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New SEBA Class 9 Hindi Notes Chapter 1 हिम्मत और जिंदगी
बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 1 हिम्मत और जिंदगी Question Answer | Himmat or Jindegi | इस पोस्ट में हम आपको ये समझा ने कि कोशिश की है की कक्षा 9 बोडो मीडियम आलोक खोन्दो 1 हिम्मत और जिंदगी Question Answer. अगर आप एक सात्र या शिक्षाक हो बोडो मीडियम की, तो आपके लिए ये बोडो मीडियम कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 1 Question Answer बोहत लाभदायक हो सकता है। कक्षा 9 हिंदी खोन्दो 1 मे आप अपना ध्यान लगाके पढ़ कर इस Class 9 hindi chapter 1 bodo medium में अछि Mark ला सकते हो अपनी आनेवाली परीक्षा में।
खोन्दो 1 हिम्मत और जिंदगी
Chapter 1 Himmat or Jindegi
अभ्यास-माला
(अ) सही विकल्प का चयन करो :
1. किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?
(माबादि मानसिया सुखुनि थावनायखौ बांसिनै मोनो?)
(क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है। (जाय सुखुनि बेसेनखौ आगोलनो सुख ‘दों।)
(ख) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है और उसका मँजा बाद में लेता है। (जाय सुखुनि बेसेनखौ आगोलावनो सुख’ दों आरो बेनि गोजोननायखौ उनावसो लायो।)
(ग) जिसके पास धन और बल दोनों हैं। (जायजों लोगोसे धोन आरो बोलो मोननैबो दं।)
(घ) जो पहले दूःख झेलता है।
उत्तर : (ख) जो सूख का मूल्य पहले चुकाता है और उसका मँजा बाद में लेता है। (जाय सुखुनि बेसेनखौ आगोलावनो सुख ‘दों आरो बेनि गोजोननायखौ उनावसो लायो।)
2. पानी में जो अमृत-तत्व है, उसे कौन जानता है?
(दैआव थानाय अमृत तत्वखौ सोर मिथिगौ?)
(क) जो प्यासा है। (जाय गांदों।)
(ख) जो धूप में खूब सूख चुका है। (जाय सान्दुं गोसायाव रानदों।)
(ग) जिसका कंठ सूखा हुआ है। (जायनि गोदनाया (रावा) रानलांदों।)
(घ) जो रेगिस्तान से आया है। (जाय बालाहामानिफ्राय फैदों।)
उत्तर : (ख) जो धूप में खूब सूख चुका है। (जाय सान्दुं गोसायाव रानदों।)
3. ‘गोधूली वाली दुनिया के लोगों से अभिप्राय है–
(मोनाबिलि मुलुगनि मानसिफोरनि लुबैनाया–)
(क) विवशता और अभाव में जीने वाले लोग। (राहा गैजायि आरो आंखालजों जिउ खुंनाय सुबुं।)
(ख) जय-पराजय के अनुभव से परे लोग। (जेननाय- देरहानायनि मोनदांथियाव गोग्लैनाय सुबुं।)
(ग) फल की काना न करने वाले लोग। (फिथाइ मोननो लुबैयै मानसिफोर।)
(घ) जीवन को दाँव पर लगाने वाले लोग। (जिउजों जुजिग्रा सुबुंफोर।)
उत्तर : (घ) जीवन को दाँव पर लगाने वाले लोग। (जिउजों जुजिग्रा सुबुंफोर।)
4. साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह
(गोसो गोरा मानसिनि गिबि सिनायथिया बेनो दि बियो–)
(क) सदा आगे बढ़ता जाता। (जेब्लाबो आवगायलांनाय।)
(ख) बाधाओं से नहीं घबराता है। (हेंथाफोरखौ गियै।)
(ग) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता। ( गुबुन मानसिफोरा मा सानो बेखौ सानै।)
(घ) बिलकुल निडर होता है। (गमामायैनो गिनाय गैयि।)
उत्तर : (घ) बिलकुर निडर होता है। (गमामायैनो गिनाय गैयि।)
(आ) संक्षिप्त उत्तर दो :
1. चाँदनी की शीतलता का आनंद कैसा मनुष्य उठा पाता है?
(दानसोरां अखाफोरनि सुदेम सोरांखौ मा बादि सुबुङा गोजोननाय लानो हायो?)
उत्तर : चाँदी की शीतलता का आनंद वह मनुष्य लेता है, जो दिन भर धूप में थक कर लौटा है, जिसके शरीर को आब तहलाई की जरूरत महसुस होती है और जिसका मन यह जानकर संतुष्ट है कि दिन भर का समय उसने किसी अच्छे काम में लगाया है।
2. लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से क्यों की है?
(लिरगिरिया गाव हारसिङै सोलिनो हाग्राखौ सिंहजों मानो रुजुदों?)
उत्तर : लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से इसलिए की साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है, जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है।
3. जिंदगी का भेद किसे मालुम है?
(जिउनि फारागथिखौ सोर बुजि मोनो?)
