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SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 3 in Bodo बिदुं–बिदुं विचार/ (बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय)
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खोन्दो 3 बिदुं–बिदुं विचार/ (बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय)
Chapter 3 Bindu-Bindu Bichar / Bindo-Bindo Bijarnai
अभ्यास-माला
बोध एवं विचार (बुजि आरो बिजिर)
1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो (आबुं बाथ्राजों फिन हो) :
(क) मुन्ना कौन-सा पाठ याद कर रहा था? (मुन्ना आगैया मा बायदि फराखौ गोसोखांबाय दंमोन?)
उत्तर : मुन्ना एक बड़ा सुंदर अंग्रेजी पाठ याद कर रहा था। वह था – “क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट ट गाँडलीनेस।
(ख) मुन्ना को बाहर कौन बुला रहा था? (मुन्नाखौ सोर बायजोआव लेंहरबाय दंमोन?)
उत्तर : मुन्ना को अपने मित्र बाहर से बुला रहा था।
(ग) मुन्ना की बहन उसके लिए क्या-क्या कार्य किया कती थी? (मुन्नानि बिनानावा बिनि थाखाय मा मा खामानि मावना होयोमोन?)
उत्तर : मुन्ना की बहन बहुत-सी कार्य किया करती थी। जब मुन्ना पाठ पढ़कर बाहर जाता था तब उसकी बहन मेज के पास आकर मुन्ना की किताब बंद करती थी, खुले पड़े पेन की टोपी बंद करती थी, स्याही के दाग धब्बों पोंछती थी और कुरसी को कायदे से रखकर चुपचाप चली जाती थी।
(घ) आपकी राय में अंग्रेजी की सूक्ति का मुन्ना और उसकी बहन में से किसने सही-सही अर्थ समझा? (नोंनि बादिब्ला इंराजिनि बांदाय लायनायाव मुन्ना आरो बिनानावनि गेजेराव सोर बांसिनै थार ओंथिखौ बुजियो?)
उत्तर : मुन्ना और उसकी बहन में से मुन्ना सही अंग्रेजी अर्थ समझाएँगा। क्योंकि उसकी बहन अंग्रेजी नहीं पढ़ती, पर मुन्ना अंग्रेजी पढ़ता है।
(ङ) पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा क्या है? (फरायाव होनाय बादिब्ला गंस्नि लैथो बारनायनि रावा मा?)
उत्तर : पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा है–अंग्रेजी।
2. संक्षिप्त उत्तर दो :
(क) लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर क्यों गया? (लिरगिरिनि नोजोरा बिजाबनिफ्राय दोरोदनानै मुन्नानि फारसे मानो थांदोंमोन)
उत्तर : लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर इसलिए गया क्योंकि यह बड़ा सुंदर अंग्रेजी पाठ को जोर-जोर से रट रहे थे। जिसका अर्थ हिन्दी में लगभग यह हुआ कि ‘शुचिता देवत्व की छोटी बहन है।
(ख) बिटिया मुन्ना की मेज को क्यों सँवार देती है? (फिसाजोआ मुन्नानि आरांगाखौ मानो साजायनानै होयो?)
उत्तर : बिटिया अपनी भाई पर बहुत लाड़ है। इसलिए वह भाई का आदर भी करती हैं। यह मेज के पास जाकर किताब–कागज और पेन आदि को सँवारकर देती है।
(ग) लेखक को सारे प्रवचन-अध्ययन बौने क्यों लगे? (लिरगिरिया गासै बोसोन बिबुंथि-सोलोंथायखौ मानो बावनांसा जालांनाय मोनो?
उत्तर : लेखक को सारे प्रवचन-अध्ययन बौने होने लगता है क्योंकि आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है। ज्ञान चाहे मस्तिष्क में रहे या पुस्तक में, वह चाहे मुँह से बखाना जाए या मुद्रण के बं दीखाने में रहे-यह सब आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है।
(घ) “हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष त्रध्दानत होना चाहते हैं।” –इस वाक्य में लेखक ने ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है? (“जों मोगथाङाव नोंसोरनि सेराव मान होनायजों खर’ गंग्लायनो लुबैयो।” बे बाथ्रायाव लिरगिरिया ‘मोगथां सोदोबखौ मानो बाहायखो?)
