SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 5 in Bodo आप भले तो जग भला/ (नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां)

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SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 5 in Bodo

SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 5 in Bodo आप भले तो जग भला/ (नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां)

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खोन्दो 5 आप भले तो जग भला/ (नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां)

Chapter 5 Aap Bhole To Jog Bhola/ Nong Mojangblano Muluga Mojang

अभ्यास-माला

बोध एवं विचार (बुजि आरो बिजिर)

(अ) सही विकल्प का चयन करो : (थार फिननायखौ सायख’) 

1. एक काँच के महल में कितने कुत्ते घुसे थे? (आयनानि न ‘आव बेसेबां सैमा हाबदोंमोन?)

(क) एक।

(ख) दो।

(ग) एक हजार।

(घ) कई हजार।

उत्तर : (क) एक।

2. काँच का महल किसका प्रतीक है? (आयनानि न ‘आ मानि नेरसोन?) 

(क) संसार। 

(ख) अजायब घर।

(ग) चिड़ियाघर।

(घ) सपनों का महल।

उत्तर : (क) संसार।

3. निंदक बाबा वीर हमारा, बिनही कौड़ी बैह विचारै। आपन डुबे और को तारे, ऐसा प्रीतम उतारे। प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन है? (खन्थाइ सारिनि रनसायगिरिया सोर?)

(क) कबीर दास। 

(ख) रैदास। 

(ग) बिहारीलाल। 

(घ) दादु।

उत्तर : (घ) दादु।

4. आदमी भुखा रहता है (मानसिया उखैजाना थायो–)

(क) धन का।

(ख) जन का।

(ग) प्रेम का।

(घ) मान का।

उत्तर : (ग) प्रेम का।

5. गांधीजी ने अहिंसा की तुलना सीमेंट से क्यों की है? (गान्धीजीया अहिंसानि रुजुनायखौ सिमेन्टजों मानो खालामदों?) 

(क) अहिंसा से मनुष्य एक साथ-रहता है। 

(ख) अहिंसा किसी को अलग नहीं होने देती। 

(ग) अहिंसा सीमेंट की तरह एक दुसरे को जोड़ कर रखती है। 

(घ) अहिंसा में सीमेंट जैसी ताकत है। 

उत्तर : (ग) अहिंसा सीमेंट की तरह एक-दुसरे को जोड़ कर रखती है।

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो : (गुसुङै फिन हो) :

1. दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक क्या सीख दे चाहते हैं? (मानै सैमानि जाथाइ बिजिरनानै लिरगिरिया मा सोंलोंथाइ होनो नागिरदों?) 

उत्तर : दो कुत्तों की घटना से यह सीख मिलती है आप दुसरे के साथ अच्छा व्यबहार करेगा तो अच्छा व्यबहर मिलेगा और दुसरे से बुरा व्यबहार करेगा तो बुरा व्यबहार मिलेगा।

2. लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से क्यों कि है? (लिरगिरिया संसारनि रुजुनायखौ आयनानि न ‘जों मानो खाामदों?)

उत्तर : लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से इसलिए कि अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है।

3. अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या था? (आब्राहम लिंकननि जाफुंसारनायनि बयनिख्रुइ देरसिन गुमुरा मा मोन?) 

उत्तर : अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य यह था कि उन्होंने दुसरोंकी अनावश्यक नुक्याचीनीकर उनका दिल नहीं दुखाता।

4. लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण क्या स्पष्ट करने के लिए दिए है? (लिरगिरिया गान्धी आरो चदाँर प्रथिवीसिंहनि बिदिन्थिखौ मा रोखा खालामनो होदों?)

उत्तर : लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्विसिंह के उदाहरण यह स्पष्ट करने के लिए दिए हैं कि प्रेम और सहानुभूति से आदमी को अपने और खीचा जा सकता था।

5. रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की नोकरी क्यों छोड़ दी? (ओंखाम संग्राया मिथिहोआलासै लिरगिरिनि लोगोनि साख्रिखौ मानो एंगारदोंमोन?)