उत्तर : जिंदगी का भेद उसे मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है।
4. लेखक ने जीवन के साधकों को क्या चुनौती दी है?
(लिरगिरिया जिउनि साधना खालामग्राफोरखौ मा बुंथिदों?)
उत्तर : लेखक ने जीवन के साधकों को यह चुनौती दी है कि जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी का चुनौती को कबुल नहीं कर सका, वह सुखी नहीं हो सकता।
(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो :
1. लेखक ने जिंदगी की कौन-सी दो सूरतें बताई हैं और उनमें से किसे बेहतर माना है?
(लिरगिरिया जिउनि माबे मोननै महरखौ मख ‘दों आरो बेनि गेजेराव माबे मोनसेखौ मोजांसिन होनदों?)
उत्तर : लेखक ने जिंदगी की यह दो सूरते बताई है कि– एक तो यह कि आदमी बड़े से बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हात बढ़ाया और अगह असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रेशनी के साथ आँधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए।
दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत आधिक सुख पाती है, और न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का संयोग है, क्योंकि ऐसी गोधूलि में बसती हैं, जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की अवाज सुनाई पड़ती है। इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बँधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनन्द नही है। उनमे से पहला सूरत को बेहतर माना है।
2. जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना इन दोनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ट माना है और क्यों?
(जिउआव सुखुमोनै आरो माव गोहो (साहस) दिन्थिनो हायि, बे मोननैनि गेजेराव मबे मोनसेखौ माबसिन होनना बुंदों?)
उत्तर : जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना इन दोनों में से लेखक ने जीवन में सुख प्राप्त न होना को श्रेष्ट माना है क्योंकि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार न सुनें कि तुममें हिम्मत की कमी थी, कि तुममें साहस का अभाव था, कि तुम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए।
3. पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या सीख दी गई है?
(बिलाइआव होनाय खन्थाइ सारिनि जोहै युधिष्ठिरखौ मा सिक्षा होदों?)
उत्तर : पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों में युधिष्ठिर को यह सीख दी गई है कि तुमने वनवास का कष्ट झेला है। राज्य लाभ के लिए, कृतदास बनने के लिए नहीं। कष्ट से डरना जीवन नही, लड़कर जीना ही जीवन है।
(ई) सप्रसंग व्याख्या करो :
(क) साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है।
(साहसि मानसिया सिमांआव दाहार लाया, बियो गावनि सानखां नायजों बुंफबनाय बिजाब फरायो।)
उत्तर : साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह ईस बात की चिन्ता नही करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीनेवाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। उड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते है।
साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है, जिन सपनों का कोई व्यवहारिक अर्थ नही है।
साहसी मनुष्य सपने उधार नही लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। यहाँ यह कहा है।
(ख) कामना का अंचल छोटा मत करों जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो।
(गोसोनि हाबिलासखौ फिसा दाखालाम, जिउनि मोनफुंनाय फिथाइखौ आखाइ मोननैजों हमथुना ला।)
उत्तर : यहाँ लेखक ने यह कहा है कि कामना का अंचल छोटा मत करो – इसका मतलब है मनुष्य के जो जो कामनाए है उसे प्रयोग करना चाहिए। जिंदगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं, जितनी कि उसमें पूँजी लगाते हैं। यह पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पत्रे को उलट कर पढ़ना है, जिसके सी आक्षर फूलों से ही नहीं, कुछ अँगारों से भी लिखे गए हैं। जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है।
Chapter No. | CONTENTS |
Unit 1 | गद्य खंड |
खोन्दो – 1 | हिम्मत और जिंदगी |
खोन्दो – 2 | आनजाद (परीक्षा) |
खोन्दो – 3 | बिन्दो–बिन्दो बिजिरनाय (बिदुं–बिदुं विचार) |
खोन्दो – 4 | दावनि फिसाजो (चिड़िया की बच्ची) |
खोन्दो – 5 | नों मोजांब्लानो मुलुगा मोजां (आप भले तो जग भला) |
खोन्दो – 6 | चिकित्सा का चक्कर (फाहामथाइनि नायगिदिंनाय) |
खोन्दो – 7 | जेननो रोङै (अपराजिता) |
खोन्दो – 8 | सना-मुकुटानि सोमोन्दो (मणि-कांचन संयोग) |
Unit 2 | पद्य खंड |
खोन्दो – 9 | कृष्णानि फाव (कृष्ण महिमा) |
खोन्दो – 10 | मोनजि खन्थाइ खोन्दों (दोहा-दशक) |
खोन्दो – 11 | मानसि जा, गोसोखौ लोरबां दा खालाम (नर हो, न निराश करो मन को) |
खोन्दो – 12 | लरहायनाय बिबार (मुरझाया फूल) |
खोन्दो – 13 | गामिनिफ्राय नोगोर फारसे (गाँव से शहर की ओर) |
खोन्दो – 14 | सावरमतीनि सादु (साबरमती के संत) |
खोन्दो – 15 | थांबाय था (चरैवति) |
खोन्दो – 16 | बायग्रेबनाय साखा (टुटा पहिया) |
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