SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 2 in Bodo परीक्षा/ आनजाद

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SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 2 in Bodo

SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 2 in Bodo परीक्षा (आनजाद)

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खोन्दो 2 परीक्षा/ (आनजाद)

Chapter 2 Pariksha / Anjad

अभ्यास-माला

बोध एवं विचार

1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो : 

(क) ‘परीक्षा’ कहानी में किस पद के लिये परीक्षा ली गई है? (‘परिक्षा’ सल ‘आव मा मासिनि थाखाय आनजाद लानाय जादों?) 

उत्तर : ‘परीक्षा’ कहानी में रियासत देवगढ़ के दीवान पद के लिये परीक्षा ली गई है।

(ख) दीवान साहब के समक्ष क्या शर्त रखी गई? (देवान साहाबनि थाखाय मा सर्ट लाखिनाय जादोंमोन?)

उत्तर : दीवान साहब के समक्ष यह शर्त लगा दी कि रियासत के लिए नया दीवान उन्हीं को खोजना पड़ेगा।

(ग) ‘परीक्षा’ कहानी में उम्मीदवार कौन सा-सामूहिक खेल खेलते है? (‘आनजाद’ सल’ आव बिनायसाफोरा मा गेलेनायखौ जयै गेलेदोंमोन?)

उत्तर : ‘परीक्षा’ कहानी में उम्मीदवार हॉकी खेल खेलते हैं।

(घ) दीवान के पद के लिए किसका चयन किया गया? (देवान मासिनि थाखाय सोरनि मुंखौ सायख ‘नाय जादोंमोन?)

उत्तर : दीवान के पद के लिए प. जानकीनाथ को चयन किया गया। 

2. संक्षिप्त उत्तर दो : (गुसुङै फिन हो)

(क) दीवान सुजानसिंह ने महाराज से क्या प्रार्थना की? क्यों? (देवान सुजान सिंहआ महाराजानि खाथियाव मा आरज गाबदोंमोन? मानो?)

उत्तर : दीवान सुजानसिंह ने महाराज से यह प्रार्थना कि हैं वे बूढ़े हुए। उन्हें परमात्मा की याद आई । अब कुछ दिन परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहते है। उधर राज कार्य संभालने की शक्ति नहीं। कहीं भूल-चूक हो जाए तो बूढ़ापे में दाग लगे, सारी जिंदगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाए।

(ख) उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के अभिनय किस प्रकार और क्यों कर रहे थे? (बिनायसाफोरा बायदिसिना रोखोमनि भावथिनाखौ मा बादि आरो मानो खालामदोंमोन?)

उत्तर : दीवानी के उम्मीदवारों में तरह-तरह के लोग थे। हर कोई अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा था। कुछ लोग जो नौ बजे सोने के आदी थे। आजकल प्रातःकाल उठकर बगीचे में टहला करते थे। कुछ जो हुक्का पीने के आदि थे वे रात के समय दिवाड़ बंद करके अंधेरे में सिगार पीते थे। कुछ उम्मीदवार जो अपने घरो के नौकरों को बात-बात पर फटकारा करते थे यहाँ नौकरों को च्आपज और ‘जनाब’ के संबोधन से बुलाया करते थे। 

जो नास्तिक थे आज धर्मनिष्ठा के द्वारा मंदिर के पुजारी को फेल कर रहे थे। वे जो किताब छुना पसन्द नहीं करते थे यहा धर्म-ग्रंथों को चाटने का नाटक रच रहे थे। सभी नम्रता और सदाचार के अवतार मालुम पड़ते थे। जो ब्राह्मण थे वे रात से ही उठकर वेद मंत्रों से वातावरण गुंजाये देते थे और मौलवी तो ऐसे उन्हें नमाज अदा करने के सिवा कोई काम ही न हो। इस प्रकार दीवानी पद पाने के लिए अभिनय करते थे।

(ग) एक उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद किस प्रकार की? (सासे बिनायसाया गारि सालायग्राखौ माबादि हेफाजाब होदोंमोन?) 

उत्तर : एक उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद इस प्रकार की कि वे उम्मीदवार लंगड़ाते किसान को देखा और वह समझ गया कि किसान किस मुसीबत में था। उसने किसान से कहा कि वह उसकी गाड़ी निकाल देगा और उसने हॉरी का डंडा रख दिया और अपना कोट उतार दिया। किसान से बैलों को हाँकने के लिए कहा और खुद नाले के कोचड़ में उतरकर पहिया में जोर लगाने लगा। कीचड़ अधिक थी। खिलाड़ी घुटने तक जमीन में गढ़ गया परन्तु वह अपने काम में लगा रहा और अन्ततः गाड़ी नाले के ऊपर आ गयी। 

(घ) किसान ने अपने मददगार युवक से क्या कहा? उसका क्या अर्थ था? (आबादारिया गावखौ हेफाजाब होनाय सेंग्राखौ मा बुंदोंमोन? बेनि ओंथिया मामोन?)

