SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 12 in Bodo मुरझाया फूल (लरहायनाय बिबार)

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SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 12

Class 9 Hindi Notes Chapter 12 in Bodo मुरझाया फूल (लरहायनाय बिबार)

बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 12 लरहायनाय बिबार Question Answer | Murjhaya Phol/Lorhaynai Bibar | इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की कक्षा 9 बोडो मीडियम आलोक खोन्दो 12 मुरझाया फूल Question Answer. अगर आप एक सात्र या शिक्षाक हो बोडो मीडियम की, तो आपके लिए ये बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 12 Question Answer बोहत लाभदायक हो सकता है। कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 12 मे आप अपना ध्यान लगाके पढ़ कर इस Class 9 hindi chapter 12 bodo medium में अछि Mark ला सकते हो अपनी आनेवाली परीक्षा में।

खोन्दो 12 मुरझाया फूल (लरहायनाय बिबार)

Chapter 12 Murjhaya Phol/Lorhaynai Bibar

बोध एवं विचार (बुजि आरो बिजिर)

(अ) सही विकल्प का चयन करो : (थार फिननायखौ सायख’)

(1) कवयित्री महादेवी वर्मा की तुलना की जाती है– (खन्थाइगिरि महादेवी वर्माखौ रुजुनाय जादों–) 

(क) सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ। 

(ख) मीराँबाई के साथ। 

(ग) उषा देवी मित्रा के साथ। 

(घ) मन्नू भंडारी के साथ।

उत्तर : (ख) मीराँबाई के साथ।

2. कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म कहाँ हुआ था? (खन्थाइगिरि महादेवी वर्मानि जोनोमा बहा जादोंमोन?) 

(क) गाजियाबाद में। 

(ख) हैदराबाद में।

(ग) फैजाबाद में। 

(घ) फर्रुखाबाद में।

उत्तर : (घ) फर्रुखाबाद में।

3. महादेवी वर्मा की माता का नाम क्या था? (महादेवी वर्मानि बिमानि मुङा मामोन?)

(क) हेमरानी वर्मा।

(ख) पद्मावती वर्मा। 

(ग) फूलमती वर्मा। 

(घ) कलावती वर्मा।

उत्तर : (क) हेमरानी वर्मा।

4. ‘हास्य करता था, ………….. अंक में तुझको पवन।’ (मिनि रंजादोंमोन,……….. दबायाव नोंखौ।’

(क) खिलाता।

(ख) हिलाता।

(ग) सहलाता

(घ) सुलाता।

उत्तर : (क) खिलाता।

5. यत्न माली का रहा ……………..से भरता तुझे। (जोथोनखौ मालिया लादोंमोन ……………नोंखौ बुथुमबायदोंमोन)

(क) प्यार।

(ख) आनंद।

(ग) सुख।

(घ) धीरे।

उत्तर : (ख) आनंद।

6. करतार ने धरती पर सबको कैसा बनाया है? (गस्वाया बुहुमाव गासैखौबो माबादि साजायदों?) 

(क) सुंदर। 

(ख) त्यागमय। 

(ग) स्वार्थमय।

(घ) निर्दय।

उत्तर : (क) सुंदर।

(आ) ‘हाँ’ या ‘नहीं उत्तर दो :  (नंगौ एबा नङा फिन हो 🙂 

1. छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवयित्री के रूप में भी प्रसिध्द हैं। (छायावादी खन्थाइगिरि महादेवी वर्माया रहस्यवादी खन्थाइगिरिनि महरैबो मुंख’ जाथाव।)

उत्तर : हाँ।

2. महादेवी वर्मा के पिता-माता उदार विचारवाले नहीं थे। (महादेवी वर्मानि बिमा-बिफाया गुवारै बिजिरग्रा नङामोन)

उत्तर : नहीं। 

3. महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की। (महादेवी वर्माया जिउ नाङै सोलोंथाय आरो थुनलाइनि साधना खालामो।) 