उत्तर : रसोइया को सुबह से शाम तक महाशय की डाँट खानी पड़ती थी, इसलिए बिना खबर दिए लेखक के मित्र की नौकरी छोड़ दी।

6. ‘अच्छा हो, सुकरात के इस विचार को मेरे मित्र अपने कमरे में लिखकर टाँग लें।’ – लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? (थिक दं, सुकरातनि बे बिजिरनायखौ आंनि लोगोआ लेखा बिलाइयाव लिरनानै गावनि खथायाव आलायना लाथों-लिरगिरिया बेबादियै मानो बुंदोंमोन?)

उत्तर : सुकरात के जीवन, आचार और विचार आदर्श है। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो : (गाहायनि सोंथिफोरनि फिननाय हो) :

1. अपने मित्र को परेशान देखकर लेखक को किस किस्से का स्मरण हो आता है? (गावनि बिलोगोनि गोजोन गैयैखौ नुनानै लिरगिरिया मा बाथ्राखौ गोसोखाङो?)

उत्तर : अपने मित्र को परेशान देखकर लेखक को इसी किस्से का स्मरण हो आता है। उसने उनकी मिसाल भौकंने वाले कुत्ते से नहीं देना चाहता। यह तो बड़ी अशिष्टता होगी। पर इस कहानी से वे वाहें तों कुछ सबक जरूर सीख सकते हैं। 

2. दुखड़ा रोने रहनेवाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में चले जाना क्यों बेहतर है? (दुखुवाव गाबबाय थाग्रा मानसिया संसारनिफ्राय गोजाननि हाग्रामायाव थांनायानो मानो साबसिन?)

उत्तर : दुनिया काँच के महल जैसी है। अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है। अगर आप प्रसन्नचित्त रहते है, दुसरों के दोषों को न देखकर उनके गुणों की ओर ध्यान देते हैं तो दुनिया भी आपसे नम्रता और प्रेम का बरताव करेगी। अगर आप हमेशा लोगों के ऐबों की ओर देखते हैं, उन्हें अपना शत्रु समझते हैं और उनकी ओर भौका करते हैं तो फिर वे क्यों न आपकी ओर गुस्से से दौड़ेंगे?

अंग्रेजी में एक कहावत है कि अगर आप हँसेंगे तो दुनिया भी आपका साथ देगी, पर अगर आपको गुस्सा होना और रोना ही है तो दुनिया से दूर किसी जंगल में चले जाना बेहतर हैं।

3. ‘प्रेम और सहानुभूति से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता हैं।’ – यह स्पष्ट करने के लिए लेखक ने क्या-क्या उदाहरण दिए है? (‘अननाय आरो दुखु खामफानायजों जायखिजाया सुबुंखौनो गावनि सिङाव लाबोनो हायो।’ बे बाथ्राखौ रोखा खालामनो लिरगिरिया मा मा बिदिन्थि होदों?) 

उत्तर : ‘प्रेम और सहानुभूति से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है।’ यह स्पष्ट करने के लिए लेखक ने यह उदाहरण दिए है – सरदार पृथ्विसिंह ने हिंसा का मार्ग त्याग कर अपने को बापु के सामने अर्पण कर दिया तब बापु को बहुत खुशी और संतोष हुआ।

4. लेखक ने अपने मित्र की किन गलतियों का वर्णन किया है? (लिरगिरिया गावनि लोगोनि मा गोरोन्थिनि बाथ्राखौ बिजिरना होदों?) 