उत्तर : किसान ने अपने मददगार युवक से कहा कि नारायण चाहेंगे तो. दीवानी आपको ही मिलेगी। इसका मतलब यह है कि वह किसान सुजान सिंह ही है। सुजान सिंह उम्मीदवारों की परीक्षा ले रहे थे। 

(ङ) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा कैसे ली? (सुजान सिंहआ बिनायसाफोरनि आनजादखौ माबोरै लादोंमोन?) 

उत्तर : एक दिन दीवानी के उम्मीदवारों में कुछ हॉकी का खेल खेलकर संध्या समय लौट रहे थे। पास में ही एक नाला था जिसमें एक किसान अपनी अनाज से भड़ी गाड़ी के साथ फंस गया था। नाले में कीचड़ था और ऊचाई भी अधिक थी जिसके कारण गाड़ी नाले के ऊपर नहीं चढ़ पा रही थी। सभी खिलाड़ियों ने इस किसान को मुसीबत में फसा देखा लेकिन कोई भी उसकि किसान को इस स्थिति में देखा और खुद ही किसान की मदद करने पहुच गया। वह कीचड़ में उतरकर किसान की गाड़ी को बाहर निकलावाये बिना वहा से न हटा।

किसान कोई और नहीं स्वयं सरदार सुजान सिंह थे जिन्होंने किसान बनकर दीवानी के उम्मीदवारों की परीक्षा ली जिसमें पं. जानकीनाथ नामक युवक को सफलता मिली।

(च) पं० जानकीनाथ में कौन कौन से गुण थे? (पण्डित जनाकीनाथहा मा मा गुन दंमोन?)

उत्तर : पं० जानकीनाथ में दया है, आत्मबल है। उसके हृदय में दया और साथ ही आत्मबल है। उसके हृदय उदार है, बीरता है। 

(छ) सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में कौन-कौन से गुण होने चाहिए? (सुजानसिंहनि बादिब्ला देवानहा मा मा गुन थानांगौ?)

उत्तर : सुजानसिंह के मतानुसार दीवान कें पदो के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ ही आत्मवल भी। हृदय वही है जो उदार हो, आत्मबल वही है जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे।

3. सप्रसंग व्याख्या करो :

(क) लेकिन, मनुष्य का वहा बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा हुआ देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा हैं। (…………बे दाउबफोरनि गेजेराव हांसोआ बबेयाव एरसोना दं?)

उत्तर : इसमें यह बताया है कि जब रियासत देवगढ़ में नए दीवानी के लिए चुनाव हो रहें थे, तब कुछ रंग-बिरंग के फैसन लेकर वहा आते थे। उनमें से प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को आपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था। उन सब में से कौन चुना जायगा। इसके लिए ये बातें बोलते थे। 

(ख) गहरे पानी में बैठने से मोती मिलता है। (गोथौ दैयाव जेब्लासो मुकुता मोनो।)

उत्तर : यहाँ यह कहा है कि देवगढ़ में दीवान के उम्मीदवारो का हुजुम लगा हुआ है। यहा तरह-तरह के उम्मीदवार सारे देश से उपस्थित हुए हैं और सभी अपने को दिवान पद के लिए योग्य साबित करने में लगे हुए हैं। एकदिन जब कोई उम्मीदवार हॉकी का खेल खेलकर लौट रहे है तब कई भी उस गरीब किसान की मदद नहीं करता जिसकी गाड़ी नाले से निकलवाता है, इसी संदर्भ में किसान यह बात कहता है कि मोती प्राप्त करने के लिए गोताखोर को समुद्र की गहराई में जाना पड़ता है, अपने प्राणों की बाजी लगाना पड़ता है। अपने प्राणो की बाजी लगाना, पड़ता है, तब कही वह मोती प्राप्त करता है। युवक ने जो काम किया था, सुजान सिंह की नजर में बहुत महत्वपूर्ण था और वही युवक दीवानी रूपी मोतो प्राप्त करने का हकदार था।

(ग) उन आँखों में सत्कार था और इन आँखो में ईर्षा। (बे मेगनाव अननायनि नोजोर दं आरो बे मेगनाव मुगैलायनायनि मोन।) 

उत्तर : यहाँ यह कहा हैं कि उसको इस पद के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्मबल भी। हृदय वही है, जो उदार हो, आत्मबल वही है जो आपत्ति का बीरता के साथ सामा करे, और इस रियासत के सौभाग्य से हमको ऐसा पुरूष मिल गया। ऐसे गुणवाले संसार में कम होते है और जौ है, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए है। उन तक हमारी पहुँच ही नहीं। रियासत के कर्मचारी और रईसों ने पं. जानकीनाथ की तरफ देखा और उम्मीदवारों के दल की आँखे उधर उठी, मगर, उन आँखों में सत्कार था और इन आँखों में ईषा।

4. किसने किससे कहा, लिखो :

(क) कहीं भूल-चूक हो जाए तो बुढ़ापे में दाग लगे, सारी जिंदगी की नेकनामी मिट्टी में में मिल जाए। 

