माना है कि प्रतिहिंसा व्यक्ति की कमजोरी को दर्शाती है।

(खन्थाइगिरिया गनायदोंदि हिंसायाव हिंसा खालाम फिननाया मानसिनि लोरबांथिखौ सिनायथि होयो।)

उत्तरः सही।

2. पुर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(आबुं बाथ्राजों फिननाय हो:)

(क) कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?

(खन्थाइगिरि नरेंद्र शर्मानि जोनोमा बबेयाव जादोंमोन?)

उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म सन् 1913 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलांतर्गत जहाँगीर नामक स्थान में हुआ था।

(ख) कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे?

(खन्थाइगिरि नरेंद्र शर्माया आकाशवाणीनि बबे हाबाफारिनि बिथोनगिरि महरै थिसनजादोंमोन?)

उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आकासवाणी के विविध भारती कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे।

(ग) ‘द्रौपदी’ खंड काव्य के रचयिता कौन हैं?

(द्रौपदी खन्थाइ खोन्दोनि रनसायगिरिया सोर?)

उत्तर: ‘द्रौपदी’ खंड काव्य के रचयिता नरेंद्र शर्मा है। 

(घ) कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है? 

(खन्थाइगिरिया सोरखौ नागारनो बाथ्रा बुंदों?)

उत्तर: कवि ने कायरता को ठौकर मारने की बात कही है। 

(ङ) मानवता ने मनुष्य को किस प्रकार सींचा है? 

(सुबुंधिया मानसिखौ माबोरै बोबोदों?)

उत्तर: मानवता ने मनुष्य को खून-पसीने से सोंचा है।

(च) व्यक्ति को किसके समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए?

(मानसिया सोरनि सिगाङाव गावखौ गथाय नाङा?)

उत्तरः व्यक्ति के दुष्ट के समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए।

3. अति संक्षिप्त उत्तर दो: (लगभग 25 शब्दों में:)

(गुसुरै फिन हो 25 सोदोबनि गेजेराव)

(क) कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं की विषयगत विविधता पर प्रकाश डालिए।

(खन्थाइगिरि नरेंद्र शर्मानि मेथाइफोर एबा खन्थाइफोरनि आयदानि सायाव बिजिर।)

उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा हिन्दी साहित्य में व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध है। व्यक्तिगत प्रणयानुभूति, विरह-मिलन सुख दुःख के भाव, प्रकृति-सौंदर्य, आध्यात्मिकता, रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय भावना और समाजिक विषमता के चित्रन कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं को बिषयगत विविधता है।

(ख) नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा पर टिप्पाणी प्रस्तुत करो।

(नरेंद्र शर्मा जी नि खन्थाइयारि रावनि सायाव लिरसुंथाइ लिर।) 

उत्तर: नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लय लययुक्त खड़ी बोली है। उन्होंने सहज प्रवाहमयी भाषा के जरिए कोमल कठोर दोनों ही प्रकार के भावों को बखूबी आभिव्यक्ति दी है। उनके साहित्य मधुर्य, प्रसाद और ओज तीनें गुणों का संचार हुआ है। आत्मीयता, चित्रात्मकता और सहज आलंकारिकता उनकी काव्य-भाषा के तीन निराले गुण है।

(ग) कवि ने कैसे जीवन को जीवन नहीं माना है?

(खन्थाइगिरिया मा बादि जिउखौ जिउ नङा बुदों?)

उत्तर: जो लोग कायर है तथा जीवन के साछ समझौता करके जी रहे हैं, कवि ने ऐसे लोगों के जीवन को जीवन नहीं माना है। इसलिए कवि ने मनुष्य मात्र से यह आग्रह किया है कि उसके मार्ग पर आनेवाली बाधाओं से वह साहस और दृढ़ता के साथ लड़े, कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश होकर माथा न पटके, कभी दुःख के आँसू न बहाए बल्कि साहस के साथ उनका सामना कर मानवता की रक्षा करें।

(घ) कवि ने कायरता को प्रतिहिंसा से अधिक अपवित्र क्यों कहा है?