उत्तर : धर्म और राजनीति, समाज और व्यवहार के क्षेत्र में विविध-विविध मंचों से उपदेश देनेवाले मुन्नाओ। केवल कंठ से बोलता है। वाणी और व्यवहार में समता नहीं है। इसलिए लेखक ने इसी बात को वास्तव ले आने के लिए ही वास्तव शब्द का प्रयोग किया है।
(ङ) ‘वाणी और व्यवहार में समता आने दो।” –यदि वाणी और व्यवहार एक हो तो इसका परिणाम क्या होगा? अपना अनुभव व्यक्त करो। (बाथ्रा बुंनाय आरो बाहायनायाव समानथि फैनो हो।” –जुदि बाथ्रा बुंनाय आरो बाहायनाय मोनसेयानो जायोब्ला बिनि फिथाया मा जागोन? गावनि सानस्रिखौ फोरमाय।)
उत्तर : वाणी और व्यवहार में समता आने से हम वास्तव नें मुन्नाओं को श्रद्धानत मिल जाता था। हम बात को मुँह से और स्वयं को घर से बाहर निकालने से पहले बड़ी सावधानी होना उचित होगा।
(च) ‘पाठ याद हो गया।’ मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उससे प्रसन्न नहीं हैं, क्यों? (“फराखौ गोसोआव फैबाय।” मुन्ना फराखौ गोसोखांनो हाब्लाबो लिरगिरिया बिजों मानो गोजोनफानो हाया, मानो?)
उत्तर : मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उससे प्रसन्त नहीं हैं, क्योंकि यह पाठ को केवल रट कर, उसे अपने अंदर समो नहीं लेते बिना मित्र से बाहर सपाटे निकाल जाते हैं। मुन्ना असावधानी रहता हैं।
(छ) लेखक ने इस निबंध में अंग्रेजी की सूक्ति– ‘क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गाँडलीनेस’ को आधार बिंदु क्यों बनाया है? (लिरगिरिया बे रायथायाव इंराजिनि बादायलायनाय– ‘साबस्रांहोनायनि उनाव नैथिया साजायनाय ‘खौ मानो फरानि बिन्दो खालामा?)
उत्तर : लेखक ने इसी को आधार बिदुं बनाया क्योंकि इस निबंध में मुन्ना और उसकी बहन कुछ जरीत हैं। इधर मुन्ना थोड़ा-सा भी सावधानी नहीं और अपने दाग-धब्बों को भी पोंछ नहीं लेता, तथा मुन्ना क्लीनलीनेस का अर्थ ही मालुम नहीं होगा। इसलिए लेखक ने मुन्ना से प्रसन्त नहीं हो पाया, हो सकता है उसी कारण क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गाँडलीनेस को आधार बिदुं बनाया है।
3. आशय स्पष्ट करो :
(क) आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है। (आखलनि मोनसे फिसा सिनानो गासैबो उन्दै खालामनानै होबाय।)
उत्तर : इसका मतलब है समय आने पर सब कुछ बदल जाता है तथा आजकल प्रवचन और अध्ययन सब कुछ बौने हो गए हैं। इसलिए लेखक ने मुन्ना को एक निशाना बनाकर आजकल की सभी व्यक्तियों तथा सभी समाजों की बात को बताना चाहते हैं कि ज्ञान चाहे मस्तिष्क में रहे या पुस्तक में, वह चाहे मुँह से बखाना-जाए या मुद्रण के बंदीखाने में रहे यह सब आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है। इसका आशय है-आचरण की एक लकीर ने सबको छोटाकर दिया है।
(ख) केवल कंठ से मत बोलो-हम तुम्हारे हृदयों की गूँज सुनना चाहते है। (खालि गुरै गारांजों दा बुं-जों नोंसोरनि गोरबोआव रिखांनायखौ खोनासंनो लुबैयो।)
उत्तर : इसका यह आशय है कि गंभीर घोष से सुललित शैली में दिए गए अनेकानेक भाषणों में सुने सुन्दर सुगठित वाक्य कानों में गुँजने लगते हैं। लेखक ने चाहते हैं कि धर्म और राजनीति, समाज और व्यवहार के क्षेत्रों में विविध–विविध मंचों से उपदेश देनेवाले मुन्नाओ। केवल कंठ से मत बोलो, क्योंकि हम उसकी हृदयों की गूँज सुनना चाहते हैं।
4. सही शब्दों का चयन कर वाक्यों को फिर से लिखो (थार सोदोबखौ सायखना बाथ्राखौ फिन लिर फिन) :
(क) लेखक …………..पढ़ रह था। (समाचार पत्र, किताब, पत्रिका, चिट्ठी)
उत्तर : लेखक किताब पढ़ रहा था।
(ख) बिटिया ………….नहीं पढ़तीं। (अंग्रेजी, हिन्दी, असमीया, बंगला)
उत्तर : बिटिया अंग्रेजी नहीं पढ़तीं।
(ग) ………..आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है। (प्रवचन, अध्ययन, व्यवहार, ज्ञान)