(ख) मालूम होता है, तुम यहाँ बड़ी देर से फँस हुए हो। 

(ग) नारायण चाहेंगे तो दिवानी आपको ही मिलेगी।

उत्तर : (क) इसी बात को दीवान सरदार सुजानसिंह ने रियासत’ देवगड़ के महाराज से कहा।

(ख) एक युवक ने किसान से कहा।

(ग) किसान ने युवक से कहा।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान (राव आरो रावखान्थि गियान 🙂

1. नीचे लिखो संज्ञाओं में जातिवाचक, व्यक्तिवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ पहचानों (गाहायनि सोदोबफोरनिफ्राय जानदिन्थिग्रा सुबुंदिन्थिग्रा आरो साननायदिन्थिग्रा सोदोब सायख’) :

देवगढ़, शक्ति, दीवान, जानकीनाथ, सादगी, अंगरखे, हंस, पुल, दया, शिखर, नारायण, खिलाड़ी।

उत्तर : जातिवाचक संज्ञा = दिवान, पुल, शिखर, खिलाड़ी। 

व्यक्तिवाचक संज्ञा = देवगढ़, जानकीनाथ, हंस, नारायण। 

भाववाचक संज्ञा = शक्ति, सादगी, अंगरखे।

2. ‘अनुभवशील’ शब्द में ‘अनुभव’ तथा ‘शील’ शब्दों का योग है। इसका अर्थ है अनुभवी। ‘शील’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाओ। (“अनुभवशील” सोदोबाव ‘अनुभव’ आरो ‘शील’ सोदोब दाजाबनाय जादों। बेनि ओंथिया जादों अनुभबी। ‘शील’ प्रल्यय दाजाबना मोनबा सोदोब दा)

उत्तर : प्रगतिशील, दयाशील, कुलशील, सहनशील, रहनशील।

3. निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दी गई सूचना के अनुसार परिवर्तित करो (गाहायनि बाथ्राफोरखौ बेन्दोंनि सिङाव होनाय बादियै सोलाय):

(क) खिलाड़ी लोग बैठे दम ले रहे थे। (सामान्य वर्तमान) 

(ख) लंबा आदमी सामने खड़ा है। (पूर्ण भूतकाल)

(ग) ऐसे गुणवाली संसार में कम होते हैं। (सामान्य भविष्य)

उत्तर : खिलाड़ी लोग बैठे दम ले रहे हैं। 

(ख) लंबा आदमी सामने खड़ा था। 

(ग) ऐसे गुणवाले संसार में कम होगा। 

4. दो शब्दों में यदि पहले शब्द के अंत में ‘अ’, ‘आ’ हो और बाद के शब्द के आरंभ में ‘इ’, ‘ई’, या ‘उ’, ‘ऊ’, हो तो उन दोनों में संधि होने पर क्रमश: ‘ए’ अथवा ‘औ’ हो जाता है जैसे– देव + इंद्र = देवेंद्र, महा + ईश = महेश, मंत्र + उच्छारण = मंत्रोच्छारण, पर + उपकार = परेपकार। नीचे लिखे शब्दों में संधि करो– (गाहायनि सोदोबफोरनि दाजाबदा बानाय–)

प्रश्न + उत्तर, गण + ईश, वीर + इंद्र, सूर्य + उदय, यथा + इच्छा।

उत्तर : प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर।

गण + ईश = गणेश।

वीर + इंद्र = वीरेन्द्र।

सूर्य + उदय = सूर्योदय।

यथा + इच्छा = यथाच्छा।

5. विलोम शब्द लिखो :

उत्तर : शब्द – विलोम शब्द

सज्जन – दुर्जन।

उपस्थित – अनुपस्थित।

उपयुक्त – अनुपयुक्त।

अपकार – उपकार।

योग्यता विस्तार (रोगौथि फोरमायथि) : 

1. तुमने कभी किसी संकट में फँसे व्यक्ति की मदद की है? अगर हा तो अपना अनुभव लिखो। (नों माब्लाबो खैफोदाव गोलैनाय मानसिखौ सहाय खालमफोरदों दा? मोन्दोंब्ला गावनि मोन्दांथिखौ लिंर।)

2. अवसर मिलने पर प्रेमचंद की कहानियों का रसस्वादन लो। (जिरायनाय समाव प्रेमचन्दनि सल ‘नि थावनायखौ ला।)

Chapter No.CONTENTS
Unit 1गद्य खंड
खोन्दो – 1हिम्मत और जिंदगी
खोन्दो – 2आनजाद (परीक्षा)
खोन्दो – 3बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार)
खोन्दो – 4दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची)
खोन्दो – 5नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला)
खोन्दो – 6चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय)
खोन्दो – 7जेननो रोङै (अपराजिता)
खोन्दो – 8सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग)
Unit 2पद्य खंड
खोन्दो – 9कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा)
खोन्दो – 10मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक)
खोन्दो – 11मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को)
खोन्दो – 12लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल)
खोन्दो – 13गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर)
खोन्दो – 14सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत)
खोन्दो – 15थांबाय था (चरैवति)
खोन्दो – 16बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया)

Notes of Class 9 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 9 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium 9th class hindi Question answer | Class 9 hindi seba in Bodo अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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