SEBA Class 10 Hindi Question Answer In Bodo Chapter 2 छोटा जादूगर

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Class 10 Hindi Chapter 2 छोटा जादूगर

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खोन्दो 2 छोटा जादूगर

Chapter 2 छोटा जादूगर

अभ्यासमाला

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन करो: (थार फिननायखौ सायख’)

(क) बाबू जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था – (जयशंकर प्रसादआ जोनोम जादोंमोन -)

(अ) काशी में

(आ) इलाहाबाद में

(इ) पटना में

(ई) जयपुर में

उत्तर: (अ) काशी में।

(ख) जयशंकर प्रसाद जी का साहित्यिक जीवन किस नाम से आरंभ हुआ था? (जयशंकर प्रसादनि थुनलाइयारि जिउआ मा मुंजों जागायदोंमोन?)

(अ) ‘विद्याधर’ नाम से 

(आ) ‘कलाधर’ नाम से

(इ) ‘ज्ञानधर’ नाम से 

(ई) ‘करुणाधर’ नाम से

उत्तर: (आ) ‘कलाधर’ मुं जों।

(ग) प्रसाद जी का देहावसान हुआ – (प्रसाद जी आ थैदोंमोन -)

(अ) 1935 ई. में

(आ) 1936 ई. में

(इ) 1937 ई. में

(ई) 1938 ई. में

उत्तर : (इ) 1937 ई. आव।

(घ) कार्निवाल के मैदान में लड़का चुपचाप किनको देख रहा था? (कार्निवालनि गेलेग्रा फोथाराव हौवासाया सिरि सिरियै सोरख नायबाय दंमोन?)

(अ) चाय पीने वालों को 

(आ) मिठाई खाने वालों को

(इ) गाने वालों को

(ई) शरबत पीने वालों को

उत्तर: (ई) शरबत पीने वालों को।

(ङ) लड़के को जादूगर का कौन-सा खेल अच्छा मालूम हुआ? (हौवासाया जादुगरनि बबे खेलाखौ बांसिन मोजां मोननाय?)

(अ) खिलौने पर निशाना लगाना

(आ) चूड़ी फेंकना

(इ) तीर से नम्बर छेदना

(ई) ताश का खेल दिखाना

उत्तर: (अ) खिलौने पर निशाना लगाना।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो: (आबुं बाथ्राजों फिननाय हो:)

(क) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम क्या है? (जयशंकर प्रसादा रनसायनाय गिबि· सल’आ मा?)

उत्तर: जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम है – ‘ग्राम’।

(ख) प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम बताओ। (प्रसादजीया रनसायनाय खन्थाइमानि मुं बुं1)

उत्तर: प्रसादजी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम है- कामायनी।

(ग) लड़का जादूगर को क्या समझता था? (हौवासाया जादुगरखौ मा बुंदोंमोन?)

उत्तर: लड़का जादूगर को यही समझता था कि उससे अच्छा तो तमाशा खेल वह दिखा सकता था।

(घ) लड़का तमाशा देखने परदे में क्यों नहीं गया था? (हौवासाया मानो गोमोथाव नायनो फैसालियाव थाझसै?)

उत्तर: टिकट लगने के कारण लड़का तमाशा देखने परदे में नहीं गया था।

(ङ) श्रीमान ने कितने टिकट खरीद कर लड़के को दिए थे? (मुसिगेवलां आं हौवासानो बेसेबां तिकेत लाबोनाय?)

उत्तर: श्रीमान ने बारह टिकट खरीदकर लड़के को दिए थे।

(च) लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय किस प्रकार दिया था? (हौवासाया हिन्दलनिफ्राय गावनि सिनायथिखौ मा बादि होनाय?)

उत्तर: लड़के ने हिंडोले से ‘छोटा जादूगर’ कहकर अपना परिचय दिया था।

(छ) बालक (छोटे जादूगर) को किसने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था? (हौवासा (छोटा जादूगर) खौ माया थाबैनो सियान खालामनाय?)

उत्तर: बालक (छोटे जादूगर) को आवश्यकता ने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था।

(ज) श्रीमान कलकत्ते में किस अवसर पर की छुट्टी बिता रहे थे? (मुस्रिगेवलांआ मानि सुटि हगार हरदोंमोन?)