उत्तर : ज्ञान आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है।
(घ) आचरण की एक …………..ने सबको छोटा कर दिया है। (रेखा, बिदुं, लकीर, इच्छा)
उत्तर : आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है।
(ङ) प्रवचन और आध्ययन सब …………..हो गए हैं। (छोटे, नाटे, ऊँचे, बौने)
उत्तर : प्रवचन और अध्ययन सब बौने हो गए हैं।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान (राव आरो रावखान्थि गियान)
1. कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका एक वचन और बहु वचन दोनों में एक ही रूप रहता है; किंतु वाक्य में प्रयुक्त क्रियाओं को देखकर वचन निर्णय किए जाते हैं। (खायफा सोदोबा एरैबादि थायो जाय से सानराय आरो बां सानराय मोननैयावबो मोनसे महरावनो थायो, नाथाय बाथ्रायाव बाहायनाय थायजाफोरखौ नायनानै सानरायखौ सायख ‘नो हायो।)
जैसे– मुन्ना का पाठ याद दो गया। मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहे हैं। ऐसे ही किन्हीं दस शब्दों का चयन करो और दोनों वचनों में वाक्य बनाओ। (बैफोरबादि जायखिजाया मोन जि सोदोबफोरखौ सायख’ आरो मोन्नै सानरायावबो बाथ्रा दा।)
उत्तर :
एक वचन | बहु वचन |
मुन्ना का पाठ याद हो गया | मुन्ना का पाठ याद हो गये। |
मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहा है | मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहे हैं। |
मुन्ना सात समंदर पार की भाषापढ़ रहा है। | मुन्ना सात समंदर पार की भाषा पढ़ रहे हैं। |
चुपचाप चली जाती हैं मेरे सामने ज्ञान नंगा होकर। | चुपचाप चले जाते हैं मेरे सामने ज्ञान नंगा होकर। |
खिसियाना-सा रह जाता है | खिसियाना-सा रह जाते हैं। |
क्षण मात्र में सब कुछ बदल जाता है। | क्षण मात्र में सब कुछ बदल जाते हैं। |
सुंदर सुगठित वाक्य कानों मेंगूँजने लगता है। | सुंदर सुगठित वाक्य कानों में गुँजने लगते हैं। |
प्रवचन और अध्ययन सब बौना हो गया है। | प्रवचन और अध्ययन सब बौने हो गए हैं। |
आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है। | आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिए हैं। |
हम तुम्हारे हृदयों की गूंज सुनना चाहता है। | हम तुम्हारे हृदयों की गूँज सुनना चाहते हैं। |
हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष त्रध्दानत होना चाहता है। | हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष त्रध्दानत होना चाहते हैं। |
2. निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो समानार्थी (पर्याय) लिखो (गाहायाव होनाय सोदोबफोरनि मोननै-मोननै समान ओंथिगोनां सोदोबफोरखौ लिर) :
किताप, सोना, लाड़, पत्थर, समंदर, आँख
उत्तर :
शब्द | समानार्थी (पर्याय) शब्द |
किताप | पुस्तक, ग्रंथ। |
सोना | स्वर्ण, कनक। |
लाड़ | प्यार, दुलार। |
पत्थर | पाहन, प्रस्तर। |
समंदर | सागर, समुद्र। |
आँख | नयन, नेत्र। |
4. नीचे दिए गए शब्दों में विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) अलग-अलग हुए हैं। आप इनके उपयुक्त विशेषण-विशेष्य के जोड़े बनाओ (गाहायाव होनाय सोदोबफोरनि थाइलालि आरो मुंमा सोदोबा आलादा-आलादा जाना दं। नों बेखौ खाबजानाय बादि थाइलालि मुंमा जरा सोदोब बानाय) :
उत्तर :
विशाल | सुदीर्घ। |
ऊँची | मीनार। |
सड़क | तोप। |
बुटी | मंदिर। |
प्राणदायी | प्राणघाटक। |
विष | विध्वंसक। |
बोध एवं विचार (बुजि एबा बिजिर) :
(अ) सही विकल्प का चयन करो :
1. किसी ने कहा : “मेरे पास है पारसमणि” –इसमें ‘किसी’ कौन है?
(क) कोई राह चलता व्यक्ति।
(ख) लेखक का विवेक।
(ग) लेखक की बुद्धि।
(घ) लेखक की कल्पना।
उत्तर : (क) कोई राह चलता व्यक्ति।
2. “लोहा है तुम्हारे पास?” में ‘लोहा’ से क्या आशय है?
