SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 7 in Bodo अपराजिता/ (जेननो रोङै)

SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 7 in Bodo अपराजिता/ (जेननो रोङै). Class 9 Hindi Question Answer in Bodo to each Chapter is provided in the list of SCERT, NCERT, SEBA हिंदी |आलोक Class 9 Question Answer दिए गए हैं ताकि आप आसानी से विभिन्न अध्यायों के माध्यम से खोज कर सकें और जरूरतों का चयन कर सकें. Class 9th Hindi Chapter 7 Jenona Ronde Question Answer Class 9 Bodo Medium Hindi Chapter 7 Questions Answer. SEBA Bodo Medium Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता Notes covers all the exercise questions in NCERT, SCERT.

Join us Now
SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 5 in Bodo

SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 7 in Bodo अपराजिता/ (जेननो रोङै)

बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 7 जेननो रोङै Question Answer | Aporajita/ Jenona Ronde | इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की कक्षा 9 बोडो मीडियम आलोक खोन्दो 7 अपराजिता Question Answer. अगर आप एक सात्र या शिक्षाक हो बोडो मीडियम की, तो आपके लिए ये बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 7 Question Answer बोहत लाभदायक हो सकता है। कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 7 मे आप अपना ध्यान लगाके पढ़ कर इस Class 9 hindi chapter 7 bodo medium में अछि Mark ला सकते हो अपनी आनेवाली परीक्षा में।

खोन्दो 7 अपराजिता/ (जेननो रोङै)

Chapter 7 Aporajita/ Jenona Ronde

अभ्यास-माला

बोध एवं विचार (बुजि आरो बिजिर)

सही विकल्प का चयन करो : (थार फिननायखौ सायख:) 

1. हम अपनी विपत्ति के लिए हमेशा दोषी ठहराते हैं। (जों गावनि खैफोदनि थाखाय जेब्लाबो दाय हमो।) 

(क) परिवार वालों को। 

(ख) अपने आप को।

(ग) विधाता को।

(घ) अपने दुश्मन को।

उत्तर : (ग) विधाता को।

2. लेखिका से मुलाकात के समय डाँ० चंद्रा किस संस्थान के साथ जुड़ी हुई थी। (लिरगिरिखौ लोगो मोननाय समाव डाँ० चंद्राया माबे फसंथानजों सोमोन्दो दंमोन।)

(क) भारतीय विज्ञान संस्थान, मुंबई। 

(ख) आई. आई. टी. मद्रास। 

(ग) आई. आई. टी. खड़गपुर। 

(घ) भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली।

उत्तर : (ख) आई. आई. टी. मद्रास।

3. अपनी शानदार कोठी में उसे पहली बार कार से उतरते देखा, तो आश्चर्य से देखती ही रह गई– लेखिका कार से उतरती डाँ० चंद्रा को आश्चर्य से देखती ही रह गई क्योंकि– (गावनि समायना बांला नवाव जेब्ला बिखौ गिबिखेबनि थाखाय कारनिफ्राय ओंखारनाय नुयो, अब्ला गोमोहाब नायहाबनो गोनां जायोलिरगिरिया डा० चंद्राखौ कारनिफ्राय ओंखारमारैनो गोमोहाब नायबाय थानो गोनां जादों मानोना।)

(क) लेखिका को वह कुछ जानी-पहचानी-सी लग रही थी। 

(ख) डा० चंद्रा बहुत ही प्रसिद्ध महिला थी और लेखिका ने अखबार में उसकी तस्वीर देखी थी।

(ग) शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद डा० बिना किसी के सहारे कार से उतरकर व्हील चेयर में बैठी और कोठी के अन्दर चली गई।

(घ) अपने नयी पड़ोसिन के प्रति उसके मन में स्वाभाविक कौतूहल जन्मी थी। 

उत्तर : (ग) शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद डा० बिना किसी के सहारे कार से उतरकर व्हील चेयर में बैठी और कोठी के अन्दर चली गई। 

4. मैंनो इसी से एक ऐसी कार का नक्सा बनाकर दिया है, जिससे मैं अपने पैरों के निर्जीव अस्तित्व को भी सजीव बना दूँगी’–  डाँ० चंन्द्रा ने नई कार की नक्सा बनायी थी क्योंकि– (आङो बेनिफ्राय एरैबादि कारनि मोनसे नक्सा बानायना हरो, जायजों आं गावनि आथिं थोंनैनि थाथायखौ गोथां बानायना लानो हागोन’– डा० चंन्द्राया गोदान कारनि नक्सा बानायदोंमोन मानोना–)

