SEBA Class 10 Hindi In Bodo Chapter 5 सड़क की बात

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Class 10 Hindi Chapter 5 सड़क की बात

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खोन्दो 5 सड़क की बात

Chapter 5 सड़क की बात

अभ्यासमाला

बोध एवं विचार (बिजिरनाय:) 

1. एक शब्द में उत्तर दो:

(फंसे सोदोबावनो फिननाय लिर:)

(क) गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर किस आख्या से विभूषित हैं? 

(गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुरा मा मुंजों मिथिजायो?)

उत्तर: विश्व-कवि।

(ख) रवींद्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम क्या था? 

(रवींद्रनाथ ठाकुरनि बिफानि मुंआ मा मोन?)

उत्तर: देवेंद्रनाथ ठाकुर।

(ग) कौन-सा काव्य-ग्रंथ रवींद्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार- स्तंभ हैं?

(बे खन्थाइ बिजाबआ रवींद्रनाथ ठाकुरनि मुंदांखानि नेरसोन?) 

उत्तर: गीतांजलि।

(घ) सड़क किसकी आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है? 

(लामाया सोरनि जोबथा समखौ नेगासिनो दङ?)

उत्तर: शाप की।

(ङ) सड़क किसकी तरह सब कुछ महसूस कर सकती है? 

(लामाया सोर बायदि गासैखौबो मोनदांनो हायो?)

उत्तर: अंधे की तरह।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(आबुं बाथ्राजों फिननाय हो:)

(क) कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कहाँ हुआ था?

(खन्थाइगिरि रवींद्रनाथ ठाकुरनि जोनोमा बबेयाव जादोंमोन?)

उत्तर: कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म कोलकाता के जोरासाँको मे एक सम्पन्न एवं प्रतिष्ठिता बांग्ला परिवार में हुआ था।

(ख) गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचंद गाँधी को ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया था?

(गुरुदेवआ बब्ला मोहनदास करमचंद गाँधीखौ महत्मा मुंजों गाबज्रिनाय?)

उत्तर: जब मोहनदास करमचंद गाँधी शांति-निकेतन आये थे, तब गुरुदेव ने उन्हें – ‘महत्मा’ के रूप में संबोधित किया था।

(ग) सड़क के पास किस कार्य के लिए फुरसत नहीं है?

(लामानि सेराव मा खामानिनि थाखाय सम गैया?)

उत्तर: अपने सिरहाने के पास एक छोटा सा नीले रंग का वनफुल खिलाने का भी सड़क के पास फुरसत नहीं है।

(घ) सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?

(लामाया गावनि उन्दुनायखौ सोरजों रुजुदों?) 

उत्तर: सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना सुदीर्घ अजगर से की है। 

(ङ) सड़क अपनी कड़ी और सूखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती? 

(लामाया गावनि गोरा आरो रानलांनाय बिसना सायाव मा रज ‘होनो हाया?)

उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सूखी सेज पर एक भी कोमल हरी घास था। 

3. अति संक्षिप्त उत्तर दो: 

(लगभग 25 शब्दों में:)

(क) रवींद्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?

(रवींद्रनाथ ठाकुरनि बिखोमानि सिनायथिखौ मा मा बाहागोआव मोनो?)

उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर गीतकार, कहानीकार, उपन्यासकार, निबंधकार, संगीतकार, कलाकार, समाज-सुधारक, शिक्षा-संस्कृति प्रेमी और रजनीतिज्ञ की बहुमुखी प्रतिभा के अधिकारी होते हुए भी रवींद्रनाथ ठाकुर जी मुलतः कवि हृदय के थे। उनके कोमल हृदय में अगर विश्वमानवता के प्रति प्रेम, करुणा और सहानुभुति थी, तो मानवेतर प्राकृतिक उपकरणों के प्रति भी भरपुर आकर्षण था।