उत्तर : हाँ ।

4. वायु पंखा झलकर फूल को सुख पहुँचाती रहती है। (बारनि बुरखायनाया बिबारखौ सुखु मोनहोबाय थादों।)

उत्तर : हाँ।

5. मुरझाए फूल की दशा पर संसार को दुख नहीं होता। (लरहायनाय बिबारनि दुखुखौ नुनानै संसारनि रावबो दुखु जाफाया।)

उत्तर : हाँ।

(इ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो : (आबुं बाथ्राजों फिन हो 🙂

1. महादेवी वर्मा की कविताओं में किनके प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है? (महादेवी वर्मानि खन्थाइफोराव सोरनि फारसे जोहोलाउबादि गोख्रों गोहोम दं?)

उत्तर : महादेवी वर्मा की कविताओं में सर्वव्यापी परम सत्ता के प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है।

2. महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ था? (महादेवी वर्मानि हाबाया माब्ला जादोंमोन?) 

उत्तर : महादेवी वर्मा का बिबाह छठी कक्षा में ही हुआ था।

3. महादेवी वर्मा ने किस रूप में अपने कर्म – जीवन का श्रीगणेश किया था? (महादेवी वर्माया मा महराव गावनि खामानि मावनाय जिउखौ जागायदोंमोन?)

उत्तर : महादेवी वर्मा ने प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्य के रूप में अपने कर्मजीवन का श्री गणेश किया था।

4. फूल कौन-सा कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है? (बिबारा माबादि खामानि मावनानैबो रंजा होबाय थायो?) 

उत्तरः फूल अपना सर्वस्व दान करके भी हरषाता रहता है। 

5. भ्रमर फूल पर क्यों मँडराने लगते हैं? (बंब्रमाया बिबाराव मानो गुन गुनायनो हमदोंमोन?) 

उत्तर : लुभावनीय मधु के लालच से भ्रमर फूल पर मँडराने लगते हैं।

(ई) अति संक्षिप्त उत्तर दो : (जोबोद गुसुङै फिन हो 🙂

1. किन गुणों के कारण महादेवी वर्मा की काव्य-रचनाएँ हिन्दी-पाठकों को बिशेश प्रिय रही हैं? (मा गुननि थाखाय महादेवी वर्मानि खन्थाइ रनसायनायफोरखौ हिन्दी फरायगिरिफोरा गुबैयै मोजां मोनजायो?)

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपने काव्य को आराध्य की विरहानुभूति और व्यक्तिगत’ दुःख वेदना को अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया है। इन्हों गुणों के कारण उनकी काव्य रचनाएँ हिन्दी पाठकों, को विशेष प्रिय रही है।

2. महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य-रचनाएँ क्या क्या है? किस काव्यसंकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था? (महादेवी वर्मानि गाहाय खन्थाइ-रनसायनायफोरा मा-मा? बिथाङा मा खन्थाइ बिजाबनि थाखाय ज्ञानपीठ बान्था मोननो हादोंमोन?)

उत्तर : महादेवी वर्मा की प्रमुख, काव्य रचनाएँ हैं– नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, और यामा। ‘यामा’ काव्य-संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

3. फूल किस स्थिति में धारा पर पड़ा हुआ है? (मा थासारियाव बिबारफोरा बुहुम बिखायाव गोग्लैयो?) 

उत्तर : सुखे, मुरझाते हुए गंध कोमलताहीन होकर फूल धारा पर पड़ा हुआ होता है।

4. खिले फूल और मुरझाए फूल के साथ पवन के व्यवहार में कौन-सा अंतर देखने को मिलता है? (बारनानै थानाय बिबार आरो लरहायनाय बिबारनि गेजेराव बारनि बाहायथियाव माबादि फाराग मुनो मोनो?) 