(क) उस समय वे कुछ नया आविष्कार करना चाहती थीं जिससे उन्हें विज्ञान जगत में प्रतिष्ठा मिले।

(ख) डो० चंद्रा चाहती थीं कि कोई उसे सामान्य-सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थीं जिसे वे स्वयं चला सकती। 

(ग) उन्होंने सोचा था कि उस नयी कार चलाने पर उनके पैर धीरे-धीरे ठीक हो जाएँगे।

(घ) उनकी कार माँ को चलानी पड़ती थीं और वे माँ को कष्ट देना नहीं चाहती थीं।

उत्तर : (ख) डो० चंद्रा चाहती थीं कि कोई उसे सामान्य-सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थीं जिसे वे स्वयं चला सकतीं। 

5. डा० चन्द्रा के एलबम के अंतिम पृष्ठ पर एक चित्र था, जिसमें– (डा० चन्द्रानि एलबामनि जोबथि बिलायाव मोनसे सावगारि दंमोन, जेराव–)

(क) वह डाक्टरेट की उपाधि ले रही थी।

(ख) उनकी माँ जे.सी. बंगलौर द्वारा प्रदत्त ‘वीर जननी’ पुरस्कार ग्रहण कर रही थी।

(ग) उनके परिवार को सभी सदस्य थे। 

(घ) वह राष्ट्रपति से ‘गर्ल गाइड’ का पुरस्कार ले रही थी।

उत्तर : (ख) उनकी माँ जे.सी. बंगलौर द्वारा प्रदत्त ‘वीर जननी’ पुरस्कार ग्रहण कर रही थी।

पूर्ण वाक्य में उत्तर दो : (आबुं बाथ्राजों फिन हो 🙂

1. हमें कब अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है? (जों माब्ला गावनि जिउनि लाथिखमाखौ जोबोद उन्दैथार मोनदांथि मोनो?)

उत्तर : जब कभी कभी अचानक ही विधाता हमें ऐसे विलक्ष्ण व्यक्तित्व से मिला देता है, जिसे देख स्वयं अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है।

2. डा० चन्द्रा के अध्ययन का विषय क्या था? (डा० चन्द्रानि सोलोंथाय लानाय आयदाया मामोन?)

उत्तर : डा० चन्द्रा के अध्ययन का विषय माइक्रोबायोलाँजी था। 

3. लेखिका से डा० चन्द्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में क्या पूछने का अनुरोध किया था? (लिरगिरिनिफ्राय डा० चन्द्राया उरां जाहाजनि इस्ट-वेस्ट सेन्टाराव मा बाथ्रा सोंनो बिथोन होदोंमोन?)

उत्तर : लेखिका से डा० चन्द्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में उसकी अपनी बायोडाटा के आधार पर कोई फैलोशिप मिल सकता है कि नहीं इसके बारे में पूछने का अनुरोध किया था।

4. डा० चन्द्रा की स्कूली शिक्षा कहाँ तक हुई थी? (डा० चन्द्रानि फरायसालिनि सोलोंथाया बबेसिम जादोंमोन?)

उत्तर : डा० चन्द्रा ने एम. एस. सी तक हुई थी और वे बंगलौर के प्रख्यात इंस्टीटयूट आँफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित की। वे प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीते।

5. डा० चन्द्रा ने किस संस्थान से डाँक्टरेट की उपाधि हासिल की थी? (डा० चन्द्राया माबे फसंथाननिफ्राय डक्टरेट बिमुंखौ मोननो हादोंमोन?) 

उत्तर : डा० चन्द्रा ने बंगलौर के प्रक्ष्यात इंस्टीटियूट आँफ साइंस से डाक्टरेट की उपाधि हासिल की थी।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो : (गाहायाव होनाय सोंथिफोरनि फिन हो 🙂

1. लेखिका ने जब डा० चन्द्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो उनके मन में कैसा भाव उत्पन्न हुआ था? अपने शब्दों में लिखो।(लिरगिरिया जेब्ला डा० चन्द्राखौ गिबिखेबनि थाखै कारनिफ्राय ओंखारनाय नुयोब्ला बिनि गोसोआव माबादि सानस्रि सोमजिखांदोंमोन? गावनि रावजों लिर।)