(ख) ‘शांतिनिकेतन’ के महत्व पर प्रकाश डालो।

(“शान्तिनिकेतन” नि गोनांथिनि सायाव फोरमायथिना हो।) 

उत्तर: कवि-गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर ने पश्चिम बंगाल में बोलपुर के निकट ‘शांतिनिकेटन’ नाम के एक शैक्षिक-सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की थी। यह केन्द्र उनके सपनों का मुर्त रूप रहा है और आगे चलकर यह विश्व-भारती विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने मोहदास करमचंद गाँधी को शांतिनिकेटन आने पर ‘महत्मा’ के रूप में संबोधित किया।

(ग) सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?

(लामाया मानो सावनिफ्राय खारग’नो नाजागासिनो दङ’?)

उत्तर: सड़क शायद किसी के शाप से चिर निहित रूप में एक ही जगह सों रही है। वह जड़ निद्र में पड़ी हुई है। न चल सकती है, न आराम कर सकती और न करवट बदल सकती है। इसलिए सड़क शापमुक्ति की कामना करती है।

(घ) सुख की घर-गृहस्थी वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?

(सुखुनि संसार थानाय मानसिनि आगाननि सोदोब खोनानै लामाया मा बुजि मोनो?)

उत्तर: सुख की घर गृहस्थी वाले व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क यह समझ जाती है कि वह हर कदम पर सुख की तस्वीर खींचेगी, आशा के बोज बोएँगे। ऐस लगता है जहाँ-जहाँ उसके पैर पड़ते है, वहाँ-वहाँ क्षण भर में मानो एक एक लता अंकुरित और पुष्पित होगी।

(ङ) गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को क्या बोध होता है?

(न’ गैजायि मानसिनि आथिंनि आगान सोदोब खोनानानै लामाया ना सानो?)

उत्तर: गृहहीन व्यक्ति के पैरों की आहट सुनने पर सड़क को यह बोध होता है कि मानो उसके कदमों से सुखी हुई धुल और सुख जाती है। उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है, उसके कदमों में न दायाँ है और न बायाँ है। उसके पैर कहते हैं कि वह चल तो क्यों और ठहरे तो क्यों और ठहरे तो किसलिए, इसी तरह उसके पैर अनेक सवाल करते हैं।

(च) सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चिह्न को क्यों ज्यादा देर तक नहीं देख सकती?

(लामाया गावनि सायाव गोलैना थानाय मोनसे आगाननि दागोआ मानो गोबाव सम नायनो हाया?)

उत्तर: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चिह्न को ज्यादा देर तक नहीं देख सकती, क्योंकि उसके ऊपर लगातर चरण-चिह्न को पोंछ जाते हैं तथा धुल में मिल जाता है।

(छ) बच्चों के कोमुल पाँवो के स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?

(गथ ‘सानि गुरै आथिंनि गानायाव लामाया माबादि सानखाने?) 

उत्तर: बच्चों के कोमल पाँवों के स्पर्श से सड़क अपने को बड़ी कठिन अनुभव करती है, उसे ऐसा लगता है मानो उसकी कठिनाइ उनके पाँवो में लगती होगी। उस समय सड़क फुलों की तरह कोमल बन जाना चाहती है।

(ज) किसलिए सड़क को न हँसी है, न रोना?

(सोरनि थाखाय लामाया मिनिनाय गैया, गाबनाय गया?)

उत्तर: अमीर और गरीब, जन्म और मृत्यु सबकुछ सड़क पर एक ही साँस में धुल के स्रोत की तरह उड़ता चला जाता है। उसें घड़ी भर भी किसी के लिए शोक या संताप करने की छुट्टी नहीं मिलती। इसलिए सड़क को न हँसी है, न रोना। 

(झ) राहगीरों के पाँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने क्या कहा है?

(लामा हान्थियारिफोरनि आगाननि सोदोबखौ लामाया मा बुंदों?)