उत्तर : लेखक ने अपने मित्र की यह गलतियों का वर्णन किया हैं कि वे दुसरों का दृष्टिकोण समझने की कोशिश नहीं करते। दूसरों के विचारों की, कामों की, भावनाओं की आलोचना करना ही अपना परम धर्म समझते हैं। उनका शायद यह ख्याल है कि ईश्वर ने उन्हे लोगों को सुधारने के लिए ही भेजा है। पर वह भुल जाते है कि शइद की एक बुँद ज्यादा मक्षियों के आकर्षित करती है, बजाय एक सेर जहर के।

5. इस पाठ का आधार पर बताओ कि ‘हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।’ (बे फरा आयदानि सायाव बुंदि “जों मा खालामनो नांगौ आरो मा खालामनो नङा?”) 

उत्तर : इस पाठ का आधार पर हमें यह करना चाहिए अगर सचमुच कुछ त्रुटियाँ है, जिनकी ओर निन्दक हमारा ध्यान खीचता है तो उन अवगुणों को दूर करना हम सभी का कर्तव्य हो जाता है। जिसने उनकी ओर ध्यान दिलाया उसका उपकार ही मानना चाहिए। और यह नहीं करना चाहिए कि हरेक मे कुछ न कुछ त्रुटियाँ रहती हैं। प्रत्येक व्यक्ति से गलतियाँ होती हैं। फिर एक-दुसरे को सुधारने की कोशिश करना अनुचित ही समझना चाहिए।

(ई) आशाय स्पष्ट करो : (सानस्रि फोरमायथि) :

(क) शहद की एक बुँद ज्यादा मक्खियों को आकर्षित करती है, बजाए एक सेर जहर के। (बेरे मोदै थोबथिंसेया गोबां थामफैखौ गोसो बोगथाबो, सेरसे बिसनिख्रुइ।)

उत्तर : यहाँ लेखक ने यह कहते है कि, आदमी के एक अच्छा गुण अमर करके, रखते हैं। सब जगह में उसके नाम फैल जाते है और सब आदमी उसको सम्मान करते है। और एक बुँद शहद से एक आदमी जो काम करतें है, एक सेर जहर से वे काम नहीं कर सकते हैं।

(ख) लोग दूसरों की आँखों का तिनका तो देखते हैं, पर अपनी आँख के शहतोर को नहीं देखते। (मानसिया गुबुननि दायखौ नुयो, नाथाय गावनि दायनि फारसे नोजोर होआ) 

उत्तर : यहाँ लेखक ने यह कहा है कि दूसरों को सीख देना तो बहुत आसान काम है, अपने ही आदर्शो पर स्वयं अमल करना कठिन है। अगर हम अपने को ही सुधारने का प्रयत्न करें और दुसरों के अवगुणों पर टीका-टिप्पणी करना नहीं चाहिए। अपने को ओर देखना चाहिए।

(ग) जो मनुष्य मूर्ख है और जानता है कि वह मूर्ख है, वह ज्ञानी है, पर जो मूर्ख है और नहीं जानता कि वह मूर्ख है, वह सबसे बड़ा मूर्ख है? (जाय मानसिया जाम्बा, बियो गियानिसो, नाथाय जाय मानसिया जामबा आरो मिथियादि गाव जाम्बा, बियो बयनिख्रुइबो देरसिन जाम्बा।) 

उत्तर : यहाँ लेखक ने यह कहा है कि जो आदमी अपने बारे जानते हैं, अपने दोष और भूल समझते हैं। वह आदमी ज्ञानी है। अपने को सुधार सकते हैं। और कुछ आदमी एसा है कि कुछ नहीं जानते, कोई ज्ञान भी नहीं हैं। लेकिन खुद को बहत समझदार सोचतें हैं। वह आदमी अपने बारे में कुछ नहीं जानते। वह बड़ा मूर्ख हैं।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान (राव आरो रावखान्थि गियान)

3. निम्नलिखित विलोम शब्दों के अर्थ का स्पष्ट करते हुइ उनका वाक्यों में प्रयोग करो :