उत्तर : खिले फूल को पवन अपने गोद में लेकर हसाता है, खिलाता है, लेकिन उस पवन ने ही एकदिन मुरझाएँ हुए फूल को अपनी तीव्र झोंके से धरती पर गिरा देता है।

5. खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौरे के व्यावहार क्या भिन्न-भिन्न होते हैं? (बारनानै थानाय बिबार आरो लरहायनाय बिबारनि फारसे बेरेमानि आखुथाया मा गुबुन गुबुन जायो ने?)

उत्तर : हाँ, खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौरे के व्यवहार भिन्न-भिन्न होते हैं। खिले फूल को देखकर भौरे उसके सारो ओर मँडराते हैं। लेकिन मुरझाए हुए फूल को भौरे देखता भी नहीं।

(उ) संक्षिप्त उत्तर दो : (सुंदयै फिन हो 🙂 

1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक देन का उल्लेख करो। (महादेवी वर्मानि थुनलाइनि अबदानखौ मखना हो) 

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपनी जीवन भर साहित्य की साधना की। उन्होंने गद्य और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं— नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा और यामा। उनकी गद्य रचनाओं में स्मृति की रेखाएँ, अतीत के चलचित्र, शृंखला की कड़िया और पथ के साथी विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। हिमालय उनकी व्दारा सम्पादित ग्रंथ है।

2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते हैं, पठित कविता के आधार पर वर्णन करो। (बारनानै थानाय बिबारनि फारसे मा रोखोमै गासैबो गोसो बोगथाब जायो, मखनाय खन्थाइनि गेजेरजों बेखेवना हो।) 

उत्तर : खिले फूल के प्रति प्रकृति और मनुष्य सभी आकर्षित होते हैं। पवन खिले फूलों को अपने गोद में लेकर हसाता है। मधु के लालच से भौरा फूलों के सारो ओर मँडराने लगते हैं। चन्द्रिमा की स्निग्ध किरणों फूलों को सदा हँसाने की कोशिश में लगी रहती है। और ओस मुक्ता जाल से हमेशा उसे श्रृंगार करति है। वायु अपनी शीतल पंखा फेरकर फूलों को निद्रा विवश करती है। माला यत्न से उसका देखभाल करके उसे आनन्द से भर देता था।

3. पठित कविता के आधार पर मुरझाए फूल के साथ किए जाने वाले वर्ताव का उल्लेख करो। (मखनाय खन्थाइनि गेजेरजों लरहायनाय बिबारजों लोगोसे आखु बाहायथिखौ फोरमायथि हो।)

उत्तर : मुरझाए फूल की प्रति किसीका आकर्षण नहीं रहता है। मुख-मंजु मुरझाया हुआ फूल शुष्क विखरती रहकर धरती की गोद में आ गिरती है, जिसकी तरफ कोई देखता भी नहीं। भ्रमर उसे देखकर मँडराने नहीं आते और वृक्ष भी उसे खोकर आसु नहीं बरसाते। जो पवन फूलों को अपने गोद में लेकर हसाता था, उस पवन ने तीव्र झोंके से उसे धरती पर गिरा देता है। मधु और सौरभ दानकरनेवाले फुलों की यह दशा देखकर कोई दुःख नहीं करता।

4. पठित कविता के आधार पर दानी सुमन की भुमिका पर प्रकाश डालो। (फरानि खन्थाइनि गेजेरजों बिबारनि अवदानखौ फोरमायना हो) 

उत्तर : सुमन कली से लेकर पुर्णाता प्राप्त करने तक सबको खुशी से भर देता है। खिले हुए फूलों को देखकर सबका दिल बहल जाता है। वृक्षों को अपने पुर्णता प्राप्ति का एहसास दिलाते है। मधु और सौरभ दान करके फूल सबका हृदय पाता है। सबको सबकुछ दान करके भी फूल कभी व्याथित नहीं होता है। फिरसे सबको हरषाता रहता है। कवि के अनुसार इस संसार में विधाता ने सबको स्वार्थमय बना दिया सिवाय दानी सुमन को छोड़कर। 