उत्तर : लेखिका ने जब डा० चन्द्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो उसके मन में आश्यर्च का भाव उत्पन्न हुआ था। उसकी ऐसा महसूस हुआ कि कोई मशीन बटन खटखटाती अपनी काम किए चली जा रही हो। लेखिका डा० चन्द्रा की साहसी जीवन प्रणाली की प्रेरणा के रुप में दूसरों के सामने पेश करने के लिए सोच रही थी, जो अपंग होकर भी सदा उत्फुल्लित रहकर अदभूत साहस से अपनी जीवन जीती थी।

2. लेखिका यह क्यों चाहती है कि ‘लखनऊ का वह मेधावी युवक’ डा० चन्द्रा के संबंध में लिखी उनकी पंक्तियों को पढ़े? (लिरगिरिया बेखौ मानो लुबैयोदि ‘लखनौनि बि मेलेमजिबि लाइमोन’ डा० चन्द्रानि सोमोन्दै लिरनाय बिनि बाथ्रानि सिरिफोरखौ फरायथों?) 

उत्तर : लेखिका का परिचित लखनऊ के एक मेधावी युवक अपना दाँया हाथ खो देने के कारण अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था। अपना एक हाथ खो देने पर ही उसने अपना साहस छोड़ दी थी और सहज ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली थी। वहीं दूसरी ओर डा० चन्द्रा जिनके शरीर का निचला हिस्सा ही सुन्न था, शारीरिक रुप से अक्षम होने के बावजूद भी उन्होंने विषम परिस्थितियों का खुशी खुशी मुकाबला किया और जीवन की कठिनाइयों पर विजय पाई। लेखिका इसलिए चाहती हैं कि वह युवक डा० चन्द्रा के संबंध में लिखी उनकी पंक्तियों को पढ़े ताकि उसे भी जिन्दगी की कठिनाइयों से निराश होने के बजाय उनसे हँसते-हँसते मुकाबला करने की प्रेरणा मिले।

3. “अभिशप्त काया” कहकर लेखिका डा० चन्द्रा की कौन-सी विशेषता स्पष्ट करना चाहती है? (सावसारजानाय देहा’ होन्नानै लिरगिरिया डा० चन्द्रानि माबादि बाथ्राखौ रोखा खालामनो लुबैयो?)

उत्तर : ‘अभिशप्त काया’ का अर्थ है अभिशप्त से गृष्ट शरीर। यहाँ लेखिका यह कहना चाहती है कि डा० चन्द्रा का शरीर अभिशाप के समान ही था क्योंकि उनके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न था। इसके बावजूद उन्होंने साहस नहीं खो दी और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर जीवन की विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने बिधाता के शाप को झेला और अपंगता को कभी अपनी कमजोरी बनने नहीं दिया। लेखिका डा० चन्द्रा की इसी विशेषता को यहा उजागर करना चाहती है।

5. शिक्षा के क्षेत्र में डा० चन्द्रा की उपलब्धियों का उल्लेख करो। (सोलोंथायनि बेलायाव डा० चन्द्रानि मोनफुंनो हानायखौ फोरमाय।) 

उत्तर : डा० चन्द्रा एक मेधावी छात्री थीं और उन्होंने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्तकर अनेकों स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने बी. एस. सी. किया, प्राणीशास्त्र में एम.एस.सी. में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बंगलौर के प्रख्यात इंस्टीटियुट आँफ साइंस में अपने लिए स्पेशेल सीट अर्जित की थी। यहीं से उन्होंने माइक्रोबायोलोजी में डक्टरेट हासिल की।

6. विज्ञान के अतिरिक्त और किन-किन विषयों में डा० चन्द्रा की रुचि थी? (बिगियाननि अनगायै आरो मा मा आयदायाव डा० चन्द्रानि लुबैनाय दंमोन?)

उत्तर : विज्ञान के अतिरिक्त डाँ० चन्द्रा की काव्य रचना, कढ़ाई-बुनाई, गर्ल गाइड तथा भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत विषयों में खास रुचि थीं। उसके दोनों हाथ, दोनों पैरों का भी, जो निरंतर मशीनो खटखट में चलते रहते थी। जर्मन भाषा में उसकी माँ और वह दोनों मैक्समुलर भवन से विशेष योग्यता सहित परीक्षा उतीर्ण की थी। गर्ल गाइड में राष्ट्रपति की स्वर्ण कार्ड पाने वाली वह प्रथम अक्षम वालिका थी। इसी तरह वह विभिन्न क्षेत्रों में अपनी रुचि रखी थी।