उत्तर: श्रीमान कलकत्ते में आफिस की छुट्टी बिता रहे थे।

(झ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी क्यों नहीं थी। (लामा सेराव सिजों साजायनाय फैसालियाव खेला दिन्थिनाय समाव उन्दै जादुगरनि बाथ्रायाव मानो रंजानाय गैयामोन?)

उत्तर: सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच परं खेल दिखाने समय छोटा जादूगर की वाणी में स्वभावसूलभ प्रसन्नता नहीं थी क्योंकि उसकी माँ की मृत्यु की घड़ी निकट थी।

(ञ) मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से कौन-सा अधूरा शब्द निकला था? (थैनायनि एसे सिगाडझव उन्दै जादूगरनि बिमानि खुगानिफ्राय मा आद्रा बाथ्रा ओंखारनाय?

उत्तर: मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से “बे निकला था।

3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में): (जोबोद गुसुङ फिन हो (फ्राय 25 सोदोबनि गेजेराव:)

(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है? (बाबु जयशंकर प्रसादनि गोबां गियाननि सिनायथिखौ बबेयाव मोनो?)

उत्तर: जयशंकर प्रसाद जी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बल पर कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना के क्षेत्रों में अमर लेखनी चलाकर आधुनिक हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। साहित्यकार के अलवा वे इतिहास और पुशतत्व के विद्वान तथा एक गंभीर चिंतक भी थे।

(ख) श्रीमान ने छोटे जादूगर को पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था? (मुस्रिगेवलांआ उन्दै जादुगरखौ गिबि बबेयाव मा महराव नुजेनदोंमोन?)

उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूकर को पहली भेंट के दौरान कार्निवल के मैदान में वह चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर एक मोटी-सी सूट की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।

(ग) “वहाँ जाकर क्या कीजिएगा?” छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था? (बैयाव थांनानै मा खालामगोन? उन्दै जादुगरा बे बादि माब्ला बुंदोंमोन?)

उत्तर: छोटे जादूगर ने एसा तब कहा जब वह टिकट के कारण परदे में तमाशा देखने नहीं जा सका था। किन्तु जब श्रीमान जाना चाहा, तब लड़के ने उक्त वाक्य कहा था।

(घ) निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर की कार्य-कुशलता का वर्णन करो। (नोजोरगिरि महरै उन्दै जादुगरनि बिबान मावफुं गिरिखौ फोरमाय।):

उत्तर: जब श्रीमान ने बारह टिकट खरीदकर छोटे जादूकर को दिया, तो उसने खिलौने को गेंद से गिराना शुरु किया। उसका कोई भी गेंद खाली नहीं गया। दर्शक उसके निशाने से दंग रह गए। उसने कुछ खिलौने रुमाल में और कुछ जेन में रख लिए।

(ङ) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान-श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप में मिला था? (कलकातानि लाइफांआरि बागानाव मुस्रिगेवलां-मुस्रिजोआ उन्दै जादुगरखौ मा महराव मोननाय?)

उत्तर: कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में जब छोटे जादूगर को देखा गया तब उसके हाथ में चरखाने की खादी का झोला था, साफ जाँघिया और आधी बाँहों का कुरता था। श्रीमान का रुमाल जो पहली भेंट के दौरान खिलौने बटेरने के लिए उसे दिया था, सूत की रस्सी से बँथा हुआ था।

(च) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को’लड़के!’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा? (कलकतानि लाइफांआरि बागांनाव मुसि गेवलांआ उन्दै जादुगरखौ ‘हौवासा!’ बुंनानै गाबज्रिदोंमोन, अब्ला फिननायाव बियो मा बुंनाय?)

उत्तर: कलकत्ते के बोटानिकेल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के!’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने कहा- “छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है। इसी से मेरी जीविका है।”

(छ) ‘आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?”- इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्यों कहा? (“दिनै नोंनि खेलाया मानो जमियासै?” बे सोंथिनि फिननायाव उन्दै जादुगरा मा बुंदोंमोन?)