(क) उद्याशीलता।
(ख) लौह धातु।
(ग) भौतिक उपकरण।
(घ) अनुभव।
उत्तर : (ग) भौतिक उपकरण।
(आ) संक्षिप्त उत्तर दो :
3. लेखक पारसमणि क्यों ढूँढ रहा था? (लिरगिरिया बेसेनगोसा मुकुताखौ मानो नागिरबाय थादोंमोन?)
उत्तर : यदि वास्तव में ऐसी कोई मणि है, तो लेखक ने इस अदभुत मणि मिलने की कल्पना है। इसीलिए वह खोजता फिरता रहा है। वे चाहते हैं कि उसकी स्पर्श से लोहे को सोना बनाऊँगा।
4. लेखक ने स्पर्शमणि के कौन-कौन से रुप बताए हैं? (लिरगिरिया मुकुता बानायग्राखौ मा मा फोरमायदोंमोन?)
उत्तर : लेखक ने स्पर्शमणि के रुप को बहुत सी बताए हैं – इससे पहले स्पर्शमणि हम सब की भीतर में ही रहता है यह स्पष्ट किया है। और ऐसी तरह बताए हैं कि-जैसे : सेवा के स्पर्श, कौशल के स्पर्श और लगन के स्पर्श। हम ऐसी स्पर्श से मनचाहा सोना बना चकते हैं।
5. ‘शुद्ध स्पर्श’ से क्या तात्पर्य है? (‘गोथार दाफुंग्रा’ नि ओंथिया मा?)
उत्तर : ‘शुद्ध स्पर्श’ से हमें मनचाहा सोना बना सकते हैं। क्योंकि स्पर्श जितना शुद्ध होगा, सोना भी उसी मात्रा में शुद्ध प्राप्त होगा। इसलिए शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में संभव है।
6. सोना का होना और न होना दोनों ही समस्या के कारण क्यों हैं? (सना थानाय आरो सना गैयै मोननैबो जेंनि जाहोना मा?)
उत्तर : सोना का होना और न होना दोनों ही समस्या के कारण हैं, क्योंकि सोने में अच्छाई जितनी है, बुराई उससे कम नहीं है। सोना जिसके पास है, उसे मद से मारता है और जिसके पास नहीं है, उसे लोभ से त्रस्त रखता है।
आशय स्पष्ट करो (ओंथिखौ रोखा खालाम)
(क) याचना के लिए फैलाए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है, बंधु। (बिखनानै फोलावनाय आखायनि बाहागोआ खालिलाजिनांथाव, लोगो।)
उत्तर : इसका मतलव है हाथ बढ़ाओ तो किसी उद्योग के लिए ही बढ़ा सकते हैं। क्योंकि पारसमणि कहीं भी खोजते फिरते नहीं मिलेंगे परंतु वह तो अपने अपने भीतर ही है– स्पर्शमणि। जिसके पास कुछ नहीं है, बिल्कुल खाली हाथ हो, उसके लिए भी पारसमणि है। इसीलिए कहा कि – याचना के लिए फैलाए गए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है।
(ख) शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है। (गोथार सनानि थाथाया गोथार सुबुं आरो गोथार समाजवसो जाथावो।)
उत्तर : इसका आशय यह है कि हमें किसी काम या कार्य में पवित्र मन लेकर अच्छी ढंग से करना चाहिए। यदि हमारे मन, समाज शुद्ध नहीं होगा तो कुछ भी भलाई नहीं होता। इसका मतलब है– स्पर्शमणि जितना शुद्ध होगा, सोना भी उतना ही शुद्ध होगा। इसलिए शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान (राव आरो रावखान्थिनि गियान)
नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो (गाहायाव होनाय बाथ्राखौ फराय)
(क) सोना पाकर उसका करोगे क्या?
–सोना पाकर उसका क्या करोगे?