7. डा० चन्द्रा की माता कहाँ तक ‘वीर जननी’ पुरस्कार की हकदार है? अपना विचार स्पष्ट करो। (डा० चन्द्रानि बिमाया बेसेबांसिम ‘वीर जननी’ बान्थाखौ मोनथावो? गावनि साननायखौ रोखा खालाम।) 

उत्तर : डा० चन्द्रा ने अपने जीवन में सफलता की जिन उँचाइयों को उनकी माँ श्रीमती सुब्रमण्यम का बहुत बड़ा योगदान रहा। वचपन में ही ड चन्द्रा का पूरा शरीर सुन्न हो गया था। लेकिन इससे उसकी मा निराश न होकर उनकी इलाज करवाया और एक दिन स्वयं ही डा० चन्द्रा के शरीर के उपरी हिस्से में जान आ गई। अपंग होने के बावजूद भी अपनी वेटी की लिखा पढ़ा कर अपने पैरों खड़ा होने का काबिल बनाया। यह श्रीमती सुब्रह्मण्यम के कष्टों का ही फल था कि डा० चन्द्रा एक सफल वैज्ञानिक बता सकों। इस तरह यह कहा जा सकता है कि डा० चन्द्रा की माता पूरी तरह वीर जननी पुरस्कार की हकदार थी। 

8. ‘चिकित्सा ने जो खोया है वह विज्ञान ने पाया’- यह किसने और क्यों कहा था? (‘फाहामथाया जायखौ खोमादों बेखौ बिगियाना मोनदों’- बेखौ सोर आरो मानो बुंदोंमोन?)

उत्तर : यह कथन डा० चन्द्रा के प्रोफेसर का है। उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि डा० चन्द्रा का सपना था कि वह एक डाक्टर बने। लेकिन अपंग होने के कारण उन्हें किसी भी मेडिकल काँलेज में दाखिल नहीं मिला। लेकिन डा० चन्द्रा ने हिम्मत हारकर विज्ञानकी ओर रुख किया। उन्होंने प्राणीशास्त्र में एम.एस.सी. किया फिर बंगलौर के इंस्टीटियूट आँफ से माइक्रोबायोलोजी में पी.एच.डी. डिग्री हासिल की और विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। इस तरह चिकित्सा जगत उनके अवदानों से वंचित रह गया, वहीं विज्ञान जगत लाभान्वित हुआ। इसी कारण डा० चन्द्रा के प्रोफेसर ने उक्त पंक्ति कही।

आशय स्पष्ट करो : (ओंथिखौ रोखा खालाम)

(क) नियति के प्रत्येक कठोर आघात को अति अमानवीय धैर्य एवं साहस से झेलती वह वित्ते– भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी। (खैफोदनि मोनफ्रोमबो गोब्राब आघाटखौ जोबोद सहायसुली मानसिबादि धैर्य आरो साहसजों सहायना थानाय बि उन्है हिन्जावसाखौ आं माबेबा मोदायजोनि खुरै खम मोनाखै।)

उत्तर : डा० चन्द्रा की शरीर का निचला हिस्सा सुन्न था। लेकिन उनमें साहस, दृढ़ता तथा अपने लक्ष को पाने की इच्छा कूट कूट कर भरी हुई थी। शारीरिक रुप से अक्षम होने के कारण उनकी सामान्य लोगों की तरह काम काज करने में असुविधा होति थी। परन्तु उनके मन में असीम धैर्य और सुदृढ़ इच्छाशक्ति थी। अपनी अपंगता की उन्होंने कमजारी बनने में नहीं ही बल्कि अपने धैर्य, साहस, मेहनत तथा संकल्प शक्ति के बल पर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल की। निरंतर साधना के बल पर वे प्रविष्टि के शिखर पर पहुँच गई जीवन की कठिनाइयों के विरुद्ध उनका संघर्स अमानवीय था क्योंकि वह जीवन में आनेवाली सभी बाधाओं और बिकट परिस्थितियों का टक्कर मुकाबला किया और उन पर विजय प्राप्त कर ली। इसलिए लेखिका उस छोटी-सी लड़की की देवांगना से कम नही मानती।

(ख) ईस्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है। (इसोरा गासै दरजाखौ खेबसेयैनो बन्द खालाम। जुदि फारसे दरजाखौ होयोब बन्द खालामोब्लाबो गुबुन फारसेखौ खुलिना।)