(ऊ) सम्यक उत्तर दो : (मोजाङै फिन हो 🙂

1. कवयित्री महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो। (खन्थाइगिरि महादेवी वर्मानि थुनलाइयारि सिनायथिखौ फोरमाय।) 

उत्तर : महादेवी वर्मा ने अपनी जीवन भर साहित्यिक की साधना की। उन्होंने गहा और पद्य दोनों शैलियों में साहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं— नीहार, रश्मि, नीरजा, दीपशिखा, सांख्य गीत, यामा, सन्धिनी। पदमत्री उपाधि से सन्मानित महादेवी वर्मा की यामा, काव्य-संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। ‘नीरजा’ कृटि पर उनकी भारत-भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ था। 

उनकी गद्य रचनाओं में स्मृति की रेखाएँ, अतीत के चलचित्र, श्रृंखला की कड़ियाँ और पथ के साथी, विशेष रुप से उल्लेखनीय है। इन्होंने चाँद का सम्पादन बड़ी सलता के साथ किया। ‘हिमालय’ उनकी व्दारा सम्पादित ग्रंथ। महादेवी वर्मा मुलतः छायावाद और रहस्यवाद को कवयित्री के रुप में मानी जाती है। रहस्यवाद की तन्मयता ने उसको आधुनिक काव्य जगत की ‘मीरा’ बना दिया है।

2. ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में फूल के बारे में कया-क्या कहा गया है? (‘लरहायनाय बिबार’ खन्थाइनि गेजेरजों बिबारनि सोमोन्दै मा मा बुंनाय जादों?)

उत्तर : ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में कवयित्री महादेवी वर्मा ने कली खिलकर, फूल बनने से लेकर मुरझाते हुए भुमि पर गिरने तक का आकर्षक वर्णन किया है। फूल स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति सब आकर्षित होते हैं। फूल के कली को पवन गोद में लेकर हसाता है। खिली हुई फूल में भौरा मधु के लालच मँडराने लगते है। 

चन्द्रिमा के स्निग्ध किरणों उसे हसाने की कोशिश में लगी हरती है और ओस मुक्ता जाल बिछाकर उसकी शृंगार करती थी। माली उसकी देखभाल करके उसे आनंद से भर देता है। लेकिन जब खिला हुआ फूल मुरझाकर धरती पर आ गिरता है, तब उसे कोई देखता तक नहीं है। भ्रमर उसे देखकर मँडराने नहीं जाते और वृक्ष भी उसे खोकर आँसु नहीं बरसाते। पवन तीव्र झोंके से उसे धरती पर गिरा देता है। लेकिन दानी फूल इससे बेखबर रहकर अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता।

3. ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन के संदर्भ में क्या संदेश दिया है? (‘लरहायनाय बिबार’ खन्थाइनि गेजेरजों खन्थाइगिरिया मानसि जिउनि सोमोन्दै मा खौरां होदों?)

उत्तर : कवयित्री महादेवी वर्मा एक रहस्यवादी है। ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन की ओर सबका ध्यान आकर्षण करना चाहती थी। यहा वह रहस्यबाद का अवतारना करके ‘मुरझाया फूल’ के साथ मानव जीवन का तुलना किया। कलि और खिले हुए फूल के प्रति सब आकर्षण होते हैं, लेकिन मुरझा जाने पर उसकी तरफ कोई आँख उठाकर देखता तक नहीं है। ठिक उसी तरह मनुष्ष भी अपने नन्हे और शौरव काल में सबका आदर हासिल करता है। परिवारवालों से लेकर समाज तक सब उसकी देखभाल में जुटे रहते हैं। युवा काल सें लेकर अपने पैरे पर खरे होकर कमाई करने तक सब उसका ख्याल रखता है। लेकिन जब बुढ़ाया आ जाता तब सभी मनुष्य उस पर भारी हो जाता है। सबका आदर से वञ्चित होकर एक कोने में पड़ा रहता है मुरझायाँ फूल की तरह ।