उत्तर: राहगीरों के पाँवो के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने यह कहा है कि जो प्रतिदिन नियमित रूप से उसके ऊपर चलते है उन्हें वह अच्छी तरह समझाती है। उसके लिए सड़क कल्पना करती है कि ऐसी ही एक प्रतिमा अपने कोमल चरणों को लेकर दोपहर को बहुत दूर से आती, छोटे-छोटे दो नूपुर रुनझुन करके उसके बड़ी-बड़ी, आँखे संध्या के आकाश की भाँति म्लान दृष्टि से किसी के मुँह की ओर देखती रहती।

4. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में:)

(फ्राय 50 सोदोबनि गेजेराव:)

(कं) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके बारे में क्या-क्या समझ जाती है?

(दो दो उन्दुनानै थानाय लामाया लाख लाख आगाननि सोदोबाव माखौ बुजि मोनो?)

उत्तर: जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से उनके हृदय को भी पढ़ लेती है, वह समझ जाती है कि कौन घर जा रहा है, कौन परदेश जा रहा है, कौन काम से जा रहा है, कौन उत्सव में जा रहा है, और कौन रमशान को जा रहा है। जिसके पास सुख की घर-गृहस्थी, स्नेह की छाया है, वह हर कदम पर सुख की तस्वीर खींचता है, आशा के बीज बोता है। हर कदम पर ऐसा लगता है मानो क्षण भर में एक एक लता अंकुरित और पुष्पित हो उठेगी। जिसके पास घर नहीं, आश्रय नहीं, उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है, उसके कदमों से सड़क को सुखी हुई धूलं मानो और सुख जाती है।

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी क्यों पूरी नहीं सुन पाती?

(लामाया संसारनि मोनसेबो सल ‘खौ मानो आबुंयैनो खोनासंजोबनो हाया?)

उत्तर: सड़क से लोग आते जाते रहते है, पर कोई भी सड़क पर खड़ा होकर बातें वहीं करते। आज सैकड़ों-हजारों वर्षों से सड़क लाखों-करोड़ों लोगों की कितनी हँसी, कितने गीत, कितने बाते सुनती आई है। पर थोड़ी ही सुन पाती है। क्योंकि लोग चलते रहते है और बातें करते जाते हैं। इसलिए कुछ सुन पाती है, और बाकी सुनने के लिए जब कान लगाती है-तब वह आदमी ही नहीं रहा।

(ग) “मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सबका उपाय मात्र हूँ।”- सड़क ने ऐसा क्यों कहा है?

(आं रावनिबो थांखि नङा, राहासो-लामाया बे बायदि मानो बुंदों?)

उत्तर: सड़क किसी का भी लक्ष्य नहीं है, सबका उपाय मात्र है। वह किसी का घर नहीं है, पर सबको घर ले जाती है। उसके ऊपर कोई भी तबीयत से कदम नहीं रखना चाहता है। कोई भी खड़ा रहना पसंद नहीं करता। जिनका घर बहुत दूर है, वे सड़क को ही कोसते हैं तथा शाप देते हैं। सड़क उन्हें परम धैर्य के साथ घर पहुँचाने पर भी इसके लिए कृतज्ञता नहीं पाता। इसलिए सड़क ने ऐसा कहा है। 

(घ) सड़क कब और कैसे घर का आनंद कभी-कभी महसूस करती है?

(लामाया माबोरै आरो मा बादियै न’नि गोजोननायखौ मोनदाडो?)

उत्तर: जब छोटे-छोटे बच्चे हँसते-हँसते सड़क के पास आते और शोरगुल मचाते हुए सड़क के पास आकर खेलते है, तब अपने घर का आनन्द वे सड़क के पास ले आते हैं। उनके पिता आशीर्वाद और माता का स्नेह घर से बाहर निकलकर सड़क के पास आकर सड़क पर ही मानो अपना घर बना लेता है। उसके धुल में वे स्नेह दे जाते हैं, प्यार छोड़ जाते हैं। अपना निर्मल हृदय लेकर बैठे-बैठे वे धूल से बाते करते है। इस प्रकार सड़क कभी-कभी घर का आनन्द महसुस करती है। 

(ङ) सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की प्रतीक्षा क्यों करती है?