उत्तर : लेखिका के अनुसार ईस्वर मनुष्य के लिए अन्सर के सारे दरवाजे एक साथ बंद नहीं करता। अगर भी एक रास्ता बंद करता है तो भाग्योदय के अन्य कई रास्ते खोल देता हा। यहाँ लेखिका का आशय है कि ईस्वर इंसान को अगर कोई कमी, देता है तो उसमें कोई न कोई बिलक्षण गुण अवश्य भर देता है। डा० चन्द्रा इसकी सशक्त उदाहरण थी। बचपन से ही उनका आधा शरीर उपंगग्रस्त हो गया था।

उनके शरीर का निचला हिस्सा निष्क्रिय हो चुका था। लेकिन ईस्वर ने उनके अंदर विलक्षण बुद्धि तथा अदम्य साहस भर दिया था। वह वचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत तेज थी। वह हर परीक्षा में प्रथम आती और पुरस्कार जीतती थी। अपने अदम्य साहस तथा विलक्षण प्रतिभा के बल पर ही उन्होंने माइक्रोबाँयोलोजी जैसे कठिन विषय में डाक्टरेट हासिल की थी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्र में अनेक उपलब्धिया अर्जित की और राष्ट्रपति तथा प्रधान मंत्री से भी कई बार पुरस्कृत हुई।

भाषा एवं व्याकरण (राव आरो रावखान्थिनि गियान)

1. पाठ में कुछ ऐसे शब्द आए हैं जिनका अर्थ एक से नहीं, अनेक शब्दों से अर्थात वाक्यांश से स्पष्ट हो सकता है। (फरायाव खायसे एरैबादि सोदोबफैदों जायनि ओंथिया मोनसे सोदोबजों जाया, गोबां सोदोब अर्थात बाथ्राजोंसो रोखा जानो हायो।) 

जैसै- ‘जिजीविषा’ अर्थात जिसमें जीने की इच्छा हो। 

निम्नलिखित शब्दों के अर्थ वाक्यांश में दो? (गाहायाव होनाय सोदोबफोरनि बाथा ओंथि लिर 🙂 

उत्तर : 

अभिशप्तअभिशाप से ग्रस्त।
आभामंडिततेज से भरा हुआ।
सुदीर्घजो बहुत लंबा है।
निष्प्राणमरा हुआ।
सहिष्णुसहन करने वाला।
शब्दार्थ हिन्दी(सोदोबथि) बर’
विलक्षणसोमोनांथाव।
कायादेहा।
रिक्ततालाथिखमा, लांदां।
अंतर्यामीगोसोनि बाथ्रा मिथिग्रा, इस्वोर।
अकस्मातहरखाब।
विधातागस्वाय, इस्वोर।
अभिशप्तसावहोजानाय।
नतमस्तकखर’ गंग्लायै।
प्रौदाखावसे बोसोरनि बुरै।
आवागमनथांलाय-फैलाय जानाय।
नियतिखाफाल, बराद।
आघाटदुखु मोननाय, खुन जानाय।
वित्ते भर कीउन्दै दैहानि।
देवांगनादेवी, मोदायजो।
मेधावीमेलेमजिबि, बुद्धिमान।
प्रयासनाजानाय।
विछिन्नगुबुन, आलादा।
उत्फुल्लगोजोननाय।
विषाददुखु, उदासी।
उत्कटगौख्रों, बोहैथि दाहार।
जिजीविषाथांना थानो गोसो जानाय।
कंठगतगोदोनायाव नांथानाय।
सर्वांगगासै अंग, गासै देहा।
यातनाप्रदखष्ट होगिरि।
उपचारफाहामनाय।
आँर्थोपेडिकहारानि डाक्टर।
Chapter No.CONTENTS
Unit 1गद्य खंड
खोन्दो – 1हिम्मत और जिंदगी
खोन्दो – 2आनजाद (परीक्षा)
खोन्दो – 3बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार)
खोन्दो – 4दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची)
खोन्दो – 5नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला)
खोन्दो – 6चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय)
खोन्दो – 7जेननो रोङै (अपराजिता)
खोन्दो – 8सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग)
Unit 2पद्य खंड
खोन्दो – 9कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा)
खोन्दो – 10मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक)
खोन्दो – 11मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को)
खोन्दो – 12लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल)
खोन्दो – 13गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर)
खोन्दो – 14सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत)
खोन्दो – 15थांबाय था (चरैवति)
खोन्दो – 16बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया)

Notes of Class 9 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 9 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium 9th class hindi Question answer | Class 9 hindi seba in Bodo अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Scroll to Top