4. पठित कविता के आधार पर फूल के जीवन और मानव-जीवन की तुलना करो। (मखनाय खन्थाइनि गेजेरजों बिबारनि जिउ आरो मानसिनि जिउजों रुजुना दिन्थि।)

उत्तर : पठित कविता ‘मुरझाया फूल’ के जरिए कवयित्री महादेवी वर्मा मानव जीवन और फूल के जीवन को तुलनात्मक चिंता की रेखा अंकित किया है। कवि फूलों की जीवन के जरिए मानव जीवन की ओर सबका ध्यान खोजना चाहती है। कलि और खिके हुए फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य तक सभी आकर्षित होते हैं। लेकिन मुरझा जाने पर कोई उसकी तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखता। और एक दिन हवा के तीव्र झोंके ने उसे धरती पर गिरा देता है। 

लाचार फूल अपना दुःख खुद समेद करवटी पर पड़ी रहता है। ठिक उसी तरह मनुष्य भी अपने नन्हें और शैशव काल में सबका आदर हासिल करता है। परिवार वालों से लेकर समाज तक सभी उसकी देखभाल में जूटे रहते है। युवा काल से लेकर अपने पैर पर खड़े होकर कमाई करने तक सब उसका ख्याल रखते हैं लेकिन जब बूढ़ाया आ जाता है तब सभी मनुष्य उस पर भारी हो जाता है। और सबका आदार से बंचित होकर वह भी एक कोने में पड़ा रहता है मुरझाँए फूल की तरह।

(ई) प्रसंग सहित व्याख्या करो : (गुदि खोथाजों बेखेवना लिर 🙂

1. ‘स्निग्ध किरणों चंद्र की ……….शृंगारती थी सर्वदा।

उत्तर : प्रसंग: प्रस्तुत पंक्टियाँ हमारे पाठ्य-पुस्तक हिन्दी ‘आलोक’ के अंतर्गत रहस्यवादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचिट रहस्यधर्मी कविता ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है। 

इस पंक्तियों के जरिए कवयित्री जी ने सुख के दिन में मुरझाया फूल के प्रति प्रकृति के ओस और चन्द्रिमा का व्यवहार के बारे में बताया गया है।

व्याख्या: फूल एक स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य सभी आकर्षित होते हैं। प्रकृति के चन्द्रिमा अपने स्निग्ध किरणों से खिले फूलों को हमेशा हसाती थी। चन्द्रिमा की किरणों से खिले फूल का सौन्दर्य और भी बढ़ जाता है। उस तरह ओस अपनी मोतीयों जैसे जल कणा से जाल बिछाकर फूलों का हमेशा शृंगार करती थी ताकि सुबह होकर धुप गिरने पर वह और भी मनमोहक हो जाए। इस तरह प्रकृति भी खिले फूल को लेकर व्यस्त हो जाते हैं।

2. कर रहा अठखेलियाँ ………या कभी क्या ध्यान में।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोक’ के अंतर्गत रहस्यबादी कवि महादेवी वर्मा द्वारा रचित रहस्य धर्मी कविता ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है।

इस पंक्तियों के जरिए कवयित्री जी ने फूल के सुख के दिनों के साथ दुःख के दिनों का तुलना की है।

व्याख्या: फूल एक स्वर्गीय वस्तु है। कली और खिले फूल के प्रति प्रकृति से लेकर मनुष्य सभी आकर्षित होते हैं। अपने सुःख के दिन में फूल उद्यान में स्वाभाविक मतवाली चाल से सबका दिल जीत लेता है और उसकी और सबका ध्यान खीचता है। अपनी इतराती पंखों से देखनेवालों को दिल में चहल-पहल मचा देता है। लेकिन तब वह ये नहीं खींचता की उद्यान में दिल को भानेवाली फूल एक दिन सूखे मुरझाते हुए धरती पर आ गिरते है। अंत का ये व्यर्थता दिनों के लिए वह कभी भी ध्यान नहीं देता। 