(ख) सोने के आकांक्षी हो तुम।
–तुम सोने के आकांक्षी हो।
वाक्य में विशेष अंश पर बल देने के लिए पदों के सामान्य क्रम को बदल दिया जाता है। पाठ में से इसी प्रकार के वाक्य छाँटकर लिखो और उनका सामान्य पदक्रम भी लिखो। (बाथ्रायाव गोनांथार बाहागोखौ थियै थांखिनो थाखाय बाथ्रानि सरासनस्रा बाहायनायखौ सोलायनो हायो। फरायाव थानाय बेफोरबायदि बाथ्राखौ साजायना लिर आरो सरासनस्रा बाथ्रा खोन्दोखौबो लिर।)
योग्यता–विस्तार (गियान-बेखेवसार)
गांधीवादी चिंतक के रुप में विख्यात रवींद्र केलेकर का यह लघु निबंध पढ़ो और कक्षा में चर्चा करो– (गांधीवादी सानस्रियाव मैखोम (मुंदांखा) रवींद्र केलेकरनि बे सुंद’ रायथाइखौ फराय आरो थाखो खथायाव सावराय।)
गिनी का सोना (गिदिंखनग्रा सना)
गोथार सनाया आलादा आरो गिदिंखनग्रा, सनाया आलादा। गिदिंखनग्रा सनायाव एसे तामा गलायदेरनाय जायो, बिनिखायनो बियो बांसिन जोंख्लाबो आरो शुद्ध सनानि खुरै गोरासिनबो जायो। आयजोफोरा बांसिनै बे सनानि गहेना बानायना लायो।
जुदिअ बियो गिदिंखनग्रा सनायानो जाथों।
गोथार बिदिन्थियाबो गोथार सना बादिनों जायो। खायसे मानसिया बेयाव बाहायजानायनि थाखाय एफायै तामा गलायना होयो आरो गाननानै दिन्थियो। अब्ला जों बिखौ “मोगथां सानथौगिरि” होननानै बाखनायो ।
नाथाय बे बाथ्राखौ बावगार नाङादि बाखोनाय नाया बिदिन्थि जानो हाया, बबेखानि बाहायग्राफोरासो जायो। आरो जेब्ला बाहायग्राफोरा बाखोनायनो हमबाय अब्ला “मोगथां सानथौगिरिफोर” नि जिउनिफ्राइ बिदिन्थिया लासै-लासै गोमालांनो हमो आरो बिनि बाहायग्राफोरा थारैनो सिगां फारसे आवगायबोयो।
सनाया उनाव थानानै तामायासो सिगाङाव फैयो।
खायफा मानसिया बुङो, गांधीजीया ‘प्रोक्तिकेल आइडियालिस्ट’ मोन। बाहायग्राफोरखौ बियो सिनायोमोन। बिनि बेसेनखौ मिथियोमोन। बेनिखायनो बिथाड़ा गावनि आलादा गुनखौ दिन्थिनो हायो। नङाब्ला बियो बारजोंनो बिरफाबाय थागौमोन। हादोरा बिजों उनाव खारफानाय नङामोन।
नंगौ, नाथाय गांधीजीया बिदिन्थिखौ माब्लाबाबो बाहायग्राफोरनि बाख्रियाव गैयै खालामनो होआमोन। बबेखानि बाहायग्राफोरनो बिदिन्थिनि बाख्रियाव हगारना होयोमोन। बिसोर सनायाव तामा नङा बबेखानि तामायाव सना गलायना बिनि बेसेनखौ बारायोमोन।
बेनिखायनो सनायानो जेब्लाबो सिगाङाव फैबाय थायोमोन।
बाहायग्रा सुंबुंफ्रा जेब्लाबो सांग्रां जाना थायो। मुलाम्फा-खहानि हिसाब लानानैनो आगान बारायो। बिसोर जिउवाव जाफुंसार जायो, गुबुनफोरनिखुरै सिगांसिनावबो थाङो नाथाय मा बिसोर सानिखौ नागारो। गाव गोजौवाव गाखोयो आरो गावजों लोगोसे गुबुनखौबो गोजौवाव लाना थाङो, बेसो मखथाव बाथ्रा। बे खामानिखौथ’ जेब्लाबो सानसुमै मानसिफोरासो मावो। समाजनि सिगाङाव जुदि सासनगिरिफोरनि बेसेनगोसा जुदि माबाफोर दं अब्ला सानसुमै सुबुंफोरनोनो होनाय जादों। बाहायग्रा सुबुंफोरानोथ समाजखौ गाहायाव खौख्लैयोसो।
Chapter No. | CONTENTS |
Unit 1 | गद्य खंड |
खोन्दो – 1 | हिम्मत और जिंदगी |
खोन्दो – 2 | आनजाद (परीक्षा) |
खोन्दो – 3 | बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार) |
खोन्दो – 4 | दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची) |
खोन्दो – 5 | नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला) |
खोन्दो – 6 | चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय) |
खोन्दो – 7 | जेननो रोङै (अपराजिता) |
खोन्दो – 8 | सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग) |
Unit 2 | पद्य खंड |
खोन्दो – 9 | कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा) |
खोन्दो – 10 | मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक) |
खोन्दो – 11 | मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को) |
खोन्दो – 12 | लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल) |
खोन्दो – 13 | गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर) |
खोन्दो – 14 | सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत) |
खोन्दो – 15 | थांबाय था (चरैवति) |
खोन्दो – 16 | बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया) |
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