उत्तर: ‘आज तुम्हारा खेल जमां क्यों नहीं ?” इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने कहा- “माँ ने कहा है कि आज तुरन्त चले आना। मेरी घड़ी समीप है।”

संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):

4. (गुसुङ फिननाय हो (फ्राय 50 सोदोबनि गेजेराव):

(क) प्रसाद जी की कहानियों की विशेषताओ का उल्लेख करो। (प्रसाद जी निं सल ‘नि गुबैथिखौ फोरमाय।)

उत्तर: प्रसाद जी ने लगभग सत्तर कहानियाँ हिन्दी को भेंट की है। उनकी अधिकांश कहानियों में चारित्रिक उदारता, प्रेम, करुणा, त्याग, बलिदान अतीत के प्रति मोह से युक्त भावमूलक आदर्श की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने अपने समकालीम समाज की आर्थिक विपन्नता, निरीहता, अन्याय और शोषण को भी अपनी कहानियों में चित्रित किया है।

(ख) “क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा? – इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगरा ने किस प्रकार दिया था? (‘मानो, नों बेयाव मा नुनाय?’- बे सोंथिनि फिननायाव उन्दै ‘जादुगर मा बादि बुंनाय?)

उत्तर: उक्त प्रश्न का उत्तर देते हुए छोटे जादूगर ने कहा था कि

ने उसने सब देखा। चूड़ी फेंक कर खिलौने पर निशाने लगाते हैं, तीर से नम्बर छेदते हैं। उसे तो खिलौने पर निशाना लगाना ही सबसे अच्छा लगा। जादूगर तो बिलकुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल छोटा जादूगर दिखा सकता है। यह कहते समय उसकी वाणी में कहीं रूकावट न थी।

(ग) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या क्या कहा था? (गावनि बिमा-बिफानि सोंथिनि फिननायाव उन्दै जादुगरआ मा बुंनाय?)

उत्तर: अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटा जादूगर ने कहा था कि उसके पिताजी देश के लिए जेल में हैं तथा माँ बीमार है और मृत्यु की आखिरी घड़ियाँ गिन रही है। इसलिए वह तमाशा दिखाने निकला है ताकि अपनी माँ के लिए कुछ दवा-पथ्य खरीद सके।

(घ) श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था? (मुस्रिगेवलांआ जिथाम-जिब्रै बोसोरनि उन्दै जादुगरखौ मानि थाखाय गोमोहाबना नायदोंमोन?)

उत्तर: श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को आश्चर्य से देखा था क्योंकि तमाशा देखने के संबंध में श्रीमान को उत्तर देते हुए उसने कहा था – “तमाशा देखने नहीं, दिखाने निकला हूँ। कुछ पैसे ले जाँऊगा, तो माँ को पथ्य दूँगा। मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती।”

(ङ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया? (मुसिगेवलां नायनो लुबैनायाव उन्दै जादूगरा मा बायदि खेला दिनथिनाय?)

उत्तर: श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने कार्निवल के सब खिलौनो निकालकर अपना खेल दिखाना शुरू किया। भालु मनाने लगा। बिल्ली रूठने लगी। बन्दर घुड़कने लगा। गुड़िया का व्याह काने गुड्डे से हो गया। उसकी वचलता से ही अभिनय हो रहा था। ये सब देखकर दर्शक हँसते हँसते लोट-पोत हो गए।

(च) हवड़ा की ओर आते समय छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी? (हावरा फारसे फैबाय थानाय समाव उन्दै जादुगर आरो बिनि बिमाजों मुसि गेवलांआ मा बादि लोगो मोनलायदोंमोन?)

उत्तर: श्रीमान जब हावड़ा की ओर आ रहे थे तब छोटा जादूगर एक झोपड़ी के पास कम्बल कांधे पर डाले खड़ा था। श्रीमान के पूछने पर उसने कहा कि उसकी माँ यही है, अस्पतालवालों ने उसे निकाल दिया है। श्रीमान ने देखाकि उसकी माँ झोपड़ी के अंदर चिथड़ों से लदी हुई काँप रही थी। छोटे जादूगर ने कम्बल ऊपर से डालकर उसके शरीर से चिपटते हुए ‘माँ’ कहकर पुकारा। इस प्रकार श्रीमान की भेंट हुई।

(छ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मनःस्थिति में और किस प्रकार खेल दिखा रहा था? (लामा सेराव सिजों फैसालि खालामनानै उन्दै जादुगरा मा बादि गोसोजों माबोरै खेला दिन्थिदोंमोन?)