3. मत व्यथित हो पुष्प …………यहाँ करतार ने। 

उत्तर : प्रस्तुत पंक्यियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोक’ भाग 1 के अंतर्गत रहस्यवादी कवि महादेवी वर्मा व्दारा रचित ‘मुरझाया फूल’ कविता से ली गई है। 

इस पंक्तियों के जरिए कवि ने पुष्प को दुःख करने से मना करके संसार के स्वार्थपरता के बारे में बताया है।

व्याख्याः कवि ने मुरझाया फूल के दुख में दुखी होकर यह कहा कि विधाता ने इस संसार में सबको स्वार्थपर बनाया है। यहा किसको किसी के कारण सोचने का समय नहीं है। सब अपने अपने काम में व्यस्त रहकर समय बीताता है। इस संसार ने किसी को भी सुखी नहीं देख पाता खिले फूल के प्रति सबका आकर्षण एक दिन मुरझा जाने के बाद खत्म हो जाता है। 

यह संसार की स्वार्थपरता है, परंतु इससे बेखवर रहकर फूल अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है। लेकिन जब दुःख का दिन आता है तब आँसु पछाने के लिए कोई भी नहीं रहता। यह विधि का नियम है। इसलिए इस नियम से ही चलकर फूल खुद का दुःख खुद समेट लेना चाहिए। 

4. जब न तेरी ही दशा पर …………हमसे मनुज निस्सार को।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक ‘आलोक’ के अंतर्गत रहस्यबादी कवि महादेवी वर्मा व्दारा रचित ‘मुरझाया फूल’ से ली गई है।

इस पंक्तियों के जरिए कवि ने फूलों के जीवन के साथ मनुष्य जीवन को तुलना करते हुए कुछ महत्तपुर्ण संदेश दिया है।

व्याख्या: फूल एक स्वर्गीय वस्तु है। वह किसी से कुछ लेता नहीं है वल्कि संसार की स्वार्थपरता से सम्पुर्ण बेखबर रहकर, अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है। लेकिन मधु और सौगन्ध दान करके सबका दिल जीतनेवाले इस फूल की अंतिम दशा पर कोई आशु नहीं बहाता। तो ठिक उसी तरह मनुष्य जीवन भी एक दिन निसार दी जाएगा और उस दिन मनुष्य के पास दुःख बाटने के लिए कोई नहीं आएगा। इस परिस्थिति में कवयित्री ने फूल की जीवन को मनुष्य की जीवन के साथ तुलना किया है, जिसकी अंतिम दशा में कोई दुःख बाटने के लिए नहीं आता है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान (राव आरो रावखान्थिनि गियान)

1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर व्याक्य में प्रयोग करो : (गाहायाव होनाय बाथ्रा फान्दायफोरखौ ओंथि लिरनानै बाथ्रा दा 🙂 

श्रीगणेश करना, आँखों का तारा, नौ दो ग्यारह होना, दवा से बातें करना, अंधे की लकड़ी, लकीर का फकीर होना।

उत्तर : श्रीगणेश करना (आरंभ करना 🙂 रहन ने आज अपने दूकान का श्रीगणेश किया।

आँखों का तारा (बहुत प्यारा 🙂 बालक कृष्ण माँ यशोदा का आँखो का तारा था।

नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना 🙂 पुलिस के आते ही लुटेरे नौ दो ग्यारह हो गये थे।

हवा से बातें करना (बहुत तेज दौड़ना 🙂 महाराजा का इशारा पाते ही उनका घोड़ा चेतक हवा से बातें करने लगा।

अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा होना 🙂 माता-पिता के लिए श्रवण कुमार की अंधे की लकड़ी था।

लकीर का फकीर होना (पुराने रीति खिजों पर चलनेवाला 🙂 कोई नया काम करो, लकीर का फकीर मत बनो ।