ध्वनि – प्रतिध्वनि।

हिंसा – अहिंसा।

क्रिया – प्रतिक्रिया।

फल – प्रतिफल।

उत्तर : प्रतिध्वनि – कमरे में प्रतिध्वनि होता है।

प्रतिक्रिया – किसी को ऊपर अपना प्रतिक्रिया व्यक्त करना नहीं चाहिए।

अहिंसा – अहिंसा परम धर्म है।

प्रतिफल – बुरे काम का प्रतिफल मिलते हैं।

4. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित करो (गाहायनि बाथ्राफोरखौ थिननाय बायदियै सोलाय–)

(क) जब में अपने एक मित्र को हमेशा परेशान, नाराज और चिड़चिड़ाते देखता हूँ तब इसी किस्से का स्मरण हो आता है। (वचन बदलो)

उत्तर : जब हम अपने कोई मित्र को हमेशा परेशान, नाराज और चिड़चिड़ाते देखते हैं तब ईसी किस्से को स्मरण हो आते हैं।

(ख) दुखी होने का कोई कारण नहीं हैं? (प्रश्नवाचक बनाओ) 

उत्तर : क्या दुखी होने का कोई कारण नहीं हैं? 

(ग) रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। (विस्मयादिबोधक बनाओ) 

उत्तर : वाहख कितना रंग-बिरंगे फुल खिले हैं। 

(घ) वह आनपढ़ नौकारानी किताबें और कविताएँ लिखना नहीं जानती थी, पर व्यवहार-कुशल अवश्य थी। (लिंग बदली)

उत्तर : वह अनपढ़ नौकर किताबे और कविताएँ लिखना नहीं जानता था, पर व्यवहार-कुशल अवश्य था।

(ङ) है तो वह भी आदमी ही। (सामान्य वाक्य बनाओं) 

उत्तर : वह तो भी आदमी ही है।

5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग करें। आग बबूला होना, नुक्ताचीनी करना, टूट पड़ना, चुटकियाँ लेना, कोई चारा न होना।

उत्तर : आग बबूला होना (बहुत गुस्सा होना) – राम की बातेन सुनकर मोहन आग बबूला हो उठा।

नुक्ताचीनी करना (दोष निकाना) – दुसरे के नुक्ताचीनी करना नहीं चाहिए। 

टूट पड़ना (दूर्बल होना) – राम परीक्षा में फेल करके टुट पड़ा। 

चुटकियाँ लेना (व्यंग्य करना) – किसी से टुटकियाँ लोना नहीं चाहिए।

योग्यता बिस्तार (रोंगौथि फोरमायथि)

1. ‘निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय। 

बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥’ कबीर की इन पंक्तियों और पाठ में उल्लिखत दादू की पंक्तियों की तुलना करो। (कबीरनि बे बाथ्रा बिलाइआव मुंख ‘नाय दादूनि बाथ्रा गेजेराव रुजु।) 

उत्तर : दादु के पंक्तियाँ हैं–

निंदक बाबा वीर हमारा, बिनही कौड़ी बहै बिचारा। आपन डुबे और को तारे, ऐसा प्रीतम पार उतारे। 

2. कबीर, रहीम और वृंद के उन नीतिपरक दोहों का संकलन करो जिनमे मीठा बोलने, परनिंदा न करने, प्रेम और बिनम्रतापूर्ण व्यवहार करने की बातें कही गई हैं।

उत्तर : गावनो खालाम।

Chapter No.CONTENTS
Unit 1गद्य खंड
खोन्दो – 1हिम्मत और जिंदगी
खोन्दो – 2आनजाद (परीक्षा)
खोन्दो – 3बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार)
खोन्दो – 4दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची)
खोन्दो – 5नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला)
खोन्दो – 6चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय)
खोन्दो – 7जेननो रोङै (अपराजिता)
खोन्दो – 8सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग)
Unit 2पद्य खंड
खोन्दो – 9कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा)
खोन्दो – 10मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक)
खोन्दो – 11मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को)
खोन्दो – 12लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल)
खोन्दो – 13गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर)
खोन्दो – 14सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत)
खोन्दो – 15थांबाय था (चरैवति)
खोन्दो – 16बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया)

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Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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