उत्तर: सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर खेल दिखा रहा था। उसकी बिल्ली रूढ रही थी। भालु मनाने चला था। व्याह की वाणीं में वह प्रसन्नता नहीं थी। जब वह दूसरे को हँसाने की चेष्टा कर रहा था, तब वह स्वयं काप जाता था। मानो उसके रोएँ रो रहे थे। इस मनः स्थिति में और इस प्रकार वह खेल दिखा रहा था।

(ज) छोटे जादूगर और उस के माँ के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो। (उन्दै जादुगर आरो बिनि बिमाजों मुसिगेवलांआ जोबथा खेब लोगो मोनलायनायखौ लिर।)

उत्तर: छोटे जादूगर ने जब खेल दिखाकर दौड़ते हुए झोपड़े में माँ-माँ पुकारते हुए घुसा तो श्रीमान भी उसके पीछे था। किन्तु उसकी माँ के मुँह से ‘बे……………. ‘ निकल कर रह गया। उसके दुर्बल उठकर गिर गए। छोटा जादूगर उससे लिपटा हो रहा था और श्रीमान ये सब देखकर स्तब्ध था।

5. सम्यक उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में:) (गोलावै फिननाय हो (फ्राय 100 सोदोबाव:)

(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक देन का उल्लेख करो। (बाबु जयशंकर प्रसादनि थुनलाइयारि बिहो थायखौ मुंख’।)

उत्तर: जयशंकर प्रसाद जी छायावादी काव्य-धारा की प्रतिनिथि कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए। आपकी साहित्यिक देन इस प्रकार है –

काव्य ग्रंथ: उर्वशी, वनमिलन, प्रेमराज्य, अयोध्या का उद्धार शोको च्छवास, बभ्रुबाहन, काननकुसुम, प्रेमपथिक, करुणालय, महाराणा का महत्व, झरणा, आँसू (खंडकाव्य), लहर और कामायणी (महाकाव्य)

नाटक: सज्जन कल्याणी- परिणय, प्रायरिचत, राज्यश्री, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ, कामना, स्कन्दगुप्त, एक घूँट, चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी ।

उपन्यास: कंकाल, तिलली और इरावती।

निबंध-संग्रह: काव्य और कला तथा अन्य निबंध।

कहानी संग्रहः छाया, प्रतिध्वनि, आकाश-दीप, आधी, इंद्रजाल।

(ख) छोटे जादूगर के मधुर व्यवहार एवं स्वाभिमान पर प्रकाश डालो। (उन्दै जादुगरनि मोजां आखु आरो गोगाथावनि सायाव बिजिर।)

उत्तर: छोटे जादूगर का व्यवहार बहुत ही मधुर है। जब श्रीमान उसे पहली बार कर्निवल के मैदान में देखते हैं तो आकर्षित हो जाते हैं। उसके मुँह पर गंभीर विषाद के धैर्य की रेखा थी। श्रीमान ने मैदान में क्या देखे कहकर पुछने पर उसने कहा था- “मैंने सब देखा। यहाँ चूड़ी फेंकते हैं। खिलौने पर निशाना लगाते हैं। तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौने पर निशाना लगाना अच्छा मालूम हुआ। जादूगर तो बिल्कुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल मैं दिखा सकता हूँ।” इसके अलवा श्रीमान की पत्नी भी उसके व्यवहार से मुग्ध हो जाती है।

छोटा जादूगर स्वाभिमानी भी है। श्रीमान द्वारा शरबत पिलाने पर उसने कहा था- “मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती।” इसके अलवा श्रीमान द्वारा ‘लड़के’ सम्बोधन करने पर उसने कहा था- “छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है। इसी से मेरा जीविका है।”

इस प्रकार छोटा जादूगर के मधुर व्यवहार तथा स्वाभिमान से फाटकवृंद अभिभूत हो जाते है।

(ग) छोटे जादूगर की चतुराई और कार्य-कुशलता का वर्णन करो। (उन्दै जादुगरनि सोलो आरो आखा-फाखाखौ बरनाय।)

उत्तर: छोटे जादूगर चतुर तथा कार्य-कुशल भी हैं। टिकट लगने हेतु परदे में न जा सकने के कारण श्रीमान द्वारा लिया जाने पर भी वह चतुराई से कहता है- वहाँ जाकर क्या कीजिएगा? चलिए निशाना लगाया जाए।” तमाशा देखे जाने पर भी वह कहता है- “तमाशा देखने नहीं, दिखाने निकला हूँ।”

श्रीमान ने जब बरह टिकट खरीदकर छोटे जादूगर को दिया तो उसका कोई भी गेंद खाली नहीं गया। देखनेवाले दंग रह गये। वह अपनी कार्य-कुशलत्ता से सबको हँसाकर लोट-पोट कर देता है। श्रीमान के अनुसार-“ताश के सब पत्ते लाल हो गए। फिर सब काले हो गए। गले की सुत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुड़ गई। लटटु अपने आप नाच रहे थे।”