2. निम्नांकित काव्य पंक्तियों को गद्य रूप में प्रस्तुत करो : (गाहायाव होनाय खन्थाइ लारिफोरखौ रायथाइनि रावजों लिर 🙂 

(क) खिल गया जब पूर्ण तू,

मंजूल सुकोमल फूल बन। 

लुब्ध मधु के हेतु मँडराने

लगे, उड़ते भ्रमर ।।

उत्तर : जब तुम पूर्ण रुप से खिल गया सुन्दर सुकोमल फूल बनकर, लुभावनीय मधु के लालच से भौरा तुम पर मँडराने लगते हैं। 

(ख) जिस पवन ने अंक में

ले प्यार था तुझको किया।

तीव्र झोंके से सुला 

उसने तुझे भू पर दिया ।। 

उत्तर : जिस हवा ने तुम्हें अपने गोद में लेकर प्यार करते थे, उस हवा ने ही तीव्र झोंके से धरती पर गिरा देती है। 

3. लिंग निर्धारण करो। (आथोन बिजिर 🙂

उत्तर : पुं लिंग ― माली, फूल।

स्त्री लिंग ― वायु, कोमलता।

4. वचन परिवर्तन करो। (सानराय सोलाय 🙂

उत्तर : 

एक वचनबहुवचन
भौराभैरे।
किरणकिरणें।
अठखेलियाअठखेलियाँ।
चिड़ियाचिडियाँ।
रेखारेखाएँ।
बातबातें।
झांकझांके।
कलीकलियाँ।

5. लिंग परिवर्तन करो। (आथोन सोलाय 🙂

उत्तर :

पुंलिंग स्त्रीलिंग।
कविकवयित्री।
प्रियतमप्रियतमा।
पितामाता।
पुरुषस्त्री।
मालीमालीन।
देवदेवी।
मोरमोरनी।

6. कार शब्दंश के पूर्व आ, वि, प्र, उप, अप और प्रति उपसर्ग जोड़कर शब्द बनाओ तथा उन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो। 

(कार सोदोबनि सिगाङाव आ, वि, प्र, उप, अप आरो प्रति सिगां दाजाबदा फजना सोदोब दा आरो बेफोर सोदोबनि बाथ्रा दा 🙂

उत्तर :

आ+कार = आकारः पानी का कुछ आकार नहीं होता है। 

वि+का = विकार: शरीर में कई विकार तत्व होते है। 

प्र+कार = प्रकार: कारक आठ प्रकार के होते है। 

उप+कार = उपकारः किसी का उपकार करना पुण्य का काम होता है। 

अप+कार = अपकारः किसी का अपकार करना बुरी बात है। 

प्रति+कार = प्रतिकारः पंडितजी ने रमेश की ग्रहदोष का प्रतिकार निकाला।

Chapter No.CONTENTS
Unit 1गद्य खंड
खोन्दो – 1हिम्मत और जिंदगी
खोन्दो – 2आनजाद (परीक्षा)
खोन्दो – 3बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार)
खोन्दो – 4दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची)
खोन्दो – 5नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला)
खोन्दो – 6चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय)
खोन्दो – 7जेननो रोङै (अपराजिता)
खोन्दो – 8सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग)
Unit 2पद्य खंड
खोन्दो – 9कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा)
खोन्दो – 10मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक)
खोन्दो – 11मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को)
खोन्दो – 12लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल)
खोन्दो – 13गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर)
खोन्दो – 14सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत)
खोन्दो – 15थांबाय था (चरैवति)
खोन्दो – 16बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया)

Notes of Class 9 Hindi in Bodo Medium | Bodomedium Class 9 Hindi notes इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की Bodo Medium 9th class hindi Question answer | Class 9 hindi seba in Bodo अगर आप एक bodo सात्र या शिक्षाक हो तो आपके लिए लावदयक हो सकता है।

Note- यदि आपको इस Chapter मे कुछ भी गलतीया मिले तो हामे बताये या खुद सुधार कर पढे धन्यवाद

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