(खन्थाइगिरिया गिख ‘खौ मानो हिंसायाव हिंसा खालाम फिननायनिखुइबो मुगैथाव बुंदों?)

उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा जी ने कहा है कि हिंसा के बदले की जानेवाली हिंसा मनुष्य की कमजोरी को दर्शाती है, परन्तु कायरता उससे भी अदिक अपवित्र है। मानवता सबसे अमूल्य है, श्रेष्ठ है। उसकी रक्षा केवल साहस तथा आत्म- बलिदान से ही संभव है। कायर लोग इन सबसे दूर भागते हैं। इसलिए कवि ने कायरता को अपवित्र माना है।

(ङ) कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप क्या है?

(खन्थाइगिरिनि नोजोराव जिउनि सैथोनि थार जखाया मा?) 

उत्तर: कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप है मानवता की रक्षा करना । इसकी रक्षा आत्म-बलिदान तथा आत्म-समर्पण से ही संभव है, जो कोई साहसी ही कर सकता है। इसलिए कवि ने लोगो से लोगों से यह आग्रह किया है कि वह कभी भी कायर न बनो तथा साहस के साथ बाधाओं का सामना कर मानवता की रक्षा करे।

4. संक्षेप में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में:)

(सुंद’यै फिन हो फ्राय 50 सोदोबनि गेजेराव:)

(क) ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता का संदेश क्या है?

(गिख’ दाजा खन्थाइनि गुबै खौरांआ मा?)

उत्तर: ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता का संदेश यही है कि लोगों को कभी भी कायर नहीं बनना चाहिए। उन्हें चाहिए कि उसके मार्ग पर आनेवाली बाधाओं से वह साहस और दृढ़ता के साथ लड़े, कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश न हुए, रोए नहीं तथा कभी दुःख के आँसू न पीए। बल्कि मानवता की रक्षा के लिए आत्म-बलिदान दें और उसे अमर बनाए। अहिंसा की दुहाई देकर कभी भी उससे मुँह न फेरे तथा दुष्ट को अगर प्यार से समझाया न जा सके तो उसका जवाब प्रतिहिंसा से देना चाहिए।

(ख) ‘कुछ न करेगा? किया करेगा-रे मनुष्य- बस कातर क्रंदन’- आशय स्पष्ट करो।

(बे खन्थाइ लारिनि ओंथिया मा?)

उत्तरः उक्त पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते है कि हे मनुष्य, तुम कायर मत बनो। बल्कि उनके मार्ग में आनेवाली प्रत्येक बाधाओं का दृढ़ता तथा साहस के साथ सामना करे, कभी भी उनसे समझौता न करे, निराश होकर न भागे तथा कभी रोए नहीं और दुःख के आँसू न पीए। मानवता की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करे, क्योंकि मानवता से श्रेष्ठ तथा इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है। सत्य तो यही है कि व्यक्ति के आत्म-बलिदान से ही मानवता अमर बनती है। इसलिए कवि उक्त पँक्ति के माध्यम से लोगों को मानवता की रक्षा के लिए प्रेरित किया है।

(ग) ‘या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर’- का तात्पर्य बताओ।

(बे खन्थाइ सिरिनि ओंथिखौ बेखेव।)

उत्तर: मानव के सफलता के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती है। समाज में ऐसे लोगों की कभी नहीं है जो दूसरों को घृणा, हिंसा की से देखते हैं तथा उनकी राह रोकने के लिए अनेक बाधाएँ उपस्थित करते हैं। ऐसी स्थिति में लोगो को चाहिए कि या तो प्यार के बल पर हिंसा करनेवाले को जीत ले, नहीं तो उसकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दे। किसी भी स्थिति में अहिंसा की दुहाई देते हुए पीठ फेर कर वह न भागे।

(घ) कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता क्यों कहा है? 

(खन्थाइगिरिया हिंसायाव हिंसा खालामनायखौ मानो लोरबांथि बुंदों?)

उत्तर: प्रतिहिंसा, हिंसा के बदले की जानेवाली एक एसा भावना है जो व्यक्ति को कुछ भी कराने के लिए मजबूर करते हैं। महान वही बनते है, जिसके दिल में प्यार, है करूणा, दया, ममता आदि सात्विक गुण हैं। इनमें से प्यार ही एक ऐसा गुण जिसके द्वारा घृणा, हिंसा आदि भावों पर विजय पा सकते हैं तथा महान भी वही बनता है जो हिंसा करनेवालों को भी प्यार से गले लगा सकते है। किन्तु अगर कोई प्यार से न समझे तो उसके लिए हिंसा का सहारा लेना अनिवार्य है, लेकिन यह एक कमजोरी है। इस कमजोरी में अन्य कुछ कलंकित भावना भी जन्म दे सकता है। इसलिए कवि ने प्रतिहिंसा की व्यक्ति को दुर्बलता कहा है।

5. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में:)

(फ्राय 100 सोदोबनि गेजेराव फिन हो।)

(क) सज्जन और दुर्जन के प्रति मनुष्य के व्यवहार कैसे होने चाहिए? पठित ‘कायर मत बन’ कविता के आधार पर उत्तर दो। 

(थार मानसि आरो थिउरिया मानसिनि फारसे मानसिनि बाहायथिया माबोरै जानांगौ। कायर मत बनो खन्थाइनिफ्राय फिननाय हो।)

उत्तरः कवि नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित ‘कायर मत बन’ कविता का दृष्टिकोण मानतावादी रही है। सज्जन व्यक्ति के प्रति कवि ने कहा है कि उन्हें कभी कायर नहीं बनना चाहिए। कवि ने मनुष्य मात्र से यह आग्रह किया है कि मानवता की रक्षा के मार्ग में आनेवाली प्रत्येक बाधाओं का सामना वह साहस तथा दृढ़ता से करे, कभी निराश होकर पीछे न हटे, माथा न पटके, कभी रोए गिड़गिड़ाए नहीं और कभी भी दुःख के आँसू न पीए। सच तो यही है कि आत्म-बलिदान तथा आत्म-समर्पण से ही मानवता अमर बनती है।

दूसरी और दुर्जन लोगों के प्रति भी हमारा व्यवहार प्रेमपूर्वक ही होना चाहिए। किन्तु, वह यदि प्रेम से न मानें, तो कवि ने उसकी हिंसा न जवाब प्रतिहिंसा से देने के लिए कहा है। लेकिन किसी भी स्थिति में अहिंसा की दुहाई देते हुए उससे भागना नहीं चाहिए। यद्यपि प्रतिहिंसा व्याक्ति की कमजोरी को दर्शाती है, फिर भी यह कायरता से अच्छा है, क्योंकि कायरती इससे भी अधिक अपवित्र है।

अतः मानवता के लिए उचित यही है कि वह कभी भी कायर न बने और अपना सबकुछ मानवता पर अर्पण कर दे।

(ख) ‘कायर मत बन’ कविता सारांश लिखो।

(‘कायर मत बन’ खन्थाइनि गुबै रावखौ लिर।)

उत्तरः प्रस्तुत कविता में एक मानवतावादी कविता है, जिसके रचयिता हिन्दी साहित्य में गीतिकवि रूप में ख्यात नरेंद्र शर्मा जी है। इस कविता में कवि ने पुरुषार्थ, साहस एवं अडिग-अविचल भाव का संदेश मिलता है।

कवि कहते है कि हे, मनुष्य कभी भी कायर मत बनो। अगर कोई तुमहारा रास्ता रोकने की कोशिश करे तो उसके सामने कभी भी सिर न झुकाओ, उस बाधा को ठोकर मारो, किन्तु कायर न बनो, बल्कि साहस से उन बाधाओं का सामना कर उस पर विजय प्राप्त करो।

जीवन से समझौता कर जीना तथा गम के आँसु पीकर जीने से तो मरना ही अच्छा है। युगों से ही मानवता ने लोगों को खून-पसीने से सोंचा है, उनका उद्धार किया है। कुछ भीन करके, कायर भाँति अपने दुःखों के लिए रोकर जीने सो तो मृत्यु हो श्रेष्ठ है। युद्ध देहि, अर्थात लड़ाई करो कहकर यदि कोई हमारी रास्ता रोकने की कोशिश करता है तो उसे अहिंसा की दुहाई देकर पीठ फेरना नहीं चाहिए किया तो प्यार के बल पर उसे जीत ले, नहीं तो उसकी हिंसा का जबाब प्रतिहिंसा से दे । कवि ने यह भी माना है कि हिंसा के बदले में की जाने वाली हिंसा मनुष्य की कोमजोरी की दर्शाती है, परन्तु उससे अधिक अपवित्र है। इसलिए कवि ने कायर न बनने के लिए कहा है।

मनुष्य की रक्षा का कोई मूल्य नहीं है, किन्तु मानवता सबसे अनमोल तथा श्रेष्ठ है। मानव मिटकर भी बनता है, लेकिन मानवता सदैव अमर रहती है। अतः इसकी रक्षा के सामने व्याक्ति की सुरक्षा का कोई मूल्य नहीं है। सत्य तो यही है कि व्यक्ति के आत्म-बलिदान से ही मानवता अमर बनती है। अतः मनुष्य के लिए उचित यही है कि वह कभी कायर न बने और अबना सब कुछ मानवता पर न्योछावर कर दे।

(ग) कवि नरेंद्र शर्मा का साहित्यिक परिचय दो।

(खन्थाइगिरि नरेंद्र शर्मानि थुनलाइयारि सिनायथि हो।) 

उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आधुनिक हिंदी काव्यधारा के अन्तर्गत छायावाद एवं छायावादोत्तर युगों में होने वाले व्यक्तिवादी गीतिकविता के रचियता के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी गीति प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे। उनके दो गीत-संग्रह बिद्यार्थी जीवन में ही प्रकाशित हुए। उनकी काब्य-कृतियों में ‘प्रभात फेरी’, ‘प्रवासी के गीत, पलाशवन’, ‘मिट्टी के फूल’, हंसमाला, रक्ट चंदन, कदली वन, द्रौपदी (खण्ड काव्य) उत्तर जय (खण्डकाव्य) और सुवर्ण खण्डकाव्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ‘कड़वी-मीठी बातें’ उनका कहानी संग्रह है।

मूलतः थावुक और कल्पनाशील कवि होने पर उनके कुछ कविताओं में समाजिक यथार्थ के चित्रण के कारण प्रगतिशीलता के भी दर्शन होते हैं। उनकी काव्य-भाषा सरल, प्रांजल एवं सांगीतिक लयमुक्त खड़ी बली है जिस में माधुर्य, प्रसाद एवं ओज गुणों का संचार हुआ है।

6. प्रसंग सहित व्याख्या करो: 

(बेखेवनानै लिर)

(क) “ले-दे कर जीना…… युगों तक खून-पसीना।”

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत गीतिकवि नरेन्द्र शर्मा जी द्वारा रचित ‘कायर मत बन’ कविता से ली गई है। 

कवि ने मानवता की रक्षी के संदर्भ में युगों से किये गये कष्टों के बारे में कहा है।

कवि ने लोगों कायर न बनकार साहस से जीवन में आनेवाली बाधाओं का सामना करने के लिए कहा है। कवि ने कहा है कि जीवन के साथ समझौता करके जीना तथा गम के आँसू पीकर जीना निरर्थक है। मानवता के रक्षा के लिए युगों युगोंसे व्यक्ति को खून पसीने से सींचा है। अतः कवि ने लोगों को मानवता की कामना रखते हुए उनसे आत्म-बलिदान की अपेक्षा रखते है, क्योंकि मानवता अमूल्य है, अमर है। उसकी रक्षा के सामने व्यक्ति की सुरक्षा का कोई मोल नहीं है।

(ख) “युद्धं देहि’ कहे जब…… तेरा पथ चूमे तस्कर।”

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘ आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत गीतिकवि नरेन्द्र शर्मा जी द्वारा रचित ‘कायर मत बन’ कविता से ली गई है।

कवि ने यहाँ हिंसा तथा प्रतिहिंसा के बारे में अपना विचार व्यक्त किया है।

कवि कहते हैं कि मानव के सफलता के मार्ग रोकने के लिए अनेक बाधाएँ उत्पन्न होती है। अगर कोई दुष्ट या नीच व्यक्ति किसी सज्जन का रास्ता रोकने का प्रयास करे तो उन्हें चाहिए कि या तो प्रेम से उसे गले लगा लिया जाय, नहीं तो उसकी हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से दें। युद्ध देहिं अर्थात लड़ाई करो कहकर कोई दुष्ट जब जी बाधा उत्पन्न करने की चेष्टा करता है तो उससे अहिंसा की दुहाई देकर भागना नहीं चाहिए, बल्कि साहस से उसका सामना करना चाहिए।

भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान

खाली जगहों में ‘न’, ‘नहीं’ अथवा ‘मत’ का प्रयोग करके वाक्यों को फिर से लिखो:

(लानदां जायगायाव ‘न’, ‘नहीं’ एबा ‘मत’ बायदिखौ फज ‘नानै बाथ्राखौ लिरफिनः)

(क) तू कभी भी कायर..…… बन।

उत्तरः तू कभी भी कायर मत बन। 

(ख) तुम कभी भी कायर..……. बनो।

उत्तरः तुम कभी भी कायर नहीं बनो। 

(ग) आप कभी भी कायर…….. बनें।

उत्तरः आप कभी भी कायर न बनें।

(घ) हमें कभी भी कायर बनना…….. चाहिए।

उत्तरः हमें कभी भी कायर बनना नहीं चाहिए।

2. अर्थ लिखकर निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करो: 

(ओंथि लिरनानै बाथ्रा खोन्दोबफोरखौ बाथ्रायाव फोरमाय:) 

ले-दे कर जीना, गम के आँसू पीना, खून-पसीना बहाना, पीठ फेरना, टस से मस न होना, कालिख लगना, कमर कसना, आँचल में बाँधना

उत्तर: ले-दे-कर जीना ( समझौता करके जीना): बाढ़ में सबकुछ तबाह हो जाने के बाद सलीम ले-देकर जी रहा है।

गम के आँसू पीना (मन के दुःख को दबाकर रखना): रमेश पीता के कैंसर की कारन आजकल आँसू पीकर रह गयी।

खून-पसीना बहाना (कठोर परिश्रम करना): मजदूर खून-पसीना एक करके दो समय की रोटी खा पाता है।

पीठ फेरना (युद्धक्षेत्र से भागना): वीर योद्धा लड़ाइ में शहीद हो सकते है, लेकिन पीठ फेर नहीं सकते।

टस से मस न होना (अव चलित रहना): मीना ने अपनी बात रखने की पूरी कोशिश की, लेकिन पिताजी तस से मस न हुए।

कालिख लगना (कलंग लगना): एकमात्र पुत्र रमेन के कु सभाव ने घर के सम्मान पर कालिख लगा दिया।

कमर कसना (पूरी तरह तैयार रहना): खेत में काम करने के लिए लड़के कमर कस रहे हैं।

आँचल में बाँधना (अच्छे से याद रखना): मैं परीक्षा में प्रथम आने के लिए आँचल में बाँध ली गई है।

3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखोः 

(गाहायनि बाथ्राफोरखौ गेबें खालाम)

(क) सभा में अनेकों लोग एकत्र हुए हैं। 

उत्तरः सभा में अनेक लोग एकत्र हुए हैं। 

(ख) मुझे दो सौ रुपए चाहिए। 

उत्तर: मुझे दो सौ रूपये चाहिए।

(ग) बच्छे छत में खेल रहे हैं। 

उत्तरः बच्छे छत पर खेल रहे हैं।

(घ) मैंने यह घड़ी सात सौ रुपाए से ली है। 

उत्तर: मैंने यह घड़ी सात सौ रूपये से खरीदी हैं। 

(ङ) मेरे को घर जाना है।

उत्तरः मुझे घर जाना है।

(च) बच्चे को काटकर गाजर खिलाओ। 

उत्तर: गाजर काटकर बच्चे को खिलाओ।

(छ) उसने पुस्तक पढ़ चुका।

उत्तरः वह पुस्तक पढ़ चुका।

(ज) जब भी आप आओ, मुझसे मिलो। 

उत्तर: जब भी आप जाइये, मुझसे मिलिए। 

(झ) हम रात को देर से भोजन खाते हैं। 

उत्तरः हम रात को देर से भोजन करते हैं।

(ञ) बाघ और बकरी एक ही घाट पानी पीती है। 

उत्तरः बाघ और बकरी एक ही घाट पानी पीते है।

4. निम्नलिखित शब्दों से प्रत्ययों को अलग करोः

आधुनिक, विषमता, भलाई, लड़कपन, बुढ़ापा, मालिन, गरीबी।

उत्तरः आधुनिक = आधु + इक।

विषमता = विषम + ता।

भलाई = भला + ई।

लड़कपन = लड़क + पन।

बुढ़ापा = बुढ़ा + पा।

मालिन = माली + इन।

गरीबी = ‘गरीब + ई।

5. निम्नलिखित शब्दों से प्रत्ययों को अलग करो:

(बेंखनाव होनाय बादियै बाथ्राखौ सोलाय।)

(क) मैंने एक दुबला-पतला आदमी देखा था।

(मिश्र वाक्य बनाओ)

उत्तर: मैंने एक आदमी देखा, जो दुबला-पतला था।

(ख) जो बिद्यार्थी मेहनत करता है वह अवश्य सफल होता है।

(सरल वाक्य बनाओ)

उत्तर: मेहनती विद्यार्थी अवश्य सफल होता है।

(ग) किसान को अपने परिश्रम का लाभ नहीं मिलता।

(संयुक्त वाक्य बनाओ)

उत्तरः किसान परिश्रम करता है, किन्तु अपना लाभ नहीं मिलता।

(घ) लड़का बाजार जाएगा। 

(निषेधावचक वाक्य बनाओ)

उत्तर: लड़का बाजार नहीं जाएगा। 

(ङ) लड़की गाना गाएगी। 

(प्रश्नवाचक वाक्य बनाओ)

उत्तरः क्या, लड़की गाना गाएगी?

SEBA Class 10 Hindi In Bodo

Chapter No.CONTENTS
Chapter – 1नींव की ईंट (बिथानि इथा)
Chapter 2छोटा जादूगर
Chapter – 3नीलकंठ
Chapter – 4भोलाराम का जीव
Chapter – 5सड़क की बात
Chapter – 6चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Chapter – 7साखी
Chapter – 8पद-त्रय
Chapter – 9जो बीत गयी
Chapter – 10कलम और तलवार
Chapter – 11कायर मत बन
Chapter – 12मृत्तिका

Notes of Class 10 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 10 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium Class 10 Hindi Question answer | SEBA Class 10 Hindi Question Answer In Bodo Chapter 11 अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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