इस तरह छोटे जादूगर अपनी चतुराई तथा कार्य-कुशलता से सबको अकृष्ट करता है।

(घ) छोटे जादूगर के देश-प्रेम और मातृ-भक्ति का परिचय दो। (उन्दै जादुगरनि हादोद अननाय आरो बिमा सिबिनायनि सिनायथि हो।)

उत्तर: छोटे जादूगर के हृदय में अपने देश के प्रति और माँ के लिए भक्ति भी है। श्रीमान के पूछने पर उसने अपने पिताजी के बारे में गर्व से कहा- “बाबूजी जेल में है। देश के लिए।” अपनी माँ की बीमारी के कारण वह जेल नहीं गया। खेल देखने के बाद वह श्रीमान से कहता है- तमाशा देखने नहीं, दिखाने निकला हूँ। कुछ पैसे ले जाऊँगा, तो माँ को पथ्य दूँगा। मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती।” तमाशा दिखाकर वह जो कुछ भी पाता है उससे अपनी माँ के लिए दवा-दारू खरीदना है, जो बहुत बीमार थी। सड़क के किनारे रंगमंच पर जब उसका कार्यक्रम चल रहा था, वह प्रसन्न नहीं था।

श्रीमान के पूछने पर उसने कहा, माँ कहा है कि आज तुरंत चले आना। मेरी घड़ी समीप है। यद्यपि यह तुरंत श्रीमान के साथ घर पहुंचा, उसकी माँ, ‘बे ……………… कहती हुई चल बसी।

उसकी मातृ-भक्ति से श्रीमान भी स्तब्ध रह जाता है।

(ङ) छोटे जादूगर की कहानी से तुम्हें कौन-सी प्रेरणा मिलती है? (उन्दै जादुगर सल ‘निफ्राय नों मा गियान मोनो?)

उत्तर: ‘छोटा जादूगर’ की कहानी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य की जीवन में सुख-दुख आता ही है और हमें यही अपनाना चाहिए। अभाव मनुष्य को बाध्य कराकर कुछ न कुछ कराता है।

अतः छोटा जादूगर प्रसादजी की एक ऐसी मनोरोम कहानी है, जिसमें आर्थिक विपन्नता और प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए एक लड़के के चरित्र को आदर्शात्मक रूप में उभारा गया है। परिस्थिति की माँग से एक बालक किस प्रकार अपने पावों पर खड़ा हो जाता है-उसका यहाँ हृदयग्राही चित्रण हुआ है।

6. सप्रसंग व्याख्या करो: (बेखेवसारनानै लिर):

(क) “मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी संपूर्णता थी।”

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित ‘छोटा जादूगर’ कहानी से लिया गया है।

इस पंक्तियाँ से यह बोध हो रहा है कि अभाव मनुष्य को सबकुछ सीखा देता है।

जो लोग किसी अभाव में रहते है उसे जीवन का दर्द मालूम होता है। अभाव और आवश्यकता मनुष्य को सबकुछ करने को बाध्य करता है तो जीवन के कुछ कटु सत्य को भी उजागर करता है।

कार्निवल के मैदान में जब श्रीमान ने छोटे जादूगर को देखा, तो मुँह पर गम्भीर विषाद के साथ धैर्य की रेखा भी थी। ऐसा लगता है कि उसका अभाव में संपूर्णता थी और श्रीमान अनायास ही उसकी और आकर्षित होता है।

(ख) “श्रीमती की वाणी में वह माँ की.सी मिठास थी, जिसके सामने किसी भी लड़के को रोका नहीं जा सकता।”

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोग भाग-2’ के अन्तर्गत जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित ‘छोटा जादूगर’ कहानी से लिया गया है।

श्रीमान अपनी श्रीमती के सामने छोटे जादूगर को न रोके जाने के संबंध में उक्त कथन कहा गया है।

माँ की वाणी में मिठास होता है। वह बहुत प्यार और आदर से लोगों की सेवा करती है। उनकी वाणी में ऐसी मिठास होती है कि कोई भी काम के लिए माना नहीं कर सकता।