(लामाया गावनि सायाव सिनायनाय आगानखौ मानो नेबाय थायो?)

उत्तर: सड़क अपने ऊपर से नियमित से चलनेवालों की प्रतीक्षा करती है। वह मन-ही-मन कल्पना करती है कि ऐसी ही एक प्रतिमा अपने कोमल चरणों को लेकर दोपहर को बहुत दूर से आती, छोटे-छोटे दो नुपूर रुनझुन करके उसके पाँव में रो-रोकर बजते रहते। शायद उसकी बड़ी-बड़ी, आँखे संध्या के आकाश की भाँति म्लान दृष्टि से किसी के मुँह की और देखती रहती।

5. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में:)

(क) सड़क का कौन-सा मनोभाव तुम्हें सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा और क्यों?

(लामानि बबे मोनसे साननायखौ गोसोआव नांनाय मोनो आरो मानो?)

उत्तर: सड़क का छोटे बच्चे के साथ रहते हुए भी उनसे बातें न कर पाने का भाव सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा। छोटे बच्चे हँसते, शोरगुल करते हुए उसके पास आकर खेलते हैं तथा अपने घर का आनंद सड़क के पास ले आते हैं। वे घर से निकल कर मानो सड़क पर ही अपना घर बना लेता है। सड़क की धूल में ही वे स्नेह दे जाते हैं, प्यार छोड़ जाते हैं। सड़क की धूल को वे अपने वश में कर लेती है तथा अपने छोटे-छोटे कोमल हाथों से बालू के धरौदे बनाते हैं। अपना निर्मल हृदय लेकर वे उसके साथ वाते करते है। किन्तु, इतना स्नेह, इतना प्यार पाकर भी सड़क उसका जवाब तक नहीं दे पाती।

छोटे-छोटे कोमल पाँव जब सड़क पड़ती है तो सड़क उस समय अपने को कठिन अनुभव करती है और मालूम होता है कि उनके पावों में लगती होगी। उस समय सड़क फूलों की कली की तरह कोमल होने की साथ होती है। हरी- भरी घास उगाने की इच्छा होती है। लेकिन सड़क ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता। सिर्फ ये अनुभव कर सकती है।

(ख) सड़क ने अपने बारे में जो कुछ कहा है, उसे संक्षेप में प्रस्तुत करो।

(लामाया गावनि बागै मा बुंदों, बेखौ गुसुङ फोरमाय।) 

उत्तर: “सड़क की बात” एक मनोरम अत्मक भात्मक निबंध है। सड़क किसी के शाप से चिरनिद्रित सुदीर्घ अजगर की भाँति वन-जंगल और पहाड़-पहारियों से गुजरती हुई देश-देशांतरों को घेरती हुई बेहोशी को नींद सो रही है। हमेशा से ही स्थिर है. अविचल है तथा एक ही करवट से सो रही है, उसे इतनी भी फुरसत नहीं कि कोई घास भी उगा सके।

सड़क अंधे की तरह सबकुछ महसूस कर सकती है। वह पैरों की आहट से लोगों के हृदयों को पढ़ सकती है तथा कौन कहाँ जा रहा है सबकुछ समझ सकती है। जिसके पास सुख की घर-गृहस्थी है उनके पदक्षेप से ऐसा लगता है मानो एक-एक अंकुरित और पुष्पित हो उठेगी। किंतु जिसके पास घर नहीं, आश्रय नहीं, उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है, उसके कदमों से सड़क की धूल और सूख जाती है।

संसार की कोई भी कहानी सड़क पूरी नहीं सुन सकती। वह जब बातें सुनने के लिए कान लगाती है तो देखती है कि वह आदमी ही नहीं रहा। इस तरह कितनी ही बातें तथा कितने ही गीत सड़क की धूल के साथ मिल गयी तथा धूल बनकर अब भी उड़ते रहते हैं।

समाप्ति और स्थायित्व तो सड़क ने कभी देखा ही नहीं है। उसके ऊपर लगातार चरण-चिह्नों पड़ रहे है, पर नए पाँव आकर पुराने चिह्नों को पोंछ जाते है। सड़क किसी का भी लक्ष्य नहीं है, किन्तु उपाय मात्र है। वह सबको घर ले जाते हैं। जिनका घर बहुत दूर है, वे सड़क को ही कोसते हैं।

छोटे बच्चे के कोमल पाँव जब सड़क पर पड़ता है, तब सड़क कुसुम कली की तरह बनना चाहती है। सड़क के न हँसी है, न रोना। अमीर और गरीब, जन्म और मृत्यु सबकुछ धूल के स्रोत की तरह उड़ता चला जाता है। इसलिए सड़क अपनें। ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती।

(ग) सड़क की बातों के जरिए मानव जीवन की जो बातें उजागर हुई हैं, उन पर संक्षिप्त प्रकाश डालो।

(लामानि बाथ्राफोरनि गेजेरजों मानसि जिउनि जाय बाथ्राखौ बुंदों, बेनि सायाव गुसुंयै फोरमाय।)

उत्तर: मानव जीवन सुख-दुख से भरा है। सड़क मानव जीवन का सबकुछ महसूस कर सकती है। जिन लोगों के पास सुख की घर-गृहस्थी है, स्नेह की छाया है, जहाँ उनके पैर पड़ते है वहाँ ऐसा लगता है मानो क्षण भर में एक-एक ‘लता अंकुरित होकर पुष्पित हो उठेगी। किन्तु जिसके पास घर नहीं है, आश्रय नहीं हैं, उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है, उसके कदमों से सड़क की धूल सुख जाती है।

सड़क लोगों को अपने अपने घर पहुँचाती है, लेकिन बदले में कृतज्ञता देने के बजाय लोग उसे ही कोसते हैं, शाप देते हैं। सड़क के कारण ही बिक्ष बिछड़े हुए सब मिल जाते हैं, घर में आनन्द मनाते है, लेकिन लोग सड़क पर केवल थकावट का भाव दरसाते हैं, विच्छेद का कारण मानते हैं।

छोटे बच्चे हँसते-हँसते सड़क पर खेलते है तथा सड़क को ही अपना घर बना लेता है। उसकी धूल में वे स्नेह दें जाते हैं, प्यार छोड़ जाते हैं। अपना निर्मल हृदय लेकर सड़क के साथ बातें करते हैं, लेकिन सड़क इसका जवाब भी नहीं दे पाती थी। छोटे-छोटे कोमल पाँव जब भी सड़क पर पड़ते हैं, सड़क उस समय कुसुम कली की तरह कोमल बनना चाहती है।

अमीर और गरीब, जन्म और मृत्यु सबकुछ सड़क पर धूल के स्रोत की तरह उड़ता चला जा रहा है। इसलिए सड़क के न हँसी है, न रोना और सब कुछ भी उसके ऊपर पड़ा रहने नहीं देती।

6. सप्रसंग व्याख्या करो:

(बेखेवनानै लिर:)

(क) “अपनी इस गहरी जड़ निद्रा में लाखों चरणों के स्पर्श से उनके हृदयों को पढ़ लेती हूँ।”

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत विश्व- कवि की आख्या से विभूषित कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर जी द्वारा लिखित आत्मकथात्मक निबंध ‘सड़क की बात’ से लिया गया है।

उक्त पंक्ति में निबंधकार ने सड़क के अनुभव के बारे में बताया गया है।

सड़क अंधे की तरह सबकुछ अनुभव कर सकती है। वह अपने ऊपर पड़े लाखों चरणों के स्पर्श से उसके हृदय को भी पढ़ लेती है। कौन, कहाँ जा रहा है, किसलिए जा रहा है, ये सब सड़क महसूस कर सकते है। कौन सुखी है, कौन दुखी है, इस बात का मालूम भी सड़क उनके पैरों के आहट से जान जाती है सूख के घर- -गृहस्थी वाले सुख की तस्वीर खींचना है, आशा के बीज बोता है। लेकिन जिसके पास आश्रय नहीं, उसके पदक्षेप में न आशा है, न अर्थ है। इस तरह सड़क गहरी जड़ निद्रा में पड़े हुए भी सब लोगों के पैरों के आहट से सब कुछ महसूस कर लेती है।

(ख) “मुझे दिन-रात यही संताप सताता रहता है कि मुझ पर कोई तबीयत से कदम नहीं रखना जाहता।”

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत विश्व- कवि की आख्या से विभूषित कविगुरु श्वींद्रनाथ ठाकुर जी द्वारा लिखिते आत्मकथात्मक निबंध ‘सड़क की बात’ से लिया गया है।

उक्त पंक्ति में लोगों द्वारा कोसे जाने पर सड़क अपना दुख प्रकट करता है।

सड़क किसी का भी घर नहीं है, लक्ष्य नहीं है, किन्तु वह सबको घर ले जाती है, सबको लक्ष्य की ओर अग्रसर करती है। कोई सड़क पर खड़ा रहना पसंद नहीं करता, कदम नहीं रखना चाहता । वह परम धैर्य के साथ लोगों को द्वार तक पहुँचाती है, इसके लिए सड़क कृतज्ञता पाने के बजाय गाली खाती है। सड़क के कारन ही बिछड़े मिल जाते हैं, लेकिन सभी उस पर थकावट का भाव दरसाते हैं, विच्छेद का कारन मानते हैं। इसलिए सड़क को दिन-रात सही संताप सताता रहता है।

(ग) “मैं अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नहीं देती, न हँसी, न रोना, सिर्फ मैं ही अकेली पड़ी हुई हूँ और पड़ी रहूंगी।’

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत विश्व- कवि की आख्या से विभूषित कविगुरु श्वींद्रनाथ ठाकुर जी द्वारा लिखित आत्मकथात्मक निबंध ‘सड़क की बात’ से लिया गया है।

इसमें निबंधकार ने सड़क के ऊपर सभी लोग आने और जाने की बात कहा है। लेकिन किसी का भी चिह्न नहीं रखते।

सड़क के ऊपर से लोग आते-जाते रहते है, पर कोइ भी सड़क पर खड़ा होकर बातें नहीं करते। सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण चिन्ह को ज्यादा देर तक नहीं देख सकती, क्योंकि उसके ऊपर लगातार चरण चिह्न को पोंछ जाते हैं तथा धूल में मिल जाता है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान:

1. निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह करके समास का नाम लिखो: 

(सामासिक सोदोबखौ आलादा खालामनानै समास (compound) नि मुं लिर:)

दिन-रात, जड़निद्रा, पग-ध्वनि, चौराहा, प्रतिदिन, आजीवन, अविल राहखर्च, पथभ्रष्ट, नीलकंठ, महात्मा, रातोंरात

उत्तर: दिन-रात = दिन और रात (द्वन्द्व समास/ द्वंद्व समास)

जड़निद्रा = जड़ जैसा निद्रा (कर्मधारय समास)

पग-ध्वनि = पग से उत्पन्न ध्वनि (कर्मधारय समास)

चौराह = चार राहों का समुह (द्विगु समास)

प्रतिदिन = प्रत्येक दिन (द्विगु समास)

आजीवन = जीवन भर (अव्ययी भाव)