इसी प्रकार छोटे जादूगर ने जब खेल दिखाने के लिए श्रीमान से अनुमति माँगी, श्रीमान जी ‘न’ कहनी ही वाले थे कि अपनी पत्नी ने माँ की मिठास भरी वाणी में खेल दिखाने की अनुमति दे दी। छोटे जादूगर को भी उनकी बातें अच्छी लगी और खेल दिखाने हेतु तत्पर हो गया। इस तरह श्रीमान ने छोटे जादूगर के सामने श्रीमती का विरोध न कर सके।

भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान: (राव आरो रावखान्थि)

1. सरल, मिश्र और संयुक्त वाक्यों को पहचानो: (गोरलै बाथ्रा आरो गलाय बाथ्राखौ सायख’:)

(क) कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी।

उत्तर: सरल वाक्य।

(ख) माँजी बीमार है, इसलिए मैं नहीं गया।

उत्तर: मिश्र वाक्य।

(ग) मैं घूमकर पान की दुकान पर आ गया।

उत्तर: सरल वाक्य।

(घ) माँ ने कहा है कि आज तुरंत चले आना।

उत्तर: मिश्र वाक्य।

(ङ) मैं भी पीछे था, किंतु स्त्री के मुँह से ‘बे….’ निकलकर रह गया।

उत्तर: संयुक्त वाक्य।

2. अर्थ लिखकर निम्नांकित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करो: (ओंथि लिरनानै बाथ्रा खोन्दोबफोरखौ बाथ्रा दा:)

नौ दो ग्यारह होना, आँखें बदल जाना, घड़ी समीप होना, दंग रह जाना, श्रीगणेश होना, अपने पाँवों पर खड़ा होना, अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना।

उत्तर: नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना): चोर चोरी करके नौ दो ग्यारह हो गए।

आँखे बदल जाना (मन बदल जाना): पैसों की बात सुनते ही उस की आँखे बदल गयी।

घड़ी समीप होना (मृत्यु का क्षण गिनना): कैंसर से पीड़ित रेखा की माँ की घड़ी समीप है।

दंग रह जाना (आश्चर्य चकित होना): प्रीति का अभिनय देखकर सब लोग दंग रह गए।

श्रीगणेश होना (आरंभ होना): हमारा परीक्षा कल श्रीगणेश होगा।

अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (अपने आप विपत्ति लाना): पुलिस चोर को मारकर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार लिया।

3. निम्नलिखित शब्दों के लिंग-परिवर्तन करो: (गाहायाव होनाय सोदोबफोरखौ आथोन सोलाय:)

रस्सी, जादूगर, श्रीमान, गुड़िया, वर, स्त्री, नायक, माली।

उत्तर:  रस्सी – रस्सा

जादूगर – जादूगरनी

श्रीमान – श्रीमती

गुड़िया – गुड्डा

वर – वधु

स्त्री – परुष

नायक – नायिका

माली – मालिन

4. निम्नांकित शब्दों के लिंग निर्धारित करो: (गाहायनि सोदोबफोरनि आथोन सायख’:)

रुकावट, हँसी, शरबत्त, वाणी, भीड़, तिरस्कार, निशाना, झील

उत्तर: पुलिंग – शरबत, तिरस्कार, निशाना

स्त्रीलिंग – रूकावट, हँसी, वाणी, भीड़, झील

5. निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तन करो: (गाहायनि सोदोबफोरनि सानराय सोलाय:)

खिलौना, आँख, दुकान, छात्रा, बिल्ली, साधु, कहानी

उत्तर: खिलौना – खिलौने

आँख – आँखें

दुकान – दुकानें

छात्रा – छात्राएँ

बिल्ली – बिल्लियाँ

साधु – साधुगण

कहानी – कहानिया।

SEBA Class 10 Hindi In Bodo

Chapter No.CONTENTS
Chapter – 1नींव की ईंट (बिथानि इथा)
Chapter 2छोटा जादूगर
Chapter – 3नीलकंठ
Chapter – 4भोलाराम का जीव
Chapter – 5सड़क की बात
Chapter – 6चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Chapter – 7साखी
Chapter – 8पद-त्रय
Chapter – 9जो बीत गयी
Chapter – 10कलम और तलवार
Chapter – 11कायर मत बन
Chapter – 12मृत्तिका

Notes of Class 10 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 10 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium Class 10 Hindi Question answer | SEBA Class 10 Hindi Question Answer In Bodo Chapter 2 अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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