राहखर्च = राह के लिए खर्च (संप्रदान तत्पुरुष)

पथ = पभ से भ्रष्ट (अपादान तत्परूष समास)

नीलकंठ = नीला है, जो कंठ (कर्मधारय समास)

महत्मा = महान है, जो आत्मा (कर्मधारय समास)

रातोंरात = रात हो रात में (अव्ययी भाव समास)

2. निम्नांकित उपसर्गो का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाओ:

परा, अप, अधि, उप, अभि, अति, सु, अव

उत्तर: परा = पराधीन, पराजय।

अप = अपमान, अपकार।

अधि = अधिकार, अधिनायक।

उप = उपदेश, उपकार।

अभि = अभिमान, अभियोग।

अति = अत्यत, अत्याचार।

सु = सुकर्म, सुगम।

अव = अवगुण, अवनति।

3. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्गो को अलग करो:

अनुभव, बेहोश, परदेश, खुशबू, दुर्दशा, दुस्साहस, निर्दय

उत्तर: अनुभव = अनु + भव।

बेहोश = बे + होश।

परदेश = पर + देश।

खुशबू = खुश + बू।

दुर्दशा = दुर + दशा।

दुस्साहस = दुसा + साहस।

निर्दय = निर + दय।

4. निम्नांकित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो: 

सड़क, जंगल, आनंद, घर, संसार, माता, आँख, नदी

उत्तर: सड़क = रास्ता, पथ।

जंगल = वन, अरण्य।

आनंद = सुख, हर्ष।

घर = गृह, भवन।

संसार = जग, जगत।

माता = माँ, मही।

आँख = नयन, नेत्र।

नदी = सरिता, तरंगिणी।

5. विपरीतार्थक शब्द लिखो:

मृत्यु, अमीर, शाप, छाया, जड़, आशा, हँसी, आरंभ, कृतज्ञ, पास, निर्मल, जवाब, सूक्ष्म, धनी, आकर्षण।

उत्तर: मृत्यु = जन्म।

अमीर = गरीब।

शाप = आशीर्वाद।

छाय = धूप।

जड़ = चेतन।

आशा = निराशा।

हँसी = रुदन।

आरंभ = अंत।

कृतज्ञ = कृतघ्न।

पास = दूर।

निर्मल = मलिन।

जवाब = प्रश्न।

धनी = गरीब।

आकर्षण = खराब।

6. संधि-विच्छेद करो:

देहावसान, उज्जवल, रवींद्र, सूर्योदय, सदैव, अत्यधिक, जगन्नाथ, उच्चारण, संसार, मनोरथ, आशीर्वाद, दुस्साहस, नीरस।

उत्तर: देहावसान = देहा + अवसान।

उज्जवल = उत + ज्वल।

रवींद्र = रवि + इंद्र।

सूर्योदय = सूर्य + उदय

सदैव = सदा + एव।

अत्यधिक = अति + अधिक।

जगन्नाथ = जगत + नाथ।

उच्चारण = उत + चारण।

संसार = सम् + सार।

आशीर्वाद = आशीर + वाद।

दुस्साहस = दु: + साहस।

नीरस = निः + रस।

SEBA Class 10 Hindi In Bodo

Chapter No.CONTENTS
Chapter – 1नींव की ईंट (बिथानि इथा)
Chapter 2छोटा जादूगर
Chapter – 3नीलकंठ
Chapter – 4भोलाराम का जीव
Chapter – 5सड़क की बात
Chapter – 6चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Chapter – 7साखी
Chapter – 8पद-त्रय
Chapter – 9जो बीत गयी
Chapter – 10कलम और तलवार
Chapter – 11कायर मत बन
Chapter – 12मृत्तिका

Notes of Class 10 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 10 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium Class 10 Hindi Question answer | SEBA Class 10 Hindi Question Answer In Bodo Chapter